Monday, June 29, 2009

हम लोग -सतीश सक्सेना

हम लोग, एक बड़े देश के निवासी "अनेकता में एकता " का नारा अक्सर सुनते आये हैं, और लगता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब लोग एक जुट हैं, मगर हाल में एक उत्तर पूर्वीय प्रान्त के मुख्यमंत्री का यह कथन कि मेरे देशवासी मुझे अक्सर नेपाली समझते हैं , और इस कारण अक्सर मुझे कहना पड़ता है कि मैं आपकी तरह भारतीय हूँ किसी अन्य देश का नहीं ! अपने ही देशवासियों के समक्ष एक देश भक्त का यह स्पष्टीकरण उन्हें खुद कितना कष्टदायक लगता होगा यह तो मैं नहीं जानता, मगर व्यक्तिगत तौर पर मुझे वेहद नागवार लगता है, एक आवेश सा आता है कि कितनी अज्ञानता है मेरे देश में, ऐसी धारणाओं के कारण हम अपनी समझ की, बाहर वालों से कितनी मजाक बनवाते हैं ?

हम लोग इस विशाल देश की सीमाओं तथा विविधिताओं से अनजान रहते हुए, खुद अपनी समझ पर इतराते हुए, बिहारी, पञ्जाबी, मद्रासी एवं पुरबियों की मज़ाक बनाते समय इसके दूरगामी परिणामों के बारे में नहीं सोचते !

कब विकसित होगी हम लोगों की समझ ??

11 comments:

  1. आप का मेरा कष्ट साझा है।

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  2. हम कूप मंडूक बने रहने में सुरक्षित महसूस करते हैं.

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  3. अगर वो नेता नेपाल से लगती सीमा से होगा तो उस के राज्य के लोग भी उसी तरह के होगे, इस लिये कोन उसे कहेगा कि आप नेपाली लगते है. यह बस एक चाल होती है अपने आप को दुनिया मै अलग दिखाना, अपनी ओर लोगो का ध्यान दिलाना, इस लिये ऎसी बातो पर ध्यान ही ना दे, भारत मै कितने राज्य है किअतनी भाषाये है, सभी लोग तो मिल कर रहते है, लेकिन इन नेताओ को ही कठानई होती है.
    धन्यवाद

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  4. वो कहा जो मेरे दिल में था. आभार!!

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  5. बहुत सही सोच है आपकी. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  6. सुबह ज़रूर आयेगी,

    सुबह का इंतज़ार कर .

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  7. सक्सेना जी ,लोग ये कहना शुरू कर दें कि हम हिन्दुस्तानी हैं तो प्रांत ,जाती ,धर्म सबकी सीमायें खुद बी खुद टूट जायेंगी

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  8. बहुत ज्वलंत समस्या उठा दी भाई

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  9. भारत के अन्दर न जाने
    कितने छोटे-छोटे भारत बसे हुए हैं !

    अभी कल रात ही की न्यूज है कि असम में
    हिंदी भाषियों पर दुबारा हमले हुए !
    इसके लिए कुछ अज्ञानता है
    कुछ राज ठाकरे जैसे कूप मंडूक नेता !

    आज की आवाज

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  10. मेरे विचार से मामला ग्लोकल है - हम ग्लोबल भी होंगे तो रहेंगे लोकल ही। और कुछ गलत भी नहीं उसमें।

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  11. बहुत ही सही प्रश्न उठाया है आपने। सही माने में भारतीयता की अवधारणा और चेतना विकसित करने के लिये सचेतन प्रयास आवश्यक हैं।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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