Wednesday, July 29, 2009

एक पुत्री की तलाश -सतीश सक्सेना

अपने घर के लिए भावी मालकिन और स्वयं के लिए पुत्री का विकल्प खोजते हुए जहाँ बहुत अच्छे अच्छे लोगों से भेंट और बातचीत हुई वहीं कई स्थानों पर कष्टदायक अनुभव भी कम नहीं थे ! अधिकतर लोगों ने "बढ़िया शादी" का वायदा , "हमारे यहाँ कोई कमी नहीं है " आपकी कोई इच्छा हो तो खुल के कहें हमें कोई समस्या नहीं है " आदि वाक्य सामान्यतयः प्रयुक्त किये और मैं हर बार अपना स्पष्टीकरण देने पर मजबूर होता फिर भी संदेह भरी आँखें बता देतीं कि उन्हें इसपर विश्वास नहीं हो पा रहा है !

किसी की मदद करने के बदले धन की चाह और अपना काम कराने के लिए धन का लालच देने का प्रयत्न करना दोनों ही मानव अवगुण सदियों से चले आ रहे हैं, मगर धन से जीवन भर के लिए प्यार और भावी पीढियों के लिए सम्मानित भविष्य खरीदना संभव है ? ऐसा विश्वास रखने वालों के लिए क्या कहा जाये ! रिश्ते खरीदने का यह प्रयत्न हमारे समाज को बर्बाद करने के लिए काफी होगा, ऐसा मेरा मानना है !

Tuesday, July 7, 2009

मज़हब के आदेश !




दिल्ली राजनेताओं में से एक चौधरी मतीन अहमद जो कि विधान सभा सदस्य (सीलमपुर ) हैं, से मिलकर ऐसा नहीं लगा कि मैं किसी राजनेता से बात कर रहा हूँ, बल्कि एक बेहद शांत, सुलझे, विद्वान् और जमीन से जुड़े व्यक्तित्व से मिलने के बाद लगा कि काश सारे राजनेता ऐसे ही हों !


आतंकवाद और धर्म पर मतीन अहमद कहते हैं -

" इस मज़हब (इस्लाम) में आदेश दिया गया है कि कोई पिता बाहर अन्य बच्चों के साथ खेलते हुए बच्चे को बेटा कहकर आवाज़ न दे बल्कि उसका नाम लेकर बुलाये क्योंकि उन बच्चों में अगर कोई बिना बाप का बच्चा है तो उसका दिल न दुखे कि काश आज कोई मुझे भी बेटा कहने वाला होता !

कोई भी सच्चा मुसलमान किसी का दिल दुखाने का काम नहीं कर सकता सवाल सिर्फ नफरत फैलाने वालों की पहचान का है, फिर वे चाहे किसी कौम के हों ! "
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