Wednesday, July 29, 2009

एक पुत्री की तलाश -सतीश सक्सेना

अपने घर के लिए भावी मालकिन और स्वयं के लिए पुत्री का विकल्प खोजते हुए जहाँ बहुत अच्छे अच्छे लोगों से भेंट और बातचीत हुई वहीं कई स्थानों पर कष्टदायक अनुभव भी कम नहीं थे ! अधिकतर लोगों ने "बढ़िया शादी" का वायदा , "हमारे यहाँ कोई कमी नहीं है " आपकी कोई इच्छा हो तो खुल के कहें हमें कोई समस्या नहीं है " आदि वाक्य सामान्यतयः प्रयुक्त किये और मैं हर बार अपना स्पष्टीकरण देने पर मजबूर होता फिर भी संदेह भरी आँखें बता देतीं कि उन्हें इसपर विश्वास नहीं हो पा रहा है !

किसी की मदद करने के बदले धन की चाह और अपना काम कराने के लिए धन का लालच देने का प्रयत्न करना दोनों ही मानव अवगुण सदियों से चले आ रहे हैं, मगर धन से जीवन भर के लिए प्यार और भावी पीढियों के लिए सम्मानित भविष्य खरीदना संभव है ? ऐसा विश्वास रखने वालों के लिए क्या कहा जाये ! रिश्ते खरीदने का यह प्रयत्न हमारे समाज को बर्बाद करने के लिए काफी होगा, ऐसा मेरा मानना है !

9 comments:

  1. शीघ्र ही आप को सर्वगुण संपन्न पुत्र वधु की प्राप्ति हो

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  2. आपका कथन आपके मतानुसार तो ठीक है और आपकी इस सोच के लिये आपको धन्यवाद भी देना चाहुंगा पर सतीश भाई आप ये भी समझ लिजिये कि आज भी लडके वाले उपर से कहते हैं कि हमें कुछ नही चाहिये..भगवान का दिया सब कुछ है हमारे पास...और उनको असल में सब कुछ चाहिये होता है. आपकी जैसी सोच वाले इंसान कम ही हैं. और इसीलिये लडकी वाले आज भी डरते हैं किसी अन्जानी जगह से.

    रामराम.

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  3. bahut gambir masla hai...

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  4. आपको आपके आदर्श के लिये बधाई जी।
    जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू, सो तेहिं मिलई न कछु संदेहू।

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  5. SAHI HAI....GAHARAI HAI RACHANA ME

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  6. SAHI HAI....GAHARAI HAI RACHANA ME

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  7. लालच व आत्मसंतुष्टी, दो धुरविरोधी स्थितियां आज आमने सामने हैं.... आत्मसंतुष्टी निश्चय ही हार रही है.

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  8. @पी एन सुब्रमनियम , वाकई में इस आशीर्वाद की जरूरत थी ! आभार आपका !
    @ज्ञानदत्त जी , रामायण की यह पंक्तियाँ सुनकर ह्रदय विह्वल हो गया , आपके ये वचन आर्शीवाद है मेरे लिए !
    @महामंत्री तस्लीम , आपकी तारीफ से यह लेखन और विचार धन्य हो गया ! आपका स्वागत है !

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आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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