Sunday, April 11, 2010

वहीं रचा जाता है गीत -सतीश सक्सेना

वर्षों  पहले  कुछ दोस्तों की चलते फिरते फरमाइश रहती थी कि कोई गीत अभी लिख कर दिखाओ  और मैं हमेशा मना करने पर मजबूर होता था कि कम से कम मेरे लिए यह संभव ही नहीं है ,कविता और गीत लेखन न कभी सीखा और न सीखना चाहता हूँ , जो मन में भाव उठाते हैं कभी कभी गीतों का रूप ले जाते हैं ... शायद इन्ही दोस्तों के कारण एक दिन यह गीत लिख गया था ...इसे पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ !  



सरल भाव से सबको देखे,
करे सदा सबका सम्मान
अपना अथवा गैर न जाने
सबका स्वागत करे समान
ममता, करुणा, श्रद्धा रहती , 

उसी जगह होता संगीत !
निश्छल मन और दृढ विश्वास,वहीं रचा जाता है गीत !

प्रिये गीत की रचना करने,
पहला कवि जहाँ बैठा था
अश्रु आँख में भरकर उसने
गाया वो अपूर्व मीठा था
कष्ट मिट गए होंगे सबके,

जो सुन पाया पहला गीत !
निश्चय ही वसुधा के मन में , फूट पड़ा होगा संगीत !

कविता नहीं प्रेरणा जिसकी,
गीत नहीं, भाषा है दिल की
आशा और रुझान जहाँ पर,
प्रिये वही रहता है, गीत !
शब्दकोष हाथों में लेकर 

कब लिख पाया कोई गीत !
दिल की भाषा सारे जग में, करें प्रसारित मेरे गीत !

17 comments:

  1. Sunder Geet....



    सतीश जी, पंक्तियां जो हो गयीं सो हो गयी... आप सभी की सराहना ही कलम से कुछ न कुछ लिखवा लेती हैं. आभार व्यक्त कर आपके प्रेम को हल्काऊंगा नहीं.

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  2. नहीं द्वेष पाखंड दिखावा ,
    नही किसी से मन में बैर
    जहाँ नही धन का आड्म्बर,
    वहीं रचा जाता है , गीत !


    Behtreen.. Bhai ji...

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  3. जहाँ ह्रदय में धारा बहती ,
    प्रेम भरे अरमानों की
    प्यार हिलोरे लेता रहता,
    वहीं रचा जाता है गीत !

    नहीं द्वेष पाखंड दिखावा ,
    नही किसी से मन में बैर
    जहाँ नही धन का आड्म्बर,
    वहीं रचा जाता है , गीत !

    सरल भाव से सबको देखे,
    करे सदा सबका सम्मान
    निश्छल मन और दृढ विश्वास,
    वहीं रचा जाता है गीत !


    बहुत सुन्दर गीत है...

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  4. जब जब बजें नगाड़े युद्ध के
    तब तब चले कलम प्रबुद्ध के
    वह जोश दिलाया गीतों ने
    सर कटे रुंड भी लड़ते रहे।

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  5. नहीं द्वेष पाखंड दिखावा ,
    नही किसी से मन में बैर
    जहाँ नही धन का आड्म्बर,
    वहीं रचा जाता है , गीत !

    प्रिये गीत की रचना करने,पहला कवि जहाँ बैठा था
    निश्चय ही वसुधा के मन में , फूट पड़ा होगा संगीत !
    बहुत सुंदर गीत ,
    गीत वाक़ई चीज़ ही ऐसी है कि चारों ओर सुखमय वातावरण बिखेर दे और ऊर्जा से भर दे

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  6. आपने बहुत सुन्दर गीत लिखा है आशा और उत्साह से ओतप्रोत .....मगर गीत तो पीड़ा में भी लिखा जाता है , हाँ मन का निर्मल होना जरुरी है , तभी लेखनी चलती है |

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  7. satish jee geet bahut sunder hai aapke vyktitv kee chaya hai.

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  8. वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान.... पता नहीं क्यों, ये पंक्तियां याद आ गईं..सुन्दर गीत है सतीश जी.

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  9. ये गीत राम राज्य की परिकल्पना है...सतीश जी आपका यह गीत जन जन का गीत बने यही मंगलकामना है.

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  10. बहुत ही मौलिक भावाभिव्यक्ति सतीश जी ।

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  11. आओ अब मिल के एक कम करें
    खुल्क़ ओ महर ओ वफ़ा आम करें


    ख़त्म हो जाएँ आपसी झगड़े
    मिल के कुछ ऐसा एहतमाम करें


    हो के क़ुरबान हक़ की राहों में
    आओ यह ज़िंदगी तमाम करें

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  12. बहुत सुन्दर गीत रचा है । बधाई।

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  13. na nakarate karate itani badhiya geet ki rachana kar dali. bahut khoob ,lajwab.

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  14. सबका सम्मान , निश्छल प्रेम और दृढ विश्वास ...
    वही रचा जाता है गीत ...
    सुन्दर गीत ...!!

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  15. बताइये न-न करते जब आप ऐसी (उत्तम) रचना करेंगे, तो फिर स्वप्रेरणा से रचेंगे तो क्या होगा !! सर्वोत्तम :)

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  16. प्रिये गीत की रचना करने,पहला कवि जहाँ बैठा था
    निश्चय ही वसुधा के मन में , फूट पड़ा होगा संगीत

    सराह हृदय से लिखा मन का गीत ... सीधा मन में उतार गया ...

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- सतीश सक्सेना

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