Friday, July 30, 2010

विश्व की सबसे अधिक कष्टकारक और ह्रदय विदारक मूर्ति " -सतीश सक्सेना



जिस शिल्पकार ने यह बुरी तरह घायल कर, मारे गए शेर की यह प्रतिकृति बनाई है, वह वन्दनीय है ! अपने वर्ग में ऐसी कला, कम से कम मेरी निगाह से  आज तक नहीं गुज़री  !  
लायन आफ लयूजर्न  के नाम से मशहूर यह कलाकृति , अपनी जीवंत बनावट  के कारण , पूरे विश्व में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली, शिल्प कला का बेहतरीन उदाहरण है ! अगर आपने बोलती हुई शिल्पकला को महसूस करना है तो चारो तरफ से घेर कर मारे गए, इस घायल शहीद शेर के चेहरे और शरीर के भाव पढ़ें !  
घेर कर मारे गए स्विस सैनिकों की याद दिलाता ,यह शेर ,बुरी तरह से घायल होने के बावजूद , अपनी पूरी शक्ति के साथ, दुश्मनों से, लड़ता हुआ शहीद हुआ है ! 
इसकी पीठ में गहरा घुपा हुआ, टूटा भाला होने के बाद भी, राजघराने के चिन्ह की रक्षा करते ,इसके चेहरे पर कष्ट की कोई शिकन नहीं है !   
उपरोक्त शीर्षक मार्क ट्वैन का दिया हुआ है जिसमें उन्होंने इस शहीद घायल शेर की मूर्ति को "विश्व की सबसे अधिक कष्टकारक और ह्रदय विदारक  मूर्ति "कहा था !  
यह मृत शेर उन स्विस सैनिकों की याद में बनाया गया है जिनको फ्रेंच रेवोलयूशन  के दौरान  १७९२ में  घेर कर मार दिया गया था ! यह स्मारक स्वित्ज़रलैंड के लयूसर्न शहर में ,स्विस सैनिकों की बहादुरी और वफादारी याद  दिलाने के लिए बनाया गया है  !  

32 comments:

  1. aapke blog ke through bahut kuchh ek dum nayee jankaari milti hai, dhanyawad!!

    ReplyDelete
  2. aapke blog ke through bahut kuchh ek dum nayee jankaari milti hai, dhanyawad!!

    ReplyDelete
  3. अनूठा शिल्प ...
    रोचक जानकारी ...!

    ReplyDelete
  4. अच्छी जानकारी मिली है । हमने तो पहली बार देखा है इसे । आभार ।

    ReplyDelete
  5. अच्छी जानकारी....

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर जानकारी मिली इस पोस्ट द्वारा. शुभकामनाएं.

    रामराम

    ReplyDelete
  7. बड़ी अनूठी शहीद स्मारक!

    ReplyDelete
  8. चित्र के साथ आपकी कमेंट्री सचमुच संघातिक है -अद्भुत शिल्प कृति !

    ReplyDelete
  9. Rochak aur saarthak jaankari ke liye aabhar

    ReplyDelete
  10. कितना पीडादायक एहसास है ये कि किसी को घेर कर पहले मार दिया जाए....फ़िर उसकी मूर्ती बनाई जाए ...और फ़िर ..........उसे विश्व में सर्वाधिक पसंद किया जाए.....

    ReplyDelete
  11. घेर कर मरे गए सैनिकों के सम्मान में मूर्तिशिल्प का बेहतरीन नमूना. इस बेजोड़ शिल्पकारी के दर्शन करवाने के लिए धन्यवाद.

    ReplyDelete
  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति एक अच्छी जानकारी

    ReplyDelete
  13. अनूठा शिल्प ...
    रोचक जानकारी ...

    ReplyDelete
  14. अनूठा शिल्प ...
    रोचक जानकारी ...

    ReplyDelete
  15. एक और बेहद सार्थक पोस्ट पर नमन आपको और उस शिल्पकार को भी जिस ने यह प्रतिकृति बनाई है !

    ReplyDelete
  16. अद्भुत कलाकृति
    रोचक विवरण

    आभार, एक नई जानकारी हेतु

    बी एस पाबला

    ReplyDelete
  17. चित्र को काफी बड़ा करके देखा.. असहनीय दर्द झलक रहा है लेकिन मूक समर्पण नहीं.. वीरोचित सौंदर्य है चेहरे पर शहीद होने पर..

    ReplyDelete
  18. वैसे मुझे थोडा बढ़ा चढ़ा कर पेश की गयी कलाकृति लगती है ये. वैसे महान कलाकृति है इसमें दो राय नहीं.

    ReplyDelete
  19. पीठ टूटे हुए भले का नुकीला फल.
    कितना तडप तडप के मर होगा ना?
    हमारे यहाँ एक न्यू बोर्न बेबी को कोई फैंक गया.सूअरों ने उसके दोनों पैर घुटनों के उपर तक और एक हाथ पूरा खा लिया था.कई घ्न्तोंत्क उसे मौत नही आई. उसकी मूर्ति किसी ने नही बनाई सतीश!
    ये शेर कितना भाग्यशाली है.

    ReplyDelete
  20. कला वही सफल है जो बोलने लगे
    अनूठे शिल्प से परिचय कराने के लिये आभार

    ReplyDelete
  21. अद्भुत,
    सच में शिल्प कला का एक बेहतरीन नमूना..ऐसी संवेदनाओं को शिल्प में उतारने वाले शिल्प कार को नमन है..
    एक नई जानकारी के लिए आभार चाचा जी

    ReplyDelete
  22. बहुत ही अच्छी जानकारी!

    यह जानकारी मेरे लिये बिल्कुल नई है। धन्यवाद!

    ReplyDelete
  23. वास्तव में ही सजीव वास्तुकला है यह.

    ReplyDelete

  24. सतीश यार, आज तो आपने मेरे ज़रनल नोलेज़ को धता बता दिया,
    यह कृति मेरी जानकारी में अब तक नहीं थी । वास्तव में इसे देख कर बेहतरीन, उत्कर्ष, सर्वश्रेष्ठ जैसी उपमायें बौनी पड़ जाती हैं ।
    जो श्रेष्ठ है, उसको देश काल की सीमाओं से मुक्त रहना ही चाहिये । अच्छा लगा, इतना गहन-अँकण कि इसके सम्मुख सैकड़ों पन्नों में दर्ज़ ब्यौरे गौण हैं । आपकी पारखी नज़रों का कायल हुआ ।

    ReplyDelete

  25. और.. हाँ, आज मॉडरेशन-विलास क्यों नहीं है ?
    :)

    ReplyDelete
  26. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

    ReplyDelete
  27. रोचक जानकारी और अद्भुत शिल्प

    ReplyDelete
  28. बढिया पोस्ट। रोचक जानकारी।

    ReplyDelete
  29. अच्छी जानकारी....

    ReplyDelete
  30. वाह .....सतीश जी सचमुच अद्भुत ......!!

    शुक्रिया हम तक पहुँचाने का .....!!

    ReplyDelete
  31. उत्कृष्ट कला. रोचक जानकारी.
    ..आभार.

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,