Sunday, August 1, 2010

सर्दी की गुनगुनी धूप में ममता भरी रजाई अम्मा ( डॉ अमर ज्योति )

डॉ अमर ज्योति के जन्मदिन पर प्यार सहित ....
आइये एक अनूठे शायर के बारे में बात करते हैं ....सर्वहारा वर्ग  और समाज के लिए, इनकी तीखी कलम से जो रचनाएं दी गयी है, वे अमर और अमूल्य हैं ! आधुनिक समय में जब एक से एक बेहतरीन रचनाकार इन्टरनेट के कारण आसानी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में समर्थ है ! उस समय भी डॉ अमर ज्योति अपने तीखे और सूफियाना अंदाज़ के कारण अलग ही खड़े नज़र आते हैं !
हिंदी, इंग्लिश में एम. ए. तथा इंग्लिश में पी एच डी  डॉ अमर ज्योति एक बैंक अधिकारी हैं !

डॉ अमरज्योति " नदीम " का प्रथम ग़ज़ल संग्रह  "आँखों में कल का सपना है " का लोकार्पण कवि सम्राट गोपालदास नीरज के हाथों पिछले वर्ष किया गया है !

इस लेख की शुरुआत  "अम्मा " की याद से करते हैं , कितनी तड़प है इस रचना में माँ को याद करते समय  इनके भाव देखिये .....

सर्दी में गुनगुनी धूप में ,  ममता  भरी रजाई  अम्मा ,
जीवन की हर शीत लहर में बार बार याद आई अम्मा 
बासी रोटी  सेंक  चुपड़  कर , उसे परांठा  कर देती थी ,
कैसे थे अभाव और क्या क्या करती थी चतुराई अम्मा   

बरसात का मौसम कुछ लोगों के लिए दुखदायी भी होता , अमर ज्योति अपनी नज़र से वह देखते हैं जो शायद बहुत कम लोगों को ही दिखता होगा ! 
बदली के छाने से,  मोरों  के आने से
दहशत सी होती है सावन के आने से 
सारे फुटपाथों पर ,पानी भर जाता है  !
रात भर भटकते हैं बिस्तर छिन जाने से 
सर्वहारा वर्ग के लिए उनकी लेखनी  द्वारा खींचे गए चित्र  दिल में एक टीस पैदा करते हैं  !
दलितों के प्रति उनका कष्ट वर्णन देखें !

"दूर से ही सुनीं वेदों की ऋचाएं अक्सर
यज्ञ में तो कभी शम्बूक बुलाए न गए
इसी बस्ती में सुदामा भी किशन भी हैं नदीम
ये अलग बात है मिलने कभी आये न गए "
इनकी एक ग़ज़ल में दर्द की थाह नहीं मिलती ....
"तुम तो कहते थे हर रिश्ता टूट चुका
फिर क्यों रोये रातों की तन्हाई में "
आज के आधुनिक कवियों और लेखकों से मुस्कराते हुए कहते हैं ...

राजा लिख रानी लिख
फिर से वही कहानी लिख ..
अपने गरीब पापा से एक बच्चे की उम्मीदें देखिये ..

"अबकी बार दिवाली में जब घर आयेंगे मेरे पापा
खिल मिठाई दिए फुलझड़ी सब लायेंगे मेरे पापा "
तकलीफ छुपाने की एक बानगी देखिये ...

"वो ठहाके बहुत लगता था
दर्द दिल में छिपा रहा होगा "

25 comments:

  1. i just love his poems very close to reality i am his regular reader and admirer

    life has made him tough and still he is a poet !!!

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  2. डॉ अमर ज्योति जन वाणी को स्वर देते जन कवि हैं -बहुत आभार !

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  3. इतने संवेदनशील कवि से परिचय कराने का आभार।

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  4. बहुत आभार आपका. शुभकामनाएं.

    रामराम

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  5. सर्दी में गुनगुनी धूप में , ममता भरी रजाई अम्मा ,
    जीवन की हर शीत लहर में बार बार याद आई अम्मा
    बासी रोटी सेंक चुपड़ कर , उसे परांठा कर देती थी ,
    कैसे थे अभाव और क्या क्या करती थी चतुराई अम्मा
    ....bahut hi samvedansheel rachna..
    Bahut aabhar aur shubhkamnayen

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  6. satish jee parichay karwane ke liye dhanyvaad .jo bhee panktiya aapne lee hai udahrnarth jeevan ras ke her roop me bheegee hai.lagata hai spanj jaise unhone sub bhavo ko aoane me sokh liya hai....aur unkee rachanae nichod hai .....jeevan sar hai jo her varg ka pratinidhitv karne kee kshamata rakhtee hai .
    aabhar

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  7. एक अच्छी रचना और रचनाकार से मिलवाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

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  8. आहा! लाजवाब शक्सियत. दिल भर आया. आभार.

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  9. "वो ठहाके बहुत लगता था
    दर्द दिल में छिपा रहा होगा "

    सच ही तो है .........हम सब भी तो यही करते है .......कभी ना कभी !
    डॉ अमर ज्योति से मिलवाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ! आपको और डॉ अमर ज्योति को हार्दिक शुभकामनाएं !

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  10. बहुत ही दुर्लभ पोस्ट ..एक महान कवि और उनकी रचना से मुलाकात करवाने के लिए शुक्रिया आपका

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  11. ऐसी शख्सियत से परिचय कराने के लिए आभार...

    आपके द्वारा चुनी हुई पंक्तियाँ बहुत कुछ कह गयीं ..

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  12. बासी रोटी सेंक चुपड़ कर , उसे परांठा कर देती थी ,
    कैसे थे अभाव और क्या क्या करती थी चतुराई अम्मा
    डॉ. साहब से परिचित कराने और तमाम रचनाओं की बानगी देने के लिये कोटिश: आभार.

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  13. क्या लिखा है!!!!!! बस लाजवाब एक एक बात बहुत सोची समझी किस पंक्ति की तारीफ करूँ किसकी रहने दूँ बस यही सोच रही हूँ और कविता और उसकी भाषा का आनंद ले रही हूँ

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  14. This comment has been removed by the author.

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  15. डॉ. अमर ज्योति जी को जन्मदिन की बधाई ....
    आपका आभार .....रूबरू करवाने के लिए....

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  16. कैसे थे अभाव और क्या क्या करती थी चतुराई अम्मा

    मां हर हालत में बच्चे के लिए जाने क्या क्या औऱ कैसे कैसे कर लेती है. ये कोई नहीं जानता.....

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  17. सबसे पहले अमर जी को जन्मदिन कि शुभकामना, वाकई कमाल के लेखक हैं अमर साहब, अम्मा ने तो भावविभोर कर दिया, बेहद प्रभावशाली, बेहतरीन! भैया बहुत धन्यवाद अमर साहब से परिचय करवाने के लिए!

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  18. डॉ अमर ज्योति जी से इस परिचय का आभार एवं उन्हें जन्म दिवस की शुभकामनाएँ.

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  19. डॉ. अमर ज्योति जी से रूबरू होना सुखद रहा...बड़े ही सुंदर भावनाओं को पिरोते हुए बेहतरीन ग़ज़ल प्रस्तुत की आपने...धन्यवाद

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  20. An underated poet. He has depth and senstivity. He is an extremely well-read person He deserves more exposure. Let the readers start campaign to promote him.

    Dr Surender Bhutani
    Warsaw (Poland)

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  21. आप सभी के स्नेह से अभिभूत हूं. जन्मदिन पर
    ऐसा नायाब तोहफ़ा मुझे पहले कभी नहीं मिला.
    हार्दिक आभार.

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  22. आत्मीय रिश्ते , सामाजिक पीड़ा और अपने साथ ही दूसरों के बेजुबान दर्द बयान किये हैं कवि ने
    इस परिचय के लिए आभार ...!

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  23. उद्धृत सारी पंक्तिया बहुत सुन्दर और पठनीय हैं.पढवाने के लिए धन्यवाद.

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  24. आभार इस परिचय के लिए.

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  25. बहुत अच्छा लगा आपकी कविता पढके

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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