Friday, October 8, 2010

मौन को आजमाना चाहिए - सतीश सक्सेना

"है मुमकिन दुश्मनों की दुश्मनी पर सबर कर लेना 
मगर यह दोस्तों  की  बेरुखी , देखी  नहीं  जाती  "

हमारे बड़े कहते रहे हैं कि जब मन शांत न हो तो  मौन व्रत रखें , इस बार यह आजमाते हैं !
शुभकामनायें  ! 

39 comments:

  1. stish ji so buraiyon se bchane ka aek matr farmulaa aapne diya he mubark ho. akhtr khan akela kota rajsthaan

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  2. ... उचित व सकारात्मक मार्ग!

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  3. प्राणहारिनी पीड़ादायक असहमत मौन से मुक्ति की कोई दवा बतायें ।
    झँडुबाम मल लेने की लँठई भी यदि काम न आये, तो कोई अन्य उक्ति सुझायें ।
    यदि आदरणीय कहने के शिष्टाचार का स्वयँ ही निरादर करना हो, तो अबे-तबे से इतर कोई उपयुक्त शब्दावली सँदर्भ दें ।
    यदि लोकताँत्रिक मूल्यों की कुटिल काट करनी हो, तो जनहित की दुहाई से अलग अन्य कोई बेहतरीन अकाट्य तर्क सुझायें ।
    कुत्ते-बिल्लियों के मध्य अपनी अस्मिता की रक्षा करते हुये इस जग में जीने की राह दिखायें, जो सामने के दरवाज़े की तरफ़ खुलती हो ।

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  4. ......maun.....

    lekin....yahan gurdev kuchh aur kah
    rahe hain....kripaya dhyan de......
    agar uchit lage to spastikaran bhi..

    rajhans ko to jante hi honge...uske
    charitra aur prakrit bhi.....

    vicharon ki swatantra ke ham samarthak hain...lekin bhaw aur bhasha pachne layak ho...

    bakiya aap sab khud gyanijan hain..

    pranam.

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  5. ???????????

    ज़िंदगी में दोस्तों को आजमाते जाइए
    तो दुश्मनों से प्यार हो जायेगा

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  6. सतीश भाई,

    पुराने वक्तों में भी दुश्मनी थी
    मगर माहौल जहरीला नहीं था

    जब न होश हमको, दुश्मनी से डरते थे
    अब जो होश आया है दोस्ती से डरते हैं

    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं!

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  7. चांद पर मक्खन-ढक्कन के हंगामा मचाते-मचाते अचानक ढक्कन मौनी बाबा बन गया...मक्खन ने मौके का फायदा उठाया, ढक्कन के हिस्से की भी चढ़ा कर ज़ोर ज़ोर से गाने लगा-

    गाली हुजूर की तो लगती दुआओं जैसी,
    हम दुआ भी दे तो लगे है गाली,
    अपनी तो जैसे-तैसे कट जाएगी,
    आपका क्या होगा जनाब-ए-आली...

    जय हिंद...

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  8. सतीश जी, आप बहुत संवेदनशील व्यक्ति लगते हैं. मनुष्य को संवेदनशील होना भी चाहिए. पर कितना?

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  9. यह मक्खाना यहाँ भी चैन से नहीं रहने देगा .....
    सुबह सुबह मोबाइल पर फ़ोन की घंटी बजी तो खुशदीप सहगल का नाम देख सोचा कि यह खुशदीप को भाई की याद कैसे आ गयी !
    मगर फ़ोन पर मक्खन की आवाज सुनकर सारा मूड ख़राब हो गया उधर से पूछ रहा था कि सुना है इस नंबर पर कोई मौनी बावा रहते हैं ???
    कहीं भी चैन नहीं लेने देगा यह मक्खन...

    स्टेडियम में मैच देखने गया तो ले ले ले ले ....

    खुद तो कुछ समझ आता नहीं हमें समझने की कोशिश भी नहीं करने देगा ......

    खैर जो भी हो दिल का बुरा नहीं है...

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  10. कभी-कभी मौन वाणी से भी अधिक मुखर होता हे ।

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  11. ये बेकसी देखी नहीं जाती ये बेकरारी देखी नहीं जाती
    कुछ तो करों यारों अब उनकी बेखुदी देखी नहीं जाती
    (मौलिक शेर ,अरविन्द मिश्र ,८ अक्टोबर २०१०)

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  12. सही कह रहे हैं ……………आपने तो मौन कर दिया।

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  13. नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं!

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  14. संगीता स्वरुप जी ,
    बड़ा प्यारा शेर है मगर मुझे इस तरह पता है ...
    "दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
    दोस्तों को आजमाते जाइए !"
    सादर

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  15. करें क्या अब उनसे शिकवा
    ख़ता कोई हमी से हुई होगी ।

    लो भाई एक शेर हमने भी मार डाला ।

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  16. ये बेकसी देखी नहीं जाती ये बेकरारी देखी नहीं जाती
    कुछ तो करों यारों अब उनकी बेखुदी देखी नहीं जाती
    (तात्कालिक चोरी का शेर ,ताऊ रामपुरिया ,८ अक्टोबर २०१०)

    वैसे मौन शब्दों से ज्यादा अभिव्यक्ति देता है.

    रामराम.

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  17. मौन तो अपने आप में शांति प्रेरक है।

    चित का भी मौन धरें।

    नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं आपको और आपके पाठकों को भी!!
    आभार!!

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  18. आज तो सभी दोस्त लोग शेर पैदा कर रहे हैं ...चुरा रहें हैं या मारे डाल रहे हैं ! यह मौन खूब सफल रहा ...

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  19. बहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,

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  20. उम्दा प्रस्तुति
    गागर में सागर

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  21. bilkul sahi aur skaratmak raah sujhane wali baat..... prernadaayee

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  22. "है मुमकिन दुश्मनों की दुश्मनी पर सबर कर लेना मगर यह दोस्तों की बेरुखी , देखी नहीं जाती "
    सत्य है सतीश जी की दोस्तों की बेरुखी देखी नहीं जाती लेकिन सब से बड़ी सजा भी यह है की चुप हो जाओ. वैसे दोस्ती पे बहुत सी नसीहतीं यहाँ भी देख सकते हैं "http://aqyouth.blogspot.com/2010/09/blog-post.html" .

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  23. आपने कहा "यह मौन खूब सफल रहा "अब अगर आपके उस दोस्त को अपनी ग़लती का एहसास हो गया हो, तो चलिए नवरात्री की शुभकामनाओं के साथ अपनी चुप्पी तोड़ दें.
    आप सब को नवरात्री की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  24. बहुत दिनो बाद यहाँ आया ..क्या हो गया..दूसरी पोस्ट खगालनी पड़ेगी।

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  25. कभी कभी मौन रख लेना चाहिये।

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  26. चाचा जी, जब मौन की बात हो रही है तो अपनी एक शेर मैं भी छोड़ दूँ..

    क्यूँ बनें तमाशे का हिस्सा,
    चुप रह के तमाशा देखेंगे..

    पर ज़्यादा दिन मौन मत रहिएगा. प्रणाम..

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  27. प्रियवर सतीश जी
    बात क्या है , समझ नहीं पाया

    लेकिन , ब्लॉग जगत में भी ऐसे कुछ नमूने हैं ज़रूर

    कुछ - स्वघोषित उस्ताद बने बैठे मठाधीश ,
    कुछ - दूसरों के अस्तित्व को अस्वीकार करने वाले कुंठित ,
    कुछ - लामबंद लंपट


    उनको आईना दिखाना भी आवश्यक है , इशारों में ही सही
    ज़बह राजेन्द्र को करता ; तुझे मैं मा'फ़ कर देता
    मगर तू क़त्ल करने को चला मेरे सुख़नवर को


    बहरहाल दिल पर बोझ नहीं रखना चाहिए , अस्तु !
    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  28. सतीश जी, बड़ों ने बिलकुल सही कहा है…इसीलिये हम बड़ों को अपना आदर्श मानते हैं…बेहतरीन प्रस्तुती… पूनम

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  29. देखना है मौन की शक्ति का कमाल | हिन्दुओं में मौन भी एक व्रत माना गया है |

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  30. "दोस्तों की बेनियाज़ी देख कर ,
    दुश्मनों की बे-रुखी अच्छी लगी."

    बाक़ी तो,,,
    सब....
    मौन !!

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  31. सतीश जी, मौन व्रत अभी जारी है??

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  32. Speak is GOLD.
    Silence is DIMOND.

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  33. दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
    दोस्तों को आजमाते जाइए !"
    wah

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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