Sunday, October 24, 2010

श्री बाल्मीकि - सतीश सक्सेना

मत भूलो रचनाकार प्रथम
श्री रामचरित रामायण के
थे महापुरुष श्री बाल्मीकि
ऋषि,ज्ञानमूर्ति,रामायण के
हो शूद्र कुलोदभव फिर भी जगजननी को पुत्री सा समझा
उनके वंशज अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ? 

18 comments:

  1. विडम्बना है समाज की।

    ReplyDelete
  2. ऋषि और महर्षि कि कोई जात नहीं होती थी. वो तो अपने कर्मो के आधार पर और अपने ज्ञान के कारण श्रेष्ट होते थे. महर्षि बाल्मीकि संसार के श्रेष्ट महर्षियों में से एक थे.

    में उनको प्रणाम करता हूँ और आप को भी.

    ReplyDelete
  3. bahut badhiyaa !
    kyaa baat hai!
    ab to deewali tak roz aisee panktiyon ka intezar rahega

    ReplyDelete
  4. बेशकीमती रचना है यह...
    धन्यवाद..

    ReplyDelete
  5. संजो के रखने वाली पोस्ट

    ReplyDelete
  6. सही समय पर सही सवाल।

    ReplyDelete
  7. अति सुंदर भाव.

    रामराम.

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर बात कही आप ने अपनी इस विचारिया रचना मै धन्यवाद

    ReplyDelete
  9. इन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।

    स्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?

    ReplyDelete
  10. बहुत सजग चिन्तन है सतीश जी ,
    आदि कवि का प्रथम छंद भी क्रौंची की करुण वेदना से व्याकुल हृदय से फूट पड़ा था .

    ReplyDelete
  11. बहुत कुछ कहते हैं ये शब्द...
    regards

    ReplyDelete
  12. श्री रामचरित रामायण
    its vaalmiki ramayan
    and
    its tulsidaas ramcharit maanas

    dont twist facts

    ReplyDelete
  13. @ अनाम ,
    यह गीत है कोई इतिहास नहीं श्रीमान बुद्धिमान !
    बहरहाल शिक्षा के लिए आभार

    ReplyDelete
  14. @ अनाम,
    आप अपने नाम से लिखें आपको जवाब अवश्य मिलेगा !

    ReplyDelete
  15. naam mae kyaa rakha haen mr satish saxsena

    blog par itna galat kyun likhna ??

    aur meri bhasha mae naa to tanch thaa naa abhdrataa phir bhi aap keh rahey haen श्रीमान बुद्धिमान
    afsos ki aap khud bhasha par sayam nahin rakhtey

    yae kament to aap kyaa hi publish karaegae

    ReplyDelete
  16. @ अनाम,
    माफ़ कीजिये ,आपका दिल दुखाना मेरा उद्देश्य नहीं था ! मैं अपना अर्थ बता चुका हूँ !

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,