Monday, October 25, 2010

इन फूलों को अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली -सतीश सक्सेना

बीसवीं सदी में पले बड़े
ओ धर्म के ठेकेदारों तुम
मन्दिर के द्वारे खड़े हुए ,
उन मासूमों की बात सुनो 
बचपन से,   इनको गाली दे , क्या बीज डालते हो भारी !
इन फूलों को अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ?

19 comments:

  1. क्या बात है!
    वाह!बहुत बढ़िया चल रही है आप की ये श्रृंखला

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  2. इस दीवाली कुछ तो अन्धियारा दूर हो, इसी आशा के साथ आपकी कविता को नमन।

    बच्चा बोला देखकर, मस्जिद आलीशान
    अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान!
    - निदा फाज़ली

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  3. सर जी, काहे दीपावली पर टूट पड़े हैं? दीपावली क्या केवल धर्म के ठेकेदार ही मनाते हैं?

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  4. इस दिवाली पर इन बच्चो के प्रति जागृति का दीपक जलाने के लिए शुभकामनाये।

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  5. दीवाली भी स्वार्थ पूर्ण एक दिखावा बन कर रह गई है ।

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  6. नारायण पर फूल चढाते, और दरिद्र को देते गाली
    दरिद्रनारायण को अपमानित कर, लोग मनाते दीवाली!

    - सलिल वर्मा

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  7. श्रंखला आगे न बढ़ायें, नहीं तो दीवाली मनाते समय अपराधबोध रहेगा।

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  8. गीत को इस अंदाज में प्रस्‍तुत करना अच्‍छा लगा। एक पद में एक बात। कम से कम दीवाली तक कुछ तो याद रह पाएगा।

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  9. हमेशा की तरह एक अच्छी कविता, आज का सत्य धन्यवाद

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  10. त्यौहार तो मनाने ही होते हैं...
    इस दिवाली इन फूओं को मन लेने दे कुछ खुशियाँ ...!

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  11. सीधी सच्ची बात !

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  12. आज आया तो था फुरसत से
    कि कुछ टिप्पणी कर जाऊँ

    पोस्ट दिखी
    ... ओ धर्म के ठेकेदारों
    ... मन्दिर के द्वारे खड़े हुए
    ... बचपन से, इनको गाली दे, क्या बीज डालते हो भारी!
    ... फूलों को अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली?

    बाजू में ही दिखा
    यह ब्लाग जातिवाद, धार्मिक कट्टरता ... से नहीं जुड़ा है!
    समाज ...में नफरत फ़ैलाने वाले ...यहाँ प्रकाशित नहीं किये जायेंगे
    न ही किसी व्यक्ति अथवा पार्टी विशेष की आलोचना को महत्व दिया जायेगा!

    अब सोच में पड़ गया हूँ कि आपके इन विरोधाभासों के चलते क्या करूँ
    सो बिना टिप्पणी किए जा रहा :-(

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  13. गौमाता एक उर्दू अखबार चबा रही है
    पेट की भूख से अकुलायी है, शायद ?

    टिप्पणी देने की व्याकुलता में
    पाबला जी से सहमति, क्योंकि
    गौमाता एक उर्दू अखबार चबा रही थीं ।

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  14. सतीश भाई बज की तरह अब मैं यहां कह देता हूं कि ..जवाब तो पाबला जी को भी दिया जाना चाहिए ....\ :) :) :)

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  15. @ श्री बी एस पाबला,
    कई बार शब्दों से गलत फहमी पैदा हो जाती है , सुझाव के लिए आभार !

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  16. @ अजय कुमार झा,
    आज कल डॉ अमर कुमार जैसे कमेन्ट कर रहे हो , उनसे तो कुछ कह नहीं सकता :-) मगर तुम्हारे कोर्ट के दरवाजे पर हड़ताल करनी पड़ेगी ! :-)

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  17. करिए करिए ..मैं डा साहब के साथ संयुक्त मोर्चा बना लूंगा ..:) :) :)

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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