Friday, June 6, 2008

किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है -सतीश सक्सेना

लड़कियां घूरें आँखें फाड़ ,

उम्र में लगते बाप समान 
न आता मर्यादा का ध्यान 
हमारे मन में उठें सवाल ,
किसी के गंजे सर पर , 
हाथ फिराने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है !

बने फिरते गाँधी के शिष्य
आचरण पर देते व्याख्यान
सुरा सुंदरियों में है मस्त,
देश के नेता बने महान
भरे चौराहे इनको जूत, 

लगाने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है!

पढाएँ कक्षा में मन मार
बेचते शिक्षा खुले बाज़ार
पुराने गुरुकुल के वे गुरु
और ये गुरु के नाम कलंक
हमारा अपने सिर के बाल 
नोचने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है !!

22 comments:

  1. भरे चौराहे इनको जूत, लगाने का दिल करता है !

    ऐसी शख्सियत तो इसी काबिल है।

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  2. पढाएँ कक्षा में मन मार
    बेचते शिक्षा खुले बाज़ार
    पुराने गुरुकुल के वे गुरु
    और ये गुरु के नाम कलंक,...

    बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  3. जो दिल आये कीजिये.......................
    भड़ास निकल जाने से जी हल्का हो जाता है.....


    सादर.

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    1. बड़ा प्यारा कमेन्ट है....

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  4. इस कड़बी सच्चाई से मुंह मोडना मुश्किल है...

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  5. क्या कहें अब .......अपना भी हैं ये ही हाल कि
    चीख चीख कर चिल्लाने का मन करता हैं ...

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  6. कुछ और कुलक्षणी बेनकाब किये जायें।

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  7. सतीश जी ,बहुत सही चित्र खींचा है ,
    ऐसे लोगों के दस जूते मारे कर उसे एक गिनना चाहिये !

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  8. बहुत खूब.....मेरी भी यही इच्छा होती है.

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    1. फिर यह सब सुधर जायेंगे शहजादी ...

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  9. कम रह गए...और बहुत हैं जिन्हें देख यही सब करने का दिल करता है :(

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  10. सच में, कभी-कभी मन ये सब देखकर गहरी निराशा से भर जाता है. लेकिन कुछ अच्छे लोगों को देखकर आशा नहीं मरती.

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    1. यही जीवन है ...
      शुभकामनायें आपको !

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  11. किसी के गंजे सर पर , हाथ फिराने का दिल करता है !

    इस पंक्ति पर आप की इस रचना पर
    खिलखिलाकर हंसने का मन करता है !

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  12. क्या गंजे ही देखते आँख फाड?
    जटा-जूट सब बनते है ताड़?
    युवा को क्या सब अधिकार?
    क्या बुड्ढे सब लग जाय पार?
    इसी बात पर आपको गंजा विरोधी कहने का दिल करता है :)
    और भड़ास पर आपकी कुछ पानी बहाने का दिल करता है॥

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    1. यह टिप्पणी, आपके हास्य बोध "किसी के गंजे सर पर, हाथ फिराने का दिल करता है !" की प्रतिक्रिया स्वरूप उपजा निर्मल हास्य मात्र है।

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    2. आप का स्वागत है भाई जी ....

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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