Tuesday, May 8, 2012

काश कहीं से मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत ! - सतीश सक्सेना

सबसे पहला गीत सुनाया
मुझे सुलाते , अम्मा ने !
थपकी दे दे कर बहलाते
आंसू पोंछे , अम्मा ने !
सुनते सुनते निंदिया आई,
आँचल से निकले थे गीत !
उन्हें आज तक भुला न पाया, बड़े मधुर थे मां के गीत !

आज तलक वह मद्धम स्वर
कुछ याद दिलाये कानों में !
मीठी मीठी लोरी की धुन,
आज भी आये, कानों में !
आज मुझे जब नींद न आये,
कौन सुनाये ,आकर गीत ?
काश कहीं से मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !

मुझे याद है ,थपकी देकर,
माँ अहसास दिलाती थी !
मधुर गुनगुनाहट सुनकर
ही, आँख बंद हो जाती थी !
आज वो लोरी उनके स्वर में,
कैसे गायें मेरे गीत !
कहाँ से लाऊं उस थपकी को, माँ की याद दिलाते गीत !

अक्सर पेन पेन्सिल लेकर
माँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
पापा इतना याद न आते
पर जब आते, खूब रुलाते !
उनके गले में, बाहें डाले ,
खूब झूलते , मेरे गीत !
पिता की उंगली पकड़े पकड़े ,चलाना सीखे मेरे गीत !

पिता में बेटा शक्ति ढूंढता
उनके जैसा कोई न देखा !
भय के अंधकार के आगे
उसने उनको लड़ते देखा !
वह स्वरुप, वह शक्ति देखकर,
बचपन से ही था निर्भीक !
शक्ति पुरुष थे , पिता हमेशा, उन्हें समर्पित मेरे गीत !

राम रूप कुछ विद्रोही थे ,
चाहे कुछ हो सर न झुकाएं
कुछ ऐसा कर पायें जिससे
घर में उत्सव रोज मनाएं !
सदा उद्यमी, जीवन उनका,
रूचि रहस्यमय, निर्जन गीत !
कभी कभी मेरे जीवन में, वे खुद ही लिख जाते गीत !

शक्ति पिता से पायी मैंने,
करुणा पायी माता से !
कोई कष्ट न पाए मुझसे ,
यह वर मिला विधाता से !
खाली हाथों आया था मैं ,
भर के गगरी छोड़े गीत !
प्यासे पक्षी, बया, चिरैया सबकी प्यास बुझायें गीत !

क्या मैं तुमसे करूं शिकायत
प्यास नहीं बुझ पाएगी !
क्या जीवन भर खोया पाया
उम्र फिसलती जायेगी !
जितना जिया, खूब पाया है,
खूब हंस लिए मेरे गीत !
मस्ती के अनंत सागर में, जी भर गोते खाते गीत !

जीवन की वे भूलें मेरी ,
याद आज भी आती है !
भरी डबडबाई, वे ऑंखें ,
दिल में कसक जगाती हैं !
जीवन भर के बड़े वायदे,
सपने खूब दिखाएँ गीत !
भुला के वादे, निश्छल दिल से, शर्मिन्दा हैं, मेरे गीत !

याद मुझे, वे निर्मल बातें ,
बचपन याद दिलाती बातें
दिवा स्वप्न जो हमने देखे
बिखर गए, भंगुर शीशे से !
जीवन भर के कसम वायदे,
नहीं बचा पाए थे गीत !
अब क्यों रोये मनवा मेरा, मदद नहीं कर पायें गीत !

बहुत दिनों से, बोझिल है
मन, कर्जा चढ़ा मानिनी का !
चलते थे, भारी मन लेकर
मन में बोझ, संगिनी का !
दारुण दुःख में साथ निभाएं, 
कहाँ आज हैं ऐसे मीत !
प्यार के क़र्ज़े उतर ना पायें , खूब जानते मेरे गीत !

जीवन की कड़वी यादों को
भावुक मन से भूले कौन ?
जीवन के प्यारे रिश्तों मे
पड़ी गाँठ, सुलझाए कौन ?
गाँठ पड़ी, तो कसक रहेगी,
हर दम चुभता रहता तीर !
जान बूझ कर, धोखे देकर, कैसे नज़र झुकाते गीत !

पता नहीं कुल साँसें कितनी
हम खरीद कर , लाये हैं !
कल का सूरज नहीं दिखेगा
आज समझ , ना पाए हैं !
भरी वेदना मन में लेकर ,
कैसे समझ सकोगे प्रीत !
मानव मन फिर चैन न पाए, जीवन भर अकुलायें गीत !

70 comments:

  1. माँ बाऊ जी को याद करते हुए-
    प्रभावी प्रस्तुति दे गए भाई जी -
    शुभकामनायें ||

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    Replies
    1. शुक्रिया कविवर ...

      Delete
  2. जिंदगी को समझ के साथ जीना आना चाहिए,वरना तो वह बेकार ही लगती है। गीत हमेशा की तरह बहुत कुछ कह रहा है1

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    Replies
    1. आभार राजेश भाई ...
      आपके शब्द महत्व रखते हैं !

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  3. बेहद सुन्दर गीत!
    जीवन के कई आयाम मुखरित हो उठे हैं!
    सादर!

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  4. भाव धाराप्रवाह बहते हैं आपके गीतों में।

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  5. वाह!!!!

    गीत पर गीत!!!!

    क्या दुनियां से करें शिकायत
    प्यास नहीं बुझ पाएगी !
    क्या जीवन भर खोया पाया
    उम्र फिसलती जायेगी !
    जितना जिया,खूब पाया है, खूब हँसे हैं, मेरे गीत !
    मस्ती के अनंत सागर में,जी भर गोते खाते गीत !

    बहुत सुंदर.
    अनु

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  6. सारी मन की वेदना उड़ेल दी अपने गीत में आपने भाई जी .....
    ज्यादा कुछ कहने की हिम्मत नही छोड़ी आपने .....
    बस! हम जैसों के... तो हम जैसे ही हैं ???
    चलो ! आपको हमारी तरफ़ से ...और आप की तरफ़ से हमें ..
    शुभकामनाएँ!

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    Replies
    1. समस्त मंगल कामनाएं भाई जी...
      हम दिल से आपके साथ हैं !

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  7. कमाल का गीत है बड़े भाई!! लगा जैसे एक गीत में आपने अपने जीवन के पुराने सभी वर्षों को जी लिया!! एक फ्लैश-बैक की तरह!!

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    Replies
    1. यहाँ कुछ और भी लिखना है सलिल भाई ...
      देखते हैं अब मूड कब बनता है ..
      सादर

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  8. पता नहीं कुल साँसे कितनी
    हम खरीद कर , लाये हैं !
    कल का सूरज नहीं दिखेगा
    आज समझ , ना पाए हैं !
    भरी वेदना मन में लेकर , कैसे समझ सकेंगे गीत !
    मानव मन फिर चैन न पाए,जीवन भर अकुलायें गीत

    मन की सारी वेदनाओं लाजबाब प्रस्तुति,......के लिए बभाई

    RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

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  9. एक गीत से सारा संसार समेत लिया सक्सेनाजी बधाई

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    1. शुक्रिया राजेश जी ...
      आपका स्वागत है ...

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  10. भावपूर्ण धारा प्रवाह गीत.

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  11. बहुत भावुक मन से लिखा गीत .
    संवेदनाओं से परिपूर्ण सुन्दर गीत .

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  12. @मानव मन फिर चैन न पाए,जीवन भर अकुलायें गीत

    सही है - भावुक कवि मन कभी चैन न पाए

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  13. जीत पिता से पायी मैंने,
    करुणा माँ की भेंट है !
    कोई कष्ट न पाए मुझसे
    यह अंतिम संकल्प है !

    हर छंद दिल से लिखा गया है ॥बहुत सुंदर गीत

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  14. स्मृति के घर में गूँजते इतने सुन्दर गीत भला कहाँ भुलाये जा सकते हैं..

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    Replies
    1. यह आशीषें आवश्यक हैं मेरे गीतों के लिए !

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  15. गीतों के सरताज यूँ ही नहीं बनता कोई....पुराने रंग में आकार आपने दिखा दिया है कि बहुत-कुछ सरल और सहज शब्दों से कहा जा सकता है.अपनी जीवन-यात्रा को पद्यमय सुना दिया,बिना रुके,बिना झिझके,बिना अतिरिक्त शब्दाडंबर के !

    माता-पिता को समर्पित अद्भुत व लंबी रचना !

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    Replies
    1. सरताज के योग्य नहीं मानता अपने आपको मगर कोशिश करता हूँ कि जो लिखा जाए सामान्य भाषा में लिखा जाया और कम पढ़े लिखों के काम का हो ...
      आपकी टिप्पणी मनोबल बढ़ाती है , गीतों का आकलन आपसे अच्छा भला कौन करे !
      आपका आभार

      Delete
  16. क्या दुनियां से करें शिकायत
    प्यास नहीं बुझ पाएगी !
    क्या जीवन भर खोया पाया
    उम्र फिसलती जायेगी !
    जितना जिया,खूब पाया है, खूब हँसे हैं, मेरे गीत !
    मस्ती के अनंत सागर में,जी भर गोते खाते गीत !
    JIWAN KE RANGON KO SAHALATI THAPTHPAATI KHUBSURAT ABHIWYAKTI.

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    Replies
    1. धन्यवाद आपका ...रमाकांत सिंह!

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  17. विश्वनाथ को सर न झुकाया , बड़े अहंकारी थे गीत !
    वहीँ याद कर भूलें अपनी,फफक फफक कर रोये गीत !............(जिंदगी का एक अधूरापन कितना दुःख .कितनी तकलीफ देता हैं ...ये आपकी कविताओं से पता चलता हैं )

    गीतों का यूँ रोना ..कुछ शब्दों और कविताओं की रचना का आरम्भ होना हैं ....

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    Replies
    1. आज का बेहतरीन कमेन्ट ...

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  18. हर शब्द दिलसे निकला लगता है
    बहुत सुंदर रचना ........

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  19. जीवन की वे भूलें मेरी
    याद आज भी आती है !
    भरी डबडबाई, वे ऑंखें ,
    दिल में कसक जगाती हैं
    जीवन भर के बड़े वायदे, सपने खूब दिखाएँ गीत !
    भुला के वादे,निश्छल दिल से,शर्मिन्दा हैं,मेरे गीत !


    भावुक करते गीत ...
    बहुत सुंदर ...!!
    शुभकामनायें .

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  20. bahut achchhee prastuti...dhanyavaad.

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  21. गीत ही तो हमें अपने भावनाओं में बहा कर अपने अनंत सागर में समेट भी तो लेता है..

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  22. जीवन गीत के सारे सुर स्वर यूँ हीं आप गाते रहें , हम भी प्रेरणा पाते रहें

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    Replies
    1. आपका आभार रश्मि प्रभा जी ....

      Delete
  23. पता नहीं कुल साँसे कितनी
    हम खरीद कर , लाये हैं !
    कल का सूरज नहीं दिखेगा
    आज समझ , ना पाए हैं !
    भरी वेदना मन में लेकर , कैसे समझ सकेंगे गीत !
    मानव मन फिर चैन न पाए,जीवन भर अकुलायें गीत !

    .....सम्पूर्ण जीवन की यादें बहुत ही भावपूर्ण शब्दों में एक रचना में उंडेल दी हैं...नमन है भाई जी आपकी लेखनी को. बस यही कह सकता हूँ 'कभी कभी जीवन में मिलते, सुनने को ये सुन्दर गीत.'

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    Replies
    1. आपका यह नमन भाव विह्वल करता है भाई जी , लगता है वाकई अच्छा बन पड़ा है यह गीत ...
      आभार !

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  24. आपका यह गीत.. केवल केवल गीत नहीं है... ये जीवन की यात्रा हैं... माँ की लोरी से शुरू होने वाला यह गीत... बचपन, जवानी और घर परिवार से होते हुए बढ़ रही है.. व्यापक हो रही है.. जीवन के कितने ही रंग... ख़ुशी के अवसाद के.. प्रेम के... प्रेरणा के ... इस एक गीत में हैं... सलिल जी से ठीक ही कहा है कि इस गीत में आपने पुराने वर्षो को जी लिया है... कविता की जिस परंपरा को साहित्य भूल रहा है.. विस्मृत कर रहा है.. उस परंपरा को मैं पुनर्जीवित होते देख रहा हूं..

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    Replies
    1. @ कविता की जिस परंपरा को साहित्य भूल रहा है.. विस्मृत कर रहा है.. उस परंपरा को मैं पुनर्जीवित होते देख रहा हूं..

      यह सच है कि आजकल गीत कम लिखे जा रहे हैं और जहाँ लिखे जाते हैं उन्हें पढने में लोगों को रूचि कम है ! मुझे लगता है कि गीतों की मधुरता पर लोगों का ध्यानाकर्षण आवश्यक है और इसमें गीतों को प्रोत्साहन देना चाहिए जो प्रकाशक से अधिक और कौन कर पायेगा !
      आभार आपका !

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  25. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

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  26. माता -पिता की याद जब मन को विह्वल कर देती है ,ऐसे ही करुण-मधुर गीत रच जाते हैं !

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    Replies
    1. आभार ...
      आपकी आशीषों के लिए

      Delete
  27. सुन्दर कविता है सतीश जी.

    ReplyDelete
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    बड़े भाई
    कुछ कह सकें , इस लायक छोड़ दिया करें कभी तो … … …

    ReplyDelete
    Replies
    1. राजेंद्र के आते ही जैसे गीतों में जान पड़ जाती है ...
      आपके दिए गए डाट प्रेरणा शील हैं शारदापुत्र , मेरा प्रयत्न होगा कि आपके पसंद लायक कुछ और लिख सकूं !
      आभार आपका !

      Delete
  29. दिन ख़ूबसूरत बीतेगा आज, प्रणाम स्वीकारें|

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    Replies
    1. आज का दिन मेरा भी अच्छा है ,
      हिम्मत अफजाई के लिए आभार संजय !

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  30. अब तो भाई जी पूरे गीत कलश का ही बेसब्री से इंतज़ार है जिसमें इस जैसे कितने ही नायाब गीत भरे होंगें -अब इस गर्मी और आतप में और न तड़पाओ....अपने शुभाकांक्षियों पर कुछ तो नेह बरसा जाओ ! मन तृषित बना है युगों युगों से ..कुछ तो अमृत छलका जाओ ......
    आपके सानिध्य में पामर भी गीतकार बन जायेगा .....यू हैव प्रूव्ड योरसेल्फ सर!

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    Replies

    1. आपके यह शब्द भाव विह्वल करने में समर्थ है डॉ अरविन्द मिश्र....

      आप उन लोगों में से हैं जिन्होंने शुरू से मेरी हिम्मत अफजाई की है अगर आपसे प्रेरणा न होती तो शायद गीतों में मधुरता कायम न रहती !

      टिप्पणिया तो यहाँ बहुत मिलती हैं मगर ध्यान से पढ कर दी गयीं, गुरु जनों की टिप्पणियां नितांत दुर्लभ जैसी ही हैं ! इनमें बेहतरीन रचना करवाने की शक्ति निहित होती है !

      आपके आशीर्वाद से रचना प्रखर हुई है !

      आभार आपका !

      Delete
  31. सतीश जी, आपने भाव-विह्वल कर दिया। इतनी सुन्दर रचना पर कुछ कहते नहीं बन रहा। प्रणाम!

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    Replies

    1. अनुराग शर्मा को मैं हिंदी के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक मानता रहा हूँ , आपके कहे शब्द मेरे लिए ख़ास महत्वपूर्ण ही नहीं, प्रेरणास्पद भी हैं ! मेरे लिए, आपका यहाँ आना ही गौरव शाली है !
      आभार आपका गुरुदेव ! !

      Delete
  32. लिखा तो आपने गज़ब का है ! आपकी भावनाओं और लिखे की जितनी भी तारीफ करूं कम है सतीश भाई !



    ...पर




    अम्मा बाबू जी के भरोसे ?

    ब्लागिंग ?

    कब तक :)

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    Replies
    1. और किसके भरोसे गुरु ...:)) ??

      Delete
    2. बहुत दिनों से आपने उनपर नहीं लिखा जो लोगों पे कहर गुज़ार दें , भूखा मार दें :)

      Delete
    3. जुल्मियों पर ??
      खुल के प्रकाश डालें हुज़ूर, आदेश का पालन होगा !

      Delete
    4. अब क्या प्रकाश डालें ? आप तो पहले भी , बंदे को फांका करवा चुके हैं :)

      Delete
  33. जीवन भर की स्मृतियों का खजाना एक कविता में ....

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    Replies
    1. आपका स्वागत है ....

      Delete
  34. is geet ka print lekar ghar gaya.....bitiya shalini aanchal aur
    pragati aanchal ne ise khoob maje se ek-ek pankti aage-piche bari-bari se padhe aur lagbhag yaad kar liya.....sayad abhi o dono
    is saral-sahaj bol ke bhitar ke dard ko nahi mahsoos kar saki....

    apan to sallute karte hain. aur haan arvind bhaijee ki baat pe dhyan de khas.


    pranam.

    ReplyDelete
    Replies
    1. शालिनी, आँचल और प्रगति को कहियेगा कि ताऊ ने उनके लिए और भी कई रचनाएं लिखी हैं ! मेरे गीत की प्रतिलिपि इन दोनों के लिए अवश्य भेजूंगा !
      अक्सर मैं बच्चों में खासा लोकप्रिय हूँ ...
      सस्नेह आशीर्वाद इन तीनों को !

      Delete
  35. यादों की सुन्दर पिटारी गीतो से भरी है सारी ...बहुत भावपूर्ण गीत ..सतीश जी..बधाई..

    ReplyDelete
  36. बक़ौल अनजानः
    मैं कब गाता मेरे स्वर में,प्यार किसी का गाता है
    याद किसी की जब आती इक,नया गीत बन जाता है

    ReplyDelete
  37. पिता में बेटा,शक्ति ढूँढता
    विश्वविजेता उन्हें मानता
    नंगे हाथों, बरसातों में ,
    नाग को पकडे,उनको देखा !
    वह स्वरुप,वह शक्ति देखकर,बचपन से ही था निर्भीक !
    शक्ति पुरुष थे पिता हमारे, उन्हें समर्पित मेरे गीत !

    Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/#ixzz0XZwTUj00
    इसे शब्द चित्र कहें बीते कल का या जीवन वृत्त का ताज़ा गीत ,है ये कितना बढ़िया गीत .

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  38. sateesh bhai ji
    maa ki loori pita ki shakti aur sampurn parivaar katyag v ullas
    hamaare liye hi to hota hai jinse ham sambal pakar jindgi ke naye safar par nikal padte hain.
    samst antar bhavnao ko bhav vibhor kar gai aapki anupamm kriti.kash aisa sabhi sochte-------
    sadar naman
    poonam

    ReplyDelete
  39. sateesh bhai ji
    maa ki loori pita ko shakti aur pure parivaar ka sanen v tyag sab kuchh samahit hai aapki is anupam kriti me.yahi to hamaara sambal banti hain bhavushhy me ek naye safar ki taraf kadam badhane ke lye---
    hardik namn ke saath
    poonam

    ReplyDelete
  40. जीत पिता से पायी मैंने,
    करुणा माँ की भेंट है !
    अद्वितीय विरासत
    भावुक स्वर

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  41. waah bahut accha laga aapka geet satish jee man ko bhigo gaya.......

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  42. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  43. कितने सहज, कितने सरल, कितने मीठे तेरे गीत
    राह सुझाते, राह दिखाते, दिल बहलाते तेरे गीत....

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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