Monday, May 6, 2013

काश ! काम आ जाएँ किसी के, इच्छा है दीवानों की .. -सतीश सक्सेना

ख़ामोशी का दर्द न जानों, हम फक्कड़ मस्तानों की 
कहाँ से लाओगे उजला मन आदत पड़ी बहानों की !
गंगटोक 30 मार्च 13 

हँसते हँसते सब दे डाला,अब इक जान ही बाकी है !
काश काम आ जाएँ किसी के,इच्छा है,दीवानों की !

प्यार बाँटते, दगा न करते , भीख न मांगे दुनिया से !
ज्वालामुखी मुहाने  जन्में , क्या  चिंता  अंगारों की  !

अभिशापित जीवन पाया है, क्या हमको दे पाओगे !
जाओ, जाकर, बाहर घूमो ,रौनक लगी बाजारों की  !

बंजारे  को  ख्वाब दिखाते , महलों और मेहराबों के !
बरगद तले, बसेरा काफी, मदद न लें इन प्यारों की !

57 comments:

  1. खूबसूरत कविता.

    हँसते हँसते सब दे डाला , अब इक जान ही बाकी है !
    काश काम आ जाएँ किसी के, इच्छा है ,दीवानों की !

    बहुत बढ़िया लिखा है.

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  2. कहाँ से लायेंगे, उजला मन, आदत पड़ी छिपाने की !
    ... वाह अनुपम भाव लिए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति

    सादर

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  3. सूफी संतों ने सिखलाया , मदद न मांगे, दुनिया से !
    कंगूरों को, सर न झुकाया, क्या परवा सुल्तानों की !

    सतीश जी, एक से बढकर एक, तेवर, मासूमियत, अल्हड मस्ती फ़टकार सहित सब कुछ समेट लिया है आपने इस रचना में. बहुत ही लाजवाब.

    रामराम

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  4. ईमानदारी से दिल को छू लेने वाली लेखनी

    बहुत खूब ...

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  5. Dil se nikla phir ek geet ...pasand aaya bahut...

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  6. प्यार बाँटते, दगा न करते , भीख न मांगे दुनिया से !
    ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की !

    बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति !
    latest post'वनफूल'

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  7. प्यार बाँटते, दगा न करते , भीख न मांगे दुनिया से !
    ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की ...

    खूबसूरत, लाजवाब रचना ... उमंग और उलास हिलोरें ले रहा है इस मस्ती में ...
    बहुत खूब ...

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  8. सुन्दर भाव चित्र परोपकार और बलिदान की आतुरता से प्रेरित .

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  9. वाह...समाज के लिए कुछ करने की इच्छा साफ जाहिर हो रही है...
    प्रेरणादायक कविता...ग़ज़ल !!

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  10. लाजवाब प्रस्तुति ....!!

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  11. बहुत सुन्दर रचना हर पंक्ति में सार्थक सन्देश दिया है
    हर वक्त हंसी हर वक्त ख़ुशी,क्या बात करे हम दिलगीरी की :)

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    Replies
    1. हर वक्त हंसी हर वक्त ख़ुशी
      क्या बात करें, दिलगीरी का !
      हम जिए हमेशा, ऐसे ही
      यदि साथ रहे खुशगीरी का !

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  12. मन संकुचित कहाँ पहचाने, परमपिता को आँखों से !
    नज़र नहीं उठ पायें वहां तक,आदत पड़ी गुलामों की !




    बहुत सुंदर रचना, अच्छा और सकारात्मक संदेश भी

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  13. हँसते हँसते सब दे डाला , अब इक जान ही बाकी है !
    काश काम आ जाएँ किसी के, इच्छा है ,दीवानों की !

    बहुत खूब...सुन्दर कविता

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  14. उल्लास से भरपूर एक बहुत खूबसूरत गीत

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  15. बहुत दिन बाद रंग में आये हो।
    .
    .बधाई।

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  16. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ७/५ १३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

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  17. बहुत सुन्दर मस्त गीत वाह बधाई आपको |

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  18. बहुत ही सुन्दर और रचनात्मक प्रस्तुति,आपका सादर आभार.

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  19. सुन्दर , भावपूर्ण , अर्थपूर्ण ग़ज़ल / गीत।

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  20. गंगटोक की यात्रा शुभ हो।

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  21. सूफी संतों ने सिखलाया , मदद न मांगे, दुनिया से !
    कंगूरों को, सर न झुकाया, क्या परवा सुल्तानों की !
    ..कमाल का सूफियाना अंदाज से भरी रचना ..... बहुत सुन्दर सन्देश ...

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  22. गंगटोक वाली फ़ोटो तो बड्डी सोणी और किसी जवान मुंडे की लगदी है बादशाओ?

    रामराम

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    Replies
    1. राम राम ताऊ !!
      और क्या अपने जैसा बुड्ढा समझ रखा है मुझे ......
      :)

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    2. आपकी जवानी खुदा बनाये रखे पर हम पर यह बुढ्ढे का कहर क्यॊं? हम तो May-2008 में ही पैदा हुये हैं और आपके सामने तो बच्चे ही हैं.:)

      रामराम.

      Delete
    3. आपकी जवानी खुदा बनाये रखे पर हम पर यह बुढ्ढे का कहर क्यॊं? हम तो May-2008 में ही पैदा हुये हैं और आपके सामने तो बच्चे ही हैं.:)

      रामराम.

      Delete
  23. दुनिया वाले क्या पहचाने,फितरत हम मस्तानों की !
    कहाँ से लायेंगे, उजला मन,आदत पड़ी बहानों की !

    आप यूँ ही मस्ताने बने रहिये. बधाई इस सुंदर गीत के लिये.

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  24. संत स्वभाव पाने वालों का स्वभाव ही ऐसा होता है -और इसी में उनका मन सुख पाता है!

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  25. बहुत सुंदर!
    दुनिया वाले क्या पहचाने,फितरत हम मस्तानों की !
    कहाँ से लायेंगे, उजला मन, आदत पड़ी बहानों की



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  26. कविता के विचार सर्वत्र प्रसारित हों ...
    सुन्दर विचार !

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  27. एक सच्चे व्यक्ति के अंतःकरण से निकली आवाज जो कविता बन गई है............

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  28. मस्तानों की बातें मस्ताने जानते हैं..दिल की बातें समझें ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं..

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  29. सूफी संतों ने सिखलाया , मदद न मांगे, दुनिया से !
    कंगूरों को, सर न झुकाया, क्या परवा सुल्तानों की !

    सक्सेना जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने,बधाई

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  30. ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की !
    वाह बहुत सुन्दर !

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  31. बंजारे को ख्वाब दिखाते , महलों और मेहराबों के !
    बरगद तले, बसेरा काफी, मदद न लें उन प्यारों की !

    hamesha ki tarah sundar rachana ...

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  32. ला-जवाब!!

    प्यार बाँटते, दगा न करते , भीख न मांगे दुनिया से !
    ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की !

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  33. बहुत बढ़िया ... बधाई

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  34. अद्भुत रच गये महाराज...

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  35. बंजारे को ख्वाब दिखाते , महलों और मेहराबों के !
    बरगद तले, बसेरा काफी, मदद न लें उन प्यारों की !

    आपकी लाइन को समर्पित क्योकि जिस सूफियाना अंदाज़ में आपने बात कही अदभु और निराली है

    कुम्हार गीली मिट्टी से
    अनगढ़ गढ़ गया
    वेदों की बातें
    लकडहारा कह गया

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  36. निश्छल अन्तःकरण से निकली सच्ची और अच्छी रचना ।

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  37. आपकी रचना को पढ़कर खुद ब खुद मिसरे जहां मे आए...
    बादल कर फकीरों का हम भेस गालिब
    तमाशा ए अहले करम देखते हैं....
    बहुत खूबसूरत गजल बन पड़ी है... वाह!

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  38. ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की ...

    खूबसूरत, लाजवाब रचना ...

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  39. मुक्त हो चले हम अपने में, क्यों किसकी परवाह करें,
    वर्तमान में रहने वाले क्यों भविष्य की आह भरें।

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  40. बहुत उम्दा खयालात .... बधाई

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  41. चलो इसी बहाने पुराने सदा बहार गीतों का आनंद फी लिया गया बधाई ...
    शुभ दिन

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  42. इस भांति निष्काम कर्म एक नेक ख्याल है. कुछ सुंदर करें कुछ सुंदर रचे. शुभकामनायें.

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  43. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..मन को छू गयी .आभार . कायरता की ओर बढ़ रहा आदमी ..

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  44. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..मन को छू गयी .आभार . कायरता की ओर बढ़ रहा आदमी ..

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  45. तुसी ग्रेट हो. घर की बेटी अभी अन्धेरे में हैं. शायद प्रकाशित नहीं हो पाया.

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  46. तुसी ग्रेट हो. घर की बेटी अभी अन्धेरे में हैं. शायद प्रकाशित नहीं हो पाया.

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  47. सुन्दर और सकारात्मक सोच है आपकी---खूबसूरत अभिव्यक्ति

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- सतीश सक्सेना

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