Saturday, September 7, 2013

अफगानों की छाती पे , ये निशान रहेंगे -सतीश सक्सेना

एक और बहादुर भारतीय लड़की ने, तालिबानों की जिद पर, अपनी कुर्बानी दे दी ,बंगाली बऊ  सुष्मिता बनर्जी  के खून के छींटों की याद में, कविता के चंद फूल समर्पित हैं ...

कुछ लोग यहाँ हैं , जो तुम्हें याद रखेंगे ! 
वह आग जो जला गयी,सुलगाये रखेंगे !

कातिल मनाएं जश्न,भले अपनी जीत का 
अफगानों की छाती पे , ये निशान  रहेंगे !

बंगाली बऊ  का यह हश्र ,उनकी जमीं पर 
रिश्तों की बुनावट पे, हम आघात  कहेंगे !

दुनियां से काबुली का ,भरोसा चला गया  !
वह मिट गयी पर सुष्मिता को याद करेंगे !

बामियान,सुष्मिता के नाम,अमिट हो गए 
ये ज़ुल्म ऐ तालिबान , लोग याद  रखेंगे  !

जब भी निशान ऐ खून, तुम्हे याद आयेंगे  
अफगानियों को  चैन  से , सोने नहीं देंगे !

41 comments:

  1. रचना के माध्यम से आपने सच्ची श्रद्धांजलि दी है, अब तो हैवानियत की हदें पार हो चुकी है.

    रामराम.

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  2. Kabuliwalar Bangali Bou को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि!

    समर्पित चंद फूलों में हम सबका स्वर शामिल है...

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  3. वीरांगना को प्रणाम-

    सच्ची श्रृद्धांजलि -
    आभार आदरणीय-

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  4. साहब , हमें तो आपका ' निवेदन' सबसे प्रभावशाली लगा, हमारे हिसाब से आपकी रचनाओं का इससे अच्छा वर्णन नहीं किया जा सकता !

    रही बात रचना के पात्र की, तो इनका नाम पहेली बार ही सुना था फिर मालूम पड़ा की फिल्म ' एस्केप फ्रॉम तालिबान ' इन्ही के उपन्यास से प्रेरित थी . उपरवाली इनकी आत्मा को शांति और हिंसा फैलाने वालों को सद्बुद्धि दे ...

    लिखते रहिये ...

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  5. एक बहादुर लड़की को एक सच्ची श्रद्धांजली आपकी कलम से मिली ये बहुत बड़ी बात है ,बहुत अच्छी लगी दिल छू गई ये प्रस्तुति

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  6. मेरी तरफ से भी उस बहादुर लड़की को सच्ची श्रद्धांजलि ...

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  7. सुष्मिता के प़ति आप के उद्गार सच्चे हैं । आप के ब्लाग का परिचय पहली बार मिला । धन्यवाद ।

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  8. कमज़ोर लोग हैं यह, जो कि डरते हैं अपने विरोध और विरोधियों से... कुचल देना चाहते हैं अपने विरुद्ध हा इक सोच को... दानव हैं यह लोग...

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  9. श्रद्धासुमन......
    आपने शब्दों ने दी है सच्ची श्रद्धांजलि.

    सादर
    अनु

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  10. दुःख हुआ इस तालिबानी कायरता के बारे में जानकर. सीधे ह्रदय से उतरे शब्द हैं आपके.

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  11. ह्रदय से उद्गार......सच्ची श्रद्धांजलि.

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  12. जो हुआ वो दुखद था ...आपके शब्दों के साथ एक श्रद्धांजलि हमारी भी

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  13. भीतर से हिला देती हैं ऐसी घटनाएं..

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  14. श्रद्धांजलि!!!

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  15. आज , अफ़ग़ानि‍स्‍तान में स्‍त्री होना ही अपराध है :(

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  16. Bahut hi nikmma pan hai talibaniyon ke ander

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  17. जब भी निशान ऐ खून, तुम्हे याद आयेंगे
    अफगानियों को चैन से , सोने नहीं देंगे !

    बहुत सुन्दर रचना है रचना किसी शैली ,छंद और शाश्त्र की मोहताज़ भी नहीं होती है। भाव और अर्थ की अन्विति समस्वरता अपना स्थान खुद ब खुद बना लेती है।

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  18. यह काव्य हुंकार यह ओजस्वी ललकार बनी रहे

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  19. सच्ची श्रद्धांजलि.

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  20. बहुत ही सुंदर गजल के मार्फ़त श्रद्धांजलि। ,,,

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

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  21. बहुत ही सुंदर गजल के माध्यम से श्रद्धांजलि।

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

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  22. सुन्दर श्रद्धांजलि।

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  23. आपके गीतों के माध्यम से मेरी ओर से भी श्रधांजलि !!

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  24. सोच को प्रभावित करती पंक्तियां सतीश जी

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  25. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और आप भी पढ़ें; ... मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003 हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | सादर ....ललित चाहार

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  26. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003 में हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | सादर ....ललित चाहार

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  27. मन दुखी हो गया यह जानकर, मैंने फिल्म देखी है, द्रवित कर देने वाली। पता नहीं स्थितियाँ जानकर भी क्यों जाते हैं लोग वहाँ पर।

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  28. कातिल मनाएं जश्न,भले अपनी जीत का
    अफगानों की छाती पे , ये निशान रहेंगे ..

    पता नहीं ऐसे कितने की निशान हैं उनकी छाती पे ... पता नहीं कब हिसाब होगा इंसानियत के क़त्ल का ...

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  29. सुष्मिता की कुर्बानी लेने वाले पछताएँगे.

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  30. श्रद्धांजलि ….
    प्रभावशाली प्रस्तुति

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  31. आदरणीय सतीश जी आपकी भावनाओं का आदर. सुष्मिता बनर्जी बंगाली बऊ नहीं थी वो तो बंगाल की बेटी और अफगान की बऊ थी , जिसने एक अफगान लड़के के लिए अपना देश अपना धर्म सब छोड़ दिया , सुष्मिता की हकीकत हमारी हकीकत है और अफगानों की हकीकत उनकी हकीकत है, यह कोई इकलौता वाकया नहीं है .. आप कलकत्ता की सड़कों में ऐसे अफगानों को आराम से और शान से घुमते हुए देख सकते है जो वहां सूद लगाने का धंधा करते है और वहां की सरकार ने उन्हें बाकायदा लायसेंस दे रखा है .. ऐसी कितनी ही बेटियां हैं, जिनके साथ भारत भूमि पर ही ऐसा हो रहा है , जिनकी कहानी सुर्खी नहीं बन पाती .. लेकिन कोई कुछ नहीं सीख रहा .......... उनकी छाती पे कोई निशान नहीं रहने वाला अगर निशान रहता तो बारह सौ साल के इतिहास में लाखों निशान से उनकी छातियाँ भरी पड़ी होती .. लेकिन हम सच कहेंगे तो सांप्रदायिक कहलायेंगे , वे क़त्ल कर के भी सेकुलर रहते है.. पछताना सिर्फ कायरों की नियति होती है ....

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    Replies
    1. उन्होंने अपने आपको काबुली वाला की बंगाली बऊ कहा था और यह किताब लिखी
      " Kabuliwalar Bangali Bou " , इसे सन्दर्भ में यह कहा गया है !

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  32. ज़रूरत है इन रक्तबीजों से दुनिया को मुक्त किए जाने की .

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  33. भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी के बारे में अभी हाल ही में बहुत कुछ पढ़ा था मैंने,आपकी यह सार्थक,सुन्दर रचना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है !

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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