Friday, October 25, 2013

तुम माँ बन मुझे सुलाओ, तो सो सकता हूँ - सतीश सक्सेना

मैं चाहूँ भी , सिद्धार्थ नहीं बन सकता हूँ 
राहुल यशोधरा को कैसे खो सकता हूँ !

जग जाने कब से गीत,युद्ध के  गाता है
क्या गीतों से विद्वेष रोज धो सकता हूँ !

यूँ आसानी से, हमको भुला न पाओगे !
आशाओं के मधुगीत रोज बो सकता हूँ !

जी करता आग लगा दूँ,निष्ठुर दुनियां में 
माँ आकर मुझे मनाये, तो रो सकता हूँ !

बरसों से नींद न आयी  मुझको रातों में ,
कोई आकर लोरी गाये,तो सो सकता हूँ !

29 comments:

  1. sahi bat ma ki thapki sari chintaayen har leti hai ,,,,,sundat abhwayakti .....

    ReplyDelete
  2. बरसों से नींद न आयी , जग की चिंता में
    तुम माँ बन मुझे सुलाओ तो,सो सकता हूँ
    क्‍या बात है, भावमय करते शब्‍दों का संगम ....

    ReplyDelete
  3. जग की चिन्ता, माँ की थपकी,
    दोनों मन को घेरे रहते,
    एक गयी, दूजी आ जाती,
    हर पल स्वप्न घनेरे रहते।

    ReplyDelete
  4. सुन्दर गीत !!
    बधाई

    ReplyDelete
  5. जब से मैंने तुझको खोया
    चैन से फिर मैं कभी न सोया ......

    ReplyDelete
  6. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

    ReplyDelete
  7. सशक्त सारगर्भित रचना ....!!

    ReplyDelete
  8. तुम गाते गाते साथ मेरे , थक जाओगी
    मैं दर्द गीत के रोज , नए गा सकता हूँ !
    बहुत सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  9. माँ तो माँ है ..जिसके जेसा कोई नही,,..

    ReplyDelete
  10. माँ तो माँ होती ..जिसके जेसा कोई नहीं ,,

    ReplyDelete
  11. कोमल भावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही भावपूर्ण रचना..

    ReplyDelete
  12. कोई गाता मैं सो जाता -गुनगुनाने का अवसर दिया आपने -आभार!

    ReplyDelete
  13. मैं जल जाउंगी
    मां भी बस
    मैं ही बन पाउंगी
    तुम सोच नहीं सकते जो
    मैं वो भी कर जाउंगी
    ना कहूंगी ना ही लिखूंगी
    मुझे आता है
    अपना धर्म निभाना
    इशारा कर के तो देखो
    तुम्हारे सोचने तक
    तो मैं मिट जाउंगी !

    ReplyDelete
  14. चिर संचित अभिलाषाओं को खूबसूरती से शब्दों में पिरोया गया है।

    ReplyDelete
  15. बरसों से नींद न आई ,जग की चिंता में

    तुम माँ बन मुझे सुलाओ, तो सो सकता हूँ -

    सतीश सक्सेना

    सुन्दरम मनोहरं

    ReplyDelete
  16. बहुत खुबसूरत रचना ....

    ReplyDelete
  17. निश्छल दिल लेकर इस बस्ती में जन्मा हूँ
    तुम प्यार के गीत सुनाओ, तो रो सकता हूँ

    बहुत खूब ,,,,,
    साभार !

    ReplyDelete
  18. शानदार प्रस्तुती

    ReplyDelete
  19. बहुत शानदार रचना अतिसुन्दर वाह्ह्ह

    ReplyDelete
  20. नितांत मार्मिक और सशक्त रचना.

    रामराम.

    ReplyDelete
  21. बेहतरीन और लाजवाब |

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,