Saturday, October 5, 2013

आखिर कुछ तो बात रही है, कंगूरों मीनारों में - सतीश सक्सेना

इतने  भी बदनाम नहीं हैं , गिनती हो आवारों में !
तुम लाखों में एक,तो हम भी जाते गिने,हजारों में!

माना तुम हो ख़ास,बनाया बैठ के,रब ने फुर्सत में !
हम भी ऐसे आम नहीं जो,बिकते गली बजारों में !

यूँ  ही  नहीं, हज़ारों बरसों से , ये मेले लगते हैं !
आखिर कुछ तो बात रही है , कंगूरों मीनारों में !

जनता का विश्वास जीतने , पाखंडी घर आये हैं ! 
नेताओं  के मक्कारी , की चर्चा है ,अखबारों में !

यूँ ही राधा नहीं, किसी की धुन में,डूबी रहतीं थीं ! 
कुछ तो ख़ास बुलावा होगा,मोहन की मुस्कानों में !

26 comments:

  1. वाह! आनंददायक। बहुत बधाई।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही रोचक...प्रयोगात्मक ग़ज़ल...

    ReplyDelete
  3. आदर प्रणाम
    बहुत ही खूबसूरत रचना |
    मैं मानता हूँ दिल की गहराईयों से जब भी किसी कों पुकारा जाता हैं ,तो दौड़ा दौड़ा ...आता हैं ,चाहे भगवान ही क्यूँ न हों
    अजय

    ReplyDelete
  4. यूँ ही राधा नहीं, किसी की धुन में,डूबी रहतीं थीं !
    कुछ तो ख़ास बुलावा होगा,मोहन की मुस्कानों में !
    ....... वाह सतीश जी !
    आपकी यह उत्कृष्ट रचना ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in पर कल दिनांक 6 अक्तूबर को लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें ...
    साभार सूचनार्थ

    ReplyDelete
  5. मुस्कानों में कैसे भेद हो ........मोहन के मुस्कान से राधा हो गई ढोंगी की मुस्कान से ........?

    ReplyDelete
  6. waah hamesha ki tarah khubsurat ...

    ReplyDelete
  7. सुन्दर गीत -
    भाव कथ्य अनुपम
    आभार आदरणीय-

    ReplyDelete
  8. अति सुन्दर ..

    ReplyDelete
  9. यूँ ही राधा नहीं, किसी की धुन में,डूबी रहतीं थीं !
    कुछ तो ख़ास बुलावा होगा,मोहन की मुस्कानों में !

    एक करोड़ की एक पक्की बात कोई किसी का यूँ ही नहीं हो जाता

    ReplyDelete
  10. एक से एक बहुत सुन्दर शेर है सभी !

    ReplyDelete
  11. इतने भी बदनाम नहीं हैं , गिनती हो आवारों में !
    तुम लाखों में एक,तो हम भी जाते गिने,हजारों में i

    वाह ! बहुत सुंदर
    नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
    RECENT POST : पाँच दोहे,

    ReplyDelete
  12. यूँ ही राधा नहीं, किसी की धुन में,डूबी रहतीं थीं !
    कुछ तो ख़ास बुलावा होगा,मोहन की मुस्कानों में !

    बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर ,हम भी है हजारों में !
    latest post: कुछ एह्सासें !

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर और सटीक...

    ReplyDelete
  15. माना तुम हो ख़ास,बनाया बैठ के,रब ने फुर्सत में !
    हम भी ऐसे आम नहीं जो, टपके हों असमानों से !

    आप तो बड़े "ख़ास" आम हैं :-)
    बहुत बढ़िया शेर...

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  16. यूँ ही राधा नहीं, किसी की धुन में,डूबी रहतीं थीं !
    कुछ तो ख़ास बुलावा होगा,मोहन की मुस्कानों में !
    बहुत सुन्दर शेर
    सुरेश राय
    कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
    http://mankamirror.blogspot.in

    ReplyDelete
  17. बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  18. सटीक और नायाब शेर, हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  19. माना तुम हो ख़ास,बनाया बैठ के,रब ने फुर्सत में !
    हम भी ऐसे आम नहीं जो, टपके हों असमानों से !

    bahut sundar bhavpoorn prastuti ...abhaar

    ReplyDelete
  20. यूँ ही राधा नहीं, किसी की धुन में,डूबी रहतीं थीं !
    कुछ तो ख़ास बुलावा होगा,मोहन की मुस्कानों में !
    लाजबाब !

    ReplyDelete
  21. बात तो राधा में भी कुछ रही होगी जो मोहन के अधरों पर मुस्कान है !
    खूबसूरत रचना !

    ReplyDelete
  22. मोहन की मुस्कान की तरह मनमोहक :-)

    ReplyDelete
  23. वाह, सच में सच मिल रहा है।

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,