Friday, November 1, 2013

क्या आप फिरदौस खान को जानते हैं - सतीश सक्सेना

यह फिरदौस खान हैं , भारत की लाड़ली बेटी ! ईश्वर उनकी सी हिम्मत, देश की हर लड़की को दे , दीपावली मुबारक हो Firdaus Khan !
अपनी ही तस्वीर पर बिंदी लगाने के ऐतराज़ पर उनका जवाब और कुछ अन्य कमेंट पढ़ें . .

" हमें बिंदी बहुत पसंद है... आप भी सभी मज़हबों को अपनाकर देखिए... यक़ीनन आपको बहुत अच्छा लगेगा... हम किसी विशेष मज़हब को नहीं मानते... हमारे लिए सभी मज़हब बराबर हैं... हमें जितना सुकून किसी मज़ार पर चिराग़ रौशन करके और अगरबत्तियां जलाकर मिलता है, उतना ही सुकून गिरजाघर में मोमबत्ती जलाकर और मंदिर में देवता को फूल चढ़ाकर मिलता है... "

"हम मन से ईसाई, संस्कृति से हिंदू और जन्म से मुसलमान हैं... ऐसा कहा जा सकता है..."

"समझ में नहीं आता... ’जिन लोगों’ को हिंदुओं और हिंदू संस्कृति से इतनी परेशानी है , तो वे हिंदुस्तान छोड़कर चले क्यों नहीं जाते... "

" कट्टरपंथी सिर्फ़ मौत की बात करते हैं... इसलिए दुनिया भर में मौत ही बांट रहे हैं... ये लोग ’जिओ और जीने दो’ में यक़ीन नहीं करते... इसलिए इनसे ऐसी उम्मीद करना ही बेकार है..."

फिरदौस खान की बहादुरी को सलाम !!

18 comments:

  1. मन से हिन्दू/मुस्लिम/ईसाई क्यूँ होना...
    मन से बस इंसान न हुआ जाय ???

    सादर
    अनु

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  2. बहुत अच्छी रचना...
    मेरी नयी रचना के लिये पधारें...
    http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

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  3. फिरदौस जी के बहुत सुन्दर सुविचार हैं ....आखिर जात धर्म से पहले तो सभी इंसान जो हैं ....
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति प्रेरक प्रस्तुति

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  4. सब मिलाकर एक सही इंसान -सुन्दर विचार
    नई पोस्ट हम-तुम अकेले

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  5. मैंने इन के विचारो को जिस तरह जाना ... उस अनुभव के बाद इन से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा ... छद्म धर्मनिरपेक्षता कोई मतलब नहीं होता |

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  6. Jab hum naye naye the to aapki posts par inke comments dikhte thay. Tab shayad padha bhi tja inko. Bahut achchhe vichar hain..

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  7. जींस पैंट बिंदी का भी धर्म होता है क्या?
    दिमाग से पैदल कई तरीके के होते हैं
    इन्ही सब बातों से तो पता चलता है !

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  8. जी हाँ फिरदौस जी कि लेखनी से वाकिफ हूं, एक-दो बार गुफ़तगू भी हुई है। गंगा जमुनी संस्कृति को पोषित करती उनकी कलम को सलाम है।

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  9. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय -
    शुभकामनायें भी-

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  10. फिरदौस जी की सहिष्णु विचारधारा को सलाम!!

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  11. जानते तो नहीं लेकिन इतना जानते हैं कि गलत को गलत कहने का साहस वाकई काबिले तारीफ़ है .

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  12. काश ऐसी भावना सभी देशवासियों की हो !!

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  13. फिरदौस जी की बहुत सी बातें पसंद हैं मगर कुछ से असहमत भी हूँ... हालाँकि सबका सोचने का अपना-अपना नज़रिया होता है। मेरी सोच यह है कि अपनी धार्मिक आस्थाओं पर चलने के बावजूद सबके साथ प्यार-मौहब्बत से रहा जा सकता है। धर्म मानवता सिखाता है, बशर्ते की धर्म का दिखावा भर ना हो...

    हम चाहे किसी भी धर्म का पालन करते हों, हमारे अन्दर इंसानियत और भाई चारे की भावना होनी चाहिए।

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  14. हमने तो उन्हें खूब शिद्दत से जाना
    उन्होंने मगर कभी न खबर ली मेरी
    आपकी नज़रो का यह है दिलकश नज़ारा
    आज फिर से मैंने चश्में बद्दूर को जाना

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  15. इनका परिचय भी तो आना चाहिए था।

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  16. अनेकता में एकता यह एक अच्छी बात है लेकिन इन सबका मेरे अनुसार धर्म से कोई संबंध नहीं है ! फिरदौस जी बहुत अच्छा लिखती है मैंने इनको पढ़ा है, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकारे !

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  17. ऐसी ही शख्सियतों की जरूरत है आज.

    दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  18. आज इन्सान होना ही काफी है ... अगर हो सकें तो ...

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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