Friday, February 21, 2014

सारे गॉँव की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं - सतीश सक्सेना

छलके अाँसू हाथ से पोंछे,दुनियां में इंसान वही है !
प्रेम दया ममता हो मन में,बस्ती में धनवान वही है !

खेत जमीं जंगल आपस में मम्मी पापा बाँट लिए 
दोनों फैलें हाथ मुक्तमन,गले मिलें इंसान वही है !

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, बच्चे हैं भारत माँ के,
विश्व में ऐसा होते देखे, अपना हिंदुस्तान वही है !

अगर चार बच्चे भी माँ के, उसे अकेला छोड़ गए 
सारे जग की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !

सारे धर्म ग्रन्थ सिखलाए नफ़रत बड़ा गुनाह बताएं 
राजनीति के चश्में फेंको,पढ़िए वेद,कुरान वही हैं !

27 comments:

  1. प्रेम से रहना आ जाये तो सारे दुःख दूर हो जाएँ..बहुत सुंदर बोध देता गीत !

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  2. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति...! सतीस जी...
    RECENT POST - आँसुओं की कीमत.

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  3. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति...! सतीस जी ,,

    RECENT POST - आँसुओं की कीमत.

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  4. सहजीवन के तत्व समझाती पंक्तियाँ, बहुत सुन्दर।

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  5. बहुत ही सशक्त और सटीक, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  6. बहुत सुंदर रचना वाह !

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  7. चारो लड़के गए दूर को , अम्मा को घर प्यारा है !
    सारे गॉँव की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !
    kitni badi sachchai hai
    badhai
    rachana

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  8. चारो लड़के गए दूर को , अम्मा को घर प्यारा है !
    सारे गॉँव की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !---कितनी गहरी और मार्मिक बात आपने कितनी सहजता से कहदी ।आपकी इस रचना ने निःशब्द बना दिया ।

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  9. बढ़िया कविता

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  10. बेहतरीन सन्देश प्रद रचना ... सुन्दर कविता ..

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  11. बहुत खूबसूरत रचना...

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  12. वाह वाह .... इस गीत के लिए खास दाद कबूल करे

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  13. छलके आंसू जो पोंछे ,बस दुनिया में इंसान वही है !*
    प्रेम सम्पदा जिसके मन मे,बस्ती में धनवान वही है !
    प्रेम मनुष्य को सच में धनवान बना देता है, सार्थक रचना !

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  14. bahut sundar shabd chhote ...arth bade ....aapke yad dilane par ..bolo basant likha awashy padhen .....thanks ....

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  15. अलग-अलग भावों से सही बात रखता गीत। बहुत बढ़िया।

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  16. सारे धर्म ग्रन्थ सिखलाएँ , प्रेम से रहना मानव को !
    राजनीति के चश्में फेंको,पढ़िए वेद कुरआन वही है !

    सुदंर प्रस्तुति...

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  17. कोरा गुस्सा कहाँ -षड्यंत्र ही षड्यंत्र ,और अब भी... !

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    Replies
    1. अपने अपने धर्म निभाने हैं , गुस्सा छोड़ना होगा !! समय सबको बदलेगा !!

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  18. कितनी हम तारीफ करें इन सुन्दर लिखने वालों की
    हम जैसों का इम्तिहान जो हर दिन रोज़ लिया करते हैं।

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  19. सार्थक .. आज के समय पे सटीक बैठती है ... यही हो जाए तो कितना कुछ आसान हो जाएगा ...

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  20. सशक्त और सटीक, शुभकामनाएं...!!

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  21. dil ko chhoo gaye rachna ke bhaav

    shubhkamnayen

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- सतीश सक्सेना

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