Tuesday, May 27, 2014

अहंकार,अभिमान,को अपना स्वाभिमान बतलाये रखना - सतीश सक्सेना

श्रद्धा, निष्ठा, सत्य, प्रतिष्ठा, का सम्मान सजाये रखना !
तुम पर गीत लिखे हैं मैंने, इनकी लाज बचाये रखना !

चंचल मन काबू कर पाना इतना भी आसान नहीं पर 
निष्ठा पूजा याद रहे तो , कुछ विश्वास जगाये रखना !

वेद ऋचाएँ सुनते सुनते, बे मतलब का तर्क न करना !
आशय भले समझ न आये तो भी भ्रान्ति बनाये रखना !

जैसी भी हम किस्मत लाये , ये जीवन बेकार गया, पर
पति पत्नी की सुन्दर जोड़ी का आभास दिलाये रखना !

थके हुए नाविक अब तो नींद से बोझिल होती पलकें,
नज़र  दूर से ही आ जाओ , इतने दीप जलाये रखना !

20 comments:

  1. बहुत सुंदर
    चिंता ना करें वहम बना रहेगा
    टूटना चाहेगा तो वो है ना
    कुछ साल तो चलेगा
    रत्ती भर भी ना टूटने देगा :)

    ReplyDelete
  2. तेरे दर पर हम आए हैं ले कर मन के फूल रुपहले ।
    चरणों पर इन को रख लेना उज्ज्वल भाव बनाए रखना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. वाह ! आनंद मय , आभार आपका !!

      Delete
  3. बहुत खूब...सुन्दर कथ्य व सन्देश...

    ReplyDelete
  4. विश्वास , गरिमा बचाये ही रखनी होगी !
    सुन्दर गीत !

    ReplyDelete
  5. गरिमा और विश्वासों का सम्मान बचा रहेगा यही उम्मीद है।

    ReplyDelete
  6. प्रेरणामय कविता - बहुत सुन्दर संदेश से पूरित !

    ReplyDelete
  7. * नज़र दूर से ही आ जाओ, इतने दीप जलाये रखना!
    - अति सुंदर भाव!

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. चंचल मन काबू कर पाना,भी आसान नहीं है,लेकिन !
      अपनी गरिमा औ विश्वासों का सम्मान बचाये रखना !
      bahut khoob likha
      badhai
      rachana

      Delete
  9. बहुत अच्छी लगी रचना. गाते हुआ पढ़ा.

    ReplyDelete
  10. Satish Ji
    I want to comment in Hindi. Please guide me , how to write in hindi

    regards

    Prof. K K garg

    ReplyDelete
  11. थके हुए नाविक की जैसे,नींद से बोझल होती पलकें !
    नज़र, दूर से ही आ जाओ, इतने दीप जलाये रखना !

    बहुत सुन्दर !!

    ReplyDelete
  12. काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |

    ReplyDelete
  13. काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |

    ReplyDelete
  14. थके हुए नाविक की जैसे,नींद से बोझल होती पलकें !
    नज़र, दूर से ही आ जाओ, इतने दीप जलाये रखना !
    bahut sundar !

    ReplyDelete
  15. खूबसूरत गीत भाई जी ....रिश्ते बनाने से ही बनते हैं ...

    ReplyDelete
  16. कितने सुन्दर भाव,खूबसूरत गीत ...

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,