Sunday, September 21, 2014
25 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसिर्फ इक बात याद रखता हूँ !
मौत हर वक्त याद रखता हूँ !
कौन मंदिर की लाइनों में लगे !
ReplyDeleteमैं तो अम्मा को याद रखता हूँ !
bahut khub....
लाजवाब गज़ल
ReplyDeleteक्या बात है--कितनी गूढ़ बात,सहज,सरल शब्दों में--
ReplyDeleteलम्बी उम्र है आज सुबह ही सोच रहा था कहाँ गायब हो गये हैं जनाब :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
शुक्रिया सर !
Deleteयाद रखने के लिए !
कौन जख्मों को, सोंच कर रोये !
ReplyDeleteसिर्फ खुशियों को याद रखता हूँ !..
बहुत खूब ... छोटी मगर अन्दर तक जाने वाले शेर ... गहरे शेर ...
सतीश जी आपकी पंक्ति "कौन मंदिर की लाइनों में लगे !
ReplyDeleteमैं तो अम्मा को याद रखता हूँ !" ने बहुत कुछ नही, जीवन की शैली को कह दिया
बहुत बहुत आभार हम सबको ऐसी प्ररित रचनायें पढवाने के लिये
गहरी भावाभिव्यक्ति..जो साथ लेकर नहीं चले उन्हें भी साथ रखना यही फितरत तो इंसा के कद को बढा बनाती है।।।
ReplyDeleteबहुत सकारात्मक और सार्थक चिन्तन !
ReplyDeleteकौन मंदिर की लाइनों में लगे !
ReplyDeleteमैं तो अम्मा को याद रखता हूँ !
bahut khub....SIR
कौन मंदिर की लाइनों में लगे !
ReplyDeleteमैं तो अम्मा को याद रखता हूँ !
bahut khub....SIR
lajabaab abhiwayakti ...
ReplyDelete@मुझ पे यारों के, कर्ज बाकी हैं !
ReplyDeleteएक एक लम्हा याद रखता हूँ !
मै तो बिलकुल उनके कर्ज याद नहीं रखती
आखिर मित्र होते किसलिए है :) ??
सभी सार्थक पंक्तियाँ !
सिर्फ इक बात याद रखता हूँ
ReplyDeleteमौत हर वक्त याद रखता हूँ
मौत को हर वक्त याद रखने वाले ही शायद जीवन को सही मायने में
जी पाते है !
अच्छी व लाजवाब रचना सत्य , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 23 . 9 . 2014 दिन मंगलवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
बहुत सुंदर सोच...
ReplyDeleteआज तो आपने हमें हमारे स्वर्गीय पिता जी से मिला दिया... वे कहते थे कि मृत्यु का सतत स्मरण ही अमरत्व का रहस्य है.. और आज आपकी इस ग़ज़ल ने ज़िन्दगी की तमाम सकारात्मक तरंगों को हमारे अन्दर प्रवाहित कर दिया..
ReplyDeleteलेकिन दोस्तों के कर्ज़ याद रखना सही बात है बड़े भाई.. लेकिन एक एक लम्हा नहीं, एक एक पाई याद रक्खा कीजिये! नहीं तो कर्ज़ दोस्ती की कैंची साबित ना हो जाए! :) :) :)
मज़ाक दीगर, वास्तव में प्रेरक ग़ज़ल भाई साहब!
Dil ko chu..gae sir..
ReplyDeleteसार्थक चिंतन
ReplyDeleteZabardast geet man ko chu gayi !!
ReplyDeleteवाह.. बेहतरीन।।
ReplyDeleteवाह.. बेहतरीन।।
ReplyDeleteमौत को हर वक्त याद रखते हुए घर के सब द्वार खुले रखना जीने का एक उत्तम तरीका है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
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