लाशों पे नाचते तुम्हें, यमजात कहेंगे !
शायर और गीतकार भी बदजात कहेंगे !
कातिल मनाएं जश्न,भले अपनी जीत का
इस्लाम की छाती पे, इन्हें दाग़ कहेंगे !
इन्सान के बच्चों का खून,उनकी जमीं पर
रिश्तों की बुनावट पे,हम आघात कहेंगे !
दुनियां का धर्म पर से, भरोसा ही जाएगा !
हम दूध मुंहों के रक्त से,खिलवाड़ कहेंगे !
शायर और गीतकार भी बदजात कहेंगे !
कातिल मनाएं जश्न,भले अपनी जीत का
इस्लाम की छाती पे, इन्हें दाग़ कहेंगे !
इन्सान के बच्चों का खून,उनकी जमीं पर
रिश्तों की बुनावट पे,हम आघात कहेंगे !
दुनियां का धर्म पर से, भरोसा ही जाएगा !
हम दूध मुंहों के रक्त से,खिलवाड़ कहेंगे !
महसूद, ओसामा के नाम, अमिट हो गए
हर ज़ुल्म ए तालिबान, ज़हरबाद कहेंगे !
जब भी निशान ऐ खून,हमें याद आएंगे
जब भी निशान ऐ खून,हमें याद आएंगे
इंसानियत के नाम , एक गुनाह कहेंगे !
Ref : https://www.theguardian.com/world/2014/dec/16/taliban-attack-army-public-school-pakistan-peshawar
Ref : https://www.theguardian.com/world/2014/dec/16/taliban-attack-army-public-school-pakistan-peshawar
इंसानियत के दुश्मन कभी विजयी नहीं हो सकते,वे तो काफ़िर निकले.
ReplyDeleteदिन गुजरते जाएँगे, निशान पर धूल जमती जाएगी,
ReplyDeleteवो कहाँ भूलेंगे इस निशान को जिनके घर के चिराग बुझ गए ।
दुनियां का धरम पर से ,भरोसा चला गया !
ReplyDeleteइन दुधमुंहों के रक्त को , हम याद रखेंगे ..
हर छंद धधकता हुआ ... जुल्म की इन्तेहा है ... मानव तो नहीं हो सकते ऐसे लोग ...
कातिल क्या समझेंगे इंसानियत की भाषा, अश्क का दर्द --दिल की गहराइयों तक उतरती आपकी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकातिल मनाएं जश्न,भले अपनी जीत का
ReplyDeleteइस्लाम की छाती पे , ये निशान रहेंगे !.....sach me !!
जब भी निशान ऐ खून, तुम्हे याद आयेंगे
ReplyDeleteइंसानियत के अश्क़ भी सोने नहीं देंगे !
..खून के आंसू रुलायेंगे ऐसी हैवानों को ....
संवेदनशील रचना
इंतहा है
ReplyDeleteखुद के पाले हुऐ
साँपों का जहर
खुद के लिये
जहर भरा हुआ
कैसे निकला है :(
.
ReplyDeleteआदरणीय
अच्छी रचना है मानवीय संवेदना से पूर्ण !
साधुवाद !
हम मानवता और संस्कार वाले हैं
इसलिए ऐसे अमानवीय कृत्य की भर्त्सना के साथ-साथ
दुखी परिवारों के साथ गहरी संवेदना और सहानुभूति रखते हैं...
और आगे भी रखते रहेंगे...
इस आशा में कि अब इनमें नये आतंकवादी ज़ेहादी नहीं जन्मेंगे...
# बच्चे की जान ली जाए या बड़े की दर्द एक-सा ही होता है
# आतंकवादी ज़ेहादी मुसलमान को मौत के घाट उतारे या यज़ीदी को
...या हिंदू को
इंसानियत के प्रति गुनाह ही है ! गुनाह ही है ! गुनाह ही है !
ये इंसान दिखते हैं तो इंसान बनें.. !!
संवेदनशील रचना !
ReplyDeleteइंसानियत पर यह घटना बदनुमा दाग छोड़ गई है जिसे कभी भी नहीं छुड़ाया जा सकेगा।
ReplyDeleteसचमुच... :(
ReplyDeleteअक्षम्य अपराध ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं सामयिक ॥
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteदुनियां का धरम पर से ,भरोसा चला गया !
ReplyDeleteइन दुधमुंहों के रक्त को , हम याद रखेंगे ....वाकई...हम याद रखेंगे। बहुत बढ़िया
दुनियां का धरम पर से ,भरोसा चला गया !
ReplyDeleteइन दुधमुंहों के रक्त को , हम याद रखेंगे !
सचमुच इस मार्मिक और हृदय विदारक घटना को कोई भुला नहीं सकता
दुनियां का धरम पर से ,भरोसा चला गया !
ReplyDeleteइन दुधमुंहों के रक्त को , हम याद रखेंगे !
महसूद, ओसामा के नाम,अमिट हो गए
ये ज़ुल्म ऐ तालिबान , लोग याद रखेंगे ....manvta ko jhakjhorti...marmik..rachna..
बहुत खूब भाई साहब इस पीड़ा को आपके कलम की प्रतीक्षा थी
ReplyDeleteकविता का मुखड़ा बड़ा प्रभावित है,अंतिम छन्द जो कदापि भुलाया नहीं जा सकता। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteदुनियां का धर्म पर से,भरोसा चला गया !
ReplyDeleteइन दूध मुंहों के रक्त से , संवाद रखेंगे --दिल के दर्द को सार्थक शब्दों में व्यक्त कियें पर इन कातिलों को किसी धर्म से क्या।
यही पहचान बनती जा रही है !
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