Saturday, March 7, 2015

इन दर्दीली आँखों ने ही थका दिया -सतीश सक्सेना

आज तुम्हारी आँखों ने ही थका दिया
इतनी गहरी आँखों,ने ही थका दिया !

इतनी बात पुरानी, कब तक भूलोगे
इन दर्दीली आँखों ने ही थका दिया !

सदियाँ बीतीं  इंतज़ार  में  केशव के ,   
इन पथरायी आँखों ने ही थका दिया !

पता नहीं मन  कहाँ  तुम्हारा रहता है ,
खोयी खोयी आँखों ने ही थका दिया

छलके आंसू, ऐसे छिपा न पाओगे,
भीगी भीगी आँखों ने ही थका दिया !

10 comments:

  1. बहुत ही उम्दा गीत बना है . आप को गाते सुनती तो और बात थी .

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  2. अब किसने कहा था फिर की आँखों में ही दौड़ना शुरु कर दीजिये :)
    होली की हार्दिक शुभकामनाऐं बुरा ना मानो होली है ।

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  3. बहुत उम्दा........

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  4. ज़माने भर के दर्द तेरी आँखों में जब से देखा मैंने,जुबान साथ देती नहीं,निगाहें थकती नहीं---भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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  5. This is some pain you are remembering, automatically became a good poem. Own moments have their own value - priceless. Good.

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  6. छलके आंसू, ऐसे छिपा न पाओगे,
    भीगी भीगी आँखों ने ही थका दिया !
    बहुत सुंदर और भावपूर्ण.

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  7. आँखों की बातें यूँ ही लिख दीं आपने ...
    लाजवाब शेर हैं सभी ...

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  8. सदियाँ बीतीं इंतज़ार में केशव के ,
    इन पथरायी आँखों ने ही थका दिया !
    क्या बात हैं पढ़ कर मज़ा आया
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
    http://savanxxx.blogspot.in

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  9. दो वे आँखे दो ये आँखे
    चार आँखे सदा मुस्कुराते रहे !

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  10. मैं आपके बलोग को बहुत पसंद करता है इसमें बहुत सारी जानकारियां है। मेरा भी कार्य कुछ इसी तरह का है और मैं Social work करता हूं। आप मेरी साईट को पढ़ने के लिए यहां पर Click करें-
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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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