Monday, November 7, 2016

हेल्थ ब्लंडर - सतीश सक्सेना

उम्र कुछ भी हो, मानव शरीर की क्षमताएं असीमित हैं , कल की इस रेस में , मैं धुंध , धुआं , थकान भुला कर दौड़ा और पहली बार अपना व्यक्तिगत रिकॉर्ड कायम करने में कामयाब रहा ! बचपन से हर जगह एक ही लिखा पढता रहा कि बुढ़ापा अभिशाप है , शरीर बीमार ही रहता है , बुढ़ापे में हम दौड़ भाग नहीं कर सकते आदि आदि और हमने जैसा सुना और जीवन में देखा, वैसा आसानी से मान भी लिया , इसी को ब्लॉक माइंडस कहते हैं न , हमने कभी खुद पर आजमाया ही नहीं और न कभी सोंचने की जहमत उठायी कि यह गलत भी हो सकता है !
मानव शरीर लंबे समय को जीवित रहने के लिए डिज़ाइंड है बशर्ते हम उसका ठीक से उपयोग समझ सकें , यह हर परिस्थितियों में अपने को ढाल सकता है बशर्ते हम उन परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए बेचैन होकर , उनका त्याग न कर दें ! पेंटर , कोयला मजदूर , खनन मजदूर , आटा चक्की , स्टोन क्रेशर , देसी चूल्हे पर फुकनी से धुआं फूंकती हमारी करोड़ों माएँ , बस डिपो की रिपेयर वर्कशॉप के मिस्त्री, कार स्कूटर रिपेयर शॉप मजदूर दिन भर में जितना धुआं एब्जॉर्व करते हैं उसकी कल्पना भी, इन पढ़े लिखे ब्लॉक माइंडस ने नहीं की होगी जो दिल्ली को प्रदूषित और न रहने लायक घोषित कर रहे हैं !
2 वर्ष पहले रिटायर होते समय मुझे, ब्रोंकाइटिस, हाई ब्लडप्रेशर, कॉन्स्टिपेशन, बढे वजन, निकली तोंद , हार्ट पल्पिटेशन, क्रोनिक खांसी, बढे कोलोस्ट्रोल, ट्रायग्लिसराइड , और बेहद आलस्य की शिकायत थी और विज्ञानं के हिसाब से यह सब दौड़ने में बाधक ही नहीं , घातक भी थे मगर मैं इन सबको जानते हुए भी नकार कर दौड़ा और इन सब बीमारियों से सिर्फ एक वर्ष में ही आसानी से बिना दवा, मुक्त हो चुका हूँ !
इस समय बहुत से बाबा लोग, योग को भुनाकर देश में करोड़ पति बन चुके हैं , उनका दावा है कि योग से सारे रोगों से मुक्ति मिल जायेगी और तो और बरसों से उपेक्षित पड़ा बिना किसी रिसर्च, आयुर्वेद भी आजकल चकाचक हो रहा है , बांछे खिली हुई हैं इन सब व्यापारियों की !
इनमें से कोई नहीं बताता कि कितने पुराने पुराने योग करने वाले , हार्ट अटैक से असमय ही मर गए , मेरे एक बेहतरीन मित्र जिन्हें योग की सारी क्रियाओं का नियमित ज्ञान था , पचास वर्ष की उम्र में , ही असमय चले गए मैं उनसे ही योग सीखता था , उनके जाने के साथ ही अपने आपको इन ब्लॉक धारणाओं से मुक्त किया कि योग हर व्याधि की एकमात्र दवा है !
जिस प्रकति से आपको पैदा किया है उसने ही रोग मुक्ति की शक्ति भी प्रदान की हुई है , किसी की भी मजबूत इच्छा शक्ति, उसे भीष्म पितामह बना सकती है , गंगापुत्र की इच्छा थी सूर्य के उत्तरायण में आने तक वे प्राण नहीं त्यागेंगे और वैसा ही हुआ भी ! शरीर में प्राणशक्ति बेहद शक्तिशाली होती है उसपर व्याधियों का कोई प्रभाव नहीं बशर्ते हम उसके काम में व्यवधान न डालें ! जुकाम होते ही दवा लेने भागते मूर्ख मनुष्य ने अपनी रोग निवारक शक्ति को ही नष्ट कर दिया है .....
शुरू से ऐसी ही ठानी
मिले, अंगारों से पानी
पिएंगे सागर तट से ही 
आंसुओं में डूबा पानी,
कौन आयेगा देने प्यार
हमारी सांस आखिरी में
हंसाएंगे इन कष्टों को 
डुबायें दर्द, दीवानी में !
बहुत कुछ समझ नहीं पाये, इश्क़ न करें किसी से यार !
मानवों से ही डर लागे 
पागलों में ही, यारी रे !!

सस्नेह मंगलकामनाएं !!
@अचंभित हूँ और चिंतित भी दिल्ली के प्रदूषण का डंका बजा है. बच्चों के स्कूल तक बंद हैं और आप उसी अंदाज में दौड़ रहे हैं.!!!
Devendra का कमेंट कल की पोस्ट पर 

#healthblunders

8 comments:

  1. आप की हिम्मत को सलाम! आप से एक हद तक सहमत भी हूँ। पर दिल्ली की जो दुर्दशा इस धुृंध ने की है वह भी चिन्ता का विषय है। धूल धुएँ का तो मुकाबला किया जा सकता है लेकिन आक्सीजन की कमी का नहीं, वह तो दौड़ने पर और अथिक चाहिए। इस विषैले वातावरण से मुक्ति तो चाहिए ही चाहिए।

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  2. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 08/11/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  3. सच में उपरोक्त बाते भी सोचने वाली है, लेकिन जिस तरह से दिल्ली में बढ़ रहे खतनाक वायू प्रदूषण के बारे में हम रोज न्यूज में देख रहे है पढ़ रहे है इसे क्या समझे जिससे हर संवेदनशील व्यक्ति का चिंतित होना लाजमी है !

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  4. दिल्ली में लोग प्रदुषण की वजह से बाहर निकलने से घबरा रहे हैंलेकिन आप पीछे हटने वालों में से नहीं है ,, .. गजब की इच्छा शक्ति है आपमें

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  5. बना रहे आपका आत्मविश्वास इसी तरह से । मंगलकामनाएं ।

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  6. आपने तो वो कर दिखाया है जो किवंदिती की बात है ... आपकी इच्छा शक्ति को तो नमन है ... कोई जवाब नहीं ,,,

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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