Tuesday, April 4, 2017

बड़े बेचैन हैं वे लोग , जो सब याद रखते हैं - सतीश सक्सेना

हमारे यार, धनदौलत, जमीं, जायदाद रखते हैं !
नवाबी शौक़, सज़दे के लिए, सज्जाद रखते हैं !

मदद लेकर हमारी वे हुए , गद्दी नशीं जब से !  
सबक यारों को देने, साथ में जल्लाद रखते हैं !

वे अब सरदार हैं बस्ती के, हैरत में हूँ मैं तबसे,
हमारे संत धन्धों  से , नगर आबाद रखते हैं  !

वही कहलायेंगे शेरे जिगर, जंगल में रह के भी  
वे अंतिम साँस में भी, हौसला फौलाद रखते हैं !

ये चोटें याद रखने की, हमें आदत नहीं यारों !
बड़े बेचैन हैं वे लोग , जो सब याद रखते हैं !

Related Posts Plugin for Blogger,