Thursday, June 22, 2017

ध्यान बटाने को मूर्खों का, राजा के सहयोगी आये ! - सतीश सक्सेना

भुला पीठसंकल्प कलियुगी आकर्षण में योगी आये,
वानप्रस्थ को त्याग,राजसुख लेने वन से,जोगी आये !

तड़प किसान खेत में मरते,ध्यान बटाने को भूखों का, 
योग सिखाने जोगी बनकर,राजनीति के ढोंगी आये !

महंगाई से त्रस्त,भूख बेहाल ग्राम,शमशान बना के,  
ध्यान बटाने को मूर्खों का, राजा के सहयोगी आये !

लालकिले तक पंहुचाने में जाने कितने पापड बेले,
अश्वमेध फल लेने अपना, भगवा पहने भोगी आये !

कष्ट दूर चुटकी में करने धूर्त,धर्म,भय चूरन लेकर,
रोगमुक्त करने माँ बहिनें,ये संपत्ति वियोगी आये !

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- सतीश सक्सेना

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