Sunday, November 5, 2017

ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की ! -सतीश सक्सेना

पेट्रोलियम मंत्रालय के तत्वावधान में बनायी गयी सोसायटी PCRA द्वारा आज दिल्ली में नेशनल साइकिल चैम्पियन शिप का आयोजन किया गया जिसमें बिना किसी तैयारी के मैंने भी 30 km रेस में डरते डरते भाग लिया, तैयारी की हालत यह थी कि 15 सितम्बर के बाद एक भी दिन साइकिल को हाथ भी नहीं लगाया था फॉर्म भरते हुए अपना रजिस्ट्रेशन रोड साइकिल के रूप में कराया था जबकि मुझे यही नहीं पता था कि मेरी साइकिल रोडी नहीं बल्कि हाइब्रिड क्लास की है जो रोड साइकिल के मुकाबले काफी स्लो होती है !

आज मुझे घर से सुबह 4 बजे, लगभग 17 km साइकिल चलाकर जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम जाना पड़ा साइकिल रेस की कोई समझ न होने के कारण तनाव में था कि कहीं इन स्पीडस्टर के बीच अपने आपको चोट न लगा लूँ !
स्टार्ट लाइन पर मेरे साथ खड़े संजीव शर्मा ने कई उपयोगी सुझाव दिए जैसे साइकिल की सीट एडजस्ट करायी एवं रेस के बीच ब्रेक का उपयोग कम से कम करने की सलाह शामिल थी !

जब रेस शुरू हुई तब पहले लैप (9 Km) में आत्मविश्वास काफी कम था एवं डिफेंसिव मूड में था और अपने को समझा रहा था कि पहले लैप में थकना नहीं सो अन्य सभी साइकिलिस्ट को अपने से तेज और अनुभवी मानते हुए स्पीड अपेक्षाकृत कम रखी मगर लगभग ५ km बाद अपने अंदर का मैराथन रनर जग गया था जो मुझे कह रहा था कि तुम और तेज चल सकते हो फिर घबरा क्यों रहे हो स्पीड बढ़ाओ सतीश ये आसपास चलते हुए रेसर्स में बहुत कम लोग इतना दौड़ते होंगे जितना तुम दौड़ते हो ! तुम नॉन स्टॉप ढाई घंटा दौड़ते हो जबकि यह दौड़ सिर्फ 30 km की है और वह भी साइकिल की , शर्म करो !

कई बार स्वयं धिक्कार काम कर जाता है और मैंने डरते डरते तेज साइकिल सवारों के बीच अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू की तो लगा कि मैं बिना हांफे चला पा रहा हूँ ! तेज चलते हुए नौजवान साइकिल सवारों को पीछे छोड़ते हुए महसूस किया कि मैराथन ट्रेनिंग ने मेरे पैरों को इस उम्र में भी काफी ताकतवर बना दिया है और यह महसूस करते ही मैंने अपनी जीपीएस वाच पर नज़र डाली जहाँ स्पीड पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ रही थी भरोसा नहीं हो रहा था कि अपने जीवन में कभी ग्रुप में भी साइकिल न चलाने वाला मैं लगभग 30 km प्रति घंटे की दर से साइकिल चला रहा था !

और फिर आखिर तक यह स्पीड कम नहीं हुई, चीयर करते हुए लोगों के बीच जब फाइनल टाइमिंग स्ट्रिप से गुजरा तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड बना चुका था !


अपने ६३ वर्ष में, आखिरी स्थान पर आने की उम्मीद लिए मैं, रेस ख़त्म होने पर 27 Km की दूरी 57:33 मिनट में तय करते हुए कुल 376 रेसर्स में 163वें स्थान पर रहा !

प्यार बाँटते, दगा न करते , भीख न मांगे दुनिया से !
ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की ! -सतीश सक्सेना

Saturday, November 4, 2017

अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा कराकर जाऊँगा ! - सतीश सक्सेना

आजकल कुछ लोग सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं कि दिल्ली में बढे हुए प्रदूषण की वजह से , सक्षम सैक्लोथॉन एवं एयरटेल दिल्ली हाफ मैराथन को कैंसिल कर दिया जाय ! उनका यह सोंच है कि इससे एथलीट की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पडेगा !
अफ़सोस यह है कि अक्सर ऎसी मुहिम चलाने वालों को एथलीट की मानसिक और शारीरिक अवस्था के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है मगर दिमागी बम चलाने वाले सलाह हर जगह देते हैं !
कल मुझे सक्षम पेडल साइक्लोथॉन के आयोजकों ( Saumjit )द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने का न्योता मिला था जहाँ मुझसे पूंछे गए तमाम प्रश्नों में से एक प्रश्न यह भी था कि 
क्या आप 63 वर्ष की उम्र में, इस प्रदूषण में साइकिल चलाना, अपने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं मानते  ? 
मेरा जवाब था कि दिल्ली का प्रदूषित वातावरण में किसी भी यूरोपियन अमेरिकन के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि उनका शरीर प्रदूषण बर्दाश्त नहीं कर सकता और न वे इस वातावरण के लिए अभ्यस्त हैं , हम भारतीय शुरू से इसी वातावरण केआदी हैं और हमारा इम्यून सिस्टम इसके प्रतिरोध के लिए बेहद मजबूत है सो हमारे ऊपर इसका कोई प्रभाव नहीं पडेगा !
और यही प्रश्न कल शाम मेरे मोबाइल पर रेडिओ सिटी से रेडिओ जॉकी नितिन द्वारा अचानक कॉल करके पूंछा गया तो उन्हें भी यही जवाब दिया , कि मैं 63 वर्ष की उम्र में कल 30 किलोमीटर रेस में भाग लूँगा और शान से पूरी भी करूंगा निश्चिन्त रहें मुझे प्रदूषण की कोई चिंता नहीं इसकी चिंता उन आलसियों को है जो मेडिकल बिजनिस की सलाह लेकर विटामिन खा कर अपने को स्वस्थ रखने का दावा करते हैं , मैं अगर दौड़ते दौड़ते मृत्यु को प्राप्त हुआ तब अपने को बेहद सौभाग्य शाली मानूंगा कि मैं अकर्मण्य मौत नहीं मरा !
मुझे दिल्ली सेक्लोथॉन का सबसे यंगेस्ट साइकिलिस्ट का ख़िताब देते हुए नितिन ने मुझे 1000 रूपये का वाउचर देने की घोषणा की जो यकीनन मेरे जैसे नवोदित साइकिलिस्ट के लिए उत्साहवर्धक था !
सो धन्यवाद सक्षम पेडल और रेडिओ सिटी को जिन्होंने मुझे अपनी बात कहने का मौक़ा दिया कि मैं अपनी बात आम जनता को पंहुचा सकूँ !
कल तमाम प्रदूषण की परवाह न करते हुए 30 km अमेच्योर साइकिलिंग में हिस्सा लूंगा और इस विश्वास के साथ लूंगा कि मेरे स्वास्थ्य पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पडेगा बल्कि इम्यून सिस्टम और मजबूत होगा !

कुछ वादे करके निकला हूँ अपने दिल की गहराई से
अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा कराकर जाऊँगा ! - सतीश सक्सेना 
#WillRunADHM , 
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