Wednesday, March 28, 2018

हेल्थ ब्लंडर -सतीश सक्सेना

मेरे मित्रों में से अधिकतर साथी रनिंग करने का प्रयत्न करते हैं उनमें से अधिकतर कुछ दिन बाद रनिंग छोड़कर वाक करने लगते हैं या एक निश्चित दूरी के बाद आगे नहीं जा पाते ! अधिकतर का एक ही कारण है कि वे रनिंग में सीखने योग्य कुछ नहीं समझते, इसके अतिरिक्त बढ़ी उम्र का अतिरिक्त आत्मविश्वास, उन्हें यह समझने ही नहीं देता कि रनिंग एक बेहद जटिल प्रक्रिया है जिसे बरसों से आलसी हुआ शरीर, किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करने देगा !
प लोग शायद यकीन नहीं करेंगे मैं अबतक पिछले ढाई साल में लगभग 4000 Km दूरी दौड़ते हुए तय कर चुका हूँ जिनमें 22 हाफ मैराथन (21 km ) रेस शामिल हैं ! उसके बाद भी मैं अपने आपको बेहतरीन रनर नहीं मानता क्योंकि मैं आज भी दौड़ते समय कई मूलभूत गलतियां करता हूँ जिस कारण मैं अंत में थकने लगता हूँ !
शरीर के महत्वपूर्ण अंग उदर और उसके आसपास हैं जिनमें हर एक का शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है ! पैरों के उठने और जमीन पर गिरने के हर आघात के समय शरीर के इन अंगों में और मस्तिष्क में कम्पन होता रहता है और वह इनका व्यायाम होता है जो प्रकृतिे ने इनके लिए निश्चित किया था यहाँ तक कि बंद रक्त कोशिकाएं, जकड़े जॉइंट एवं मांसपेशिया नरम होकर खुलने लगती हैं और इस शारीरिक बदलाव को,
दौड़ता शरीर बहुत उन्मुक्त मन से स्वागत करता है और दौड़ते समय एक नया जोश आनंद महसूस होता है ! मैं अपनी कई लम्बी दौड़ों में टारगेट भूल कर, बजते ढोल के सामने नाचने लगता हूँ जबकि यह मेरे स्वभाव के विपरीत है !
नए लोग ध्यान रखें कि रनिंग की शुरुआत वार्मअप से करें लंबा वाक करके , वाक के अंत में 1 या 2 मिनट दौड़ कर समाप्त करें मगर शर्त यह है कि यह दौड़ बिना हांफे की गयी हो ! हांफते हुए दौड़ना शरीर का नुकसान करता है और दौड़ से विरक्ति पैदा करेगा सो अगर आप दौड़ते हुए हांफ रहे हैं तो आप दौड़ नहीं पाएंगे यह पक्का है !
समस्त जीवों में बीमारियों से लड़ने की शक्ति, उनके शरीर में निहित है जिसका निदान शरीर खुद करता है मगर पिछले 100 वर्ष से सक्रिय मेडिकल व्यापार ने मानव को डराकर धन कमाने की तरकीब निकाल रखी है, वे समय समय पर विभिन्न शारीरिक प्रतिक्रियाओं को अलग अलग बीमारियों का नाम देकर मानव को डराते रहे और उनके इलाज के नाम पर धन का अम्बार लगाते रहे हैं किस्मत वाले सिर्फ जानवर हैं जिनके संपर्क में कोई मेडिकल व्यवसायी नहीं है और वे अपनी मधुमेह, हृदय रोग, किडनी आदि को चलते फिरते दौड़ते ही ठीक कर लेते हैं और अपनी पूरी आयु जीते हैं !
सो अगर स्वस्थ जीना है तब अपने शरीर के हर अंग का उपयोग करना होगा जिसके लिए वह बनाये गए हैं ताकि वे जकड़ न जाएँ !
अकर्मण्यता की आदत से, है कितना लाचार आदमी !
जकड़े घुटने पकड़ के बैठा , ढूंढ रहा उपचार आदमी !
दुरुपयोग मानस का करके,ढेरो धन संचय कर.भयवश
निष्क्रिय और आलसी मन से करता योगाचार आदमी !

1 comment:

  1. वाह। आपका उत्साह देख कर आधी दौड़ हमारी भी पूरी हो जाती है।

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- सतीश सक्सेना

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