Thursday, March 29, 2018

हेल्थ ब्लंडर -2 -सतीश सक्सेना

शारीरिक मेहनत करना मजदूरों का काम है , समर्थ लोगों को खुद काम करने की आवश्यकता ही क्या है, यह धारणा और अपना काम करने में लज्जा महसूस करना ,शायद हमारी ज़हालत की सबसे बड़ी पहचान है ! प्रकृति ने हमारे शारीरिक अनुपात में, हाथ और पैरों को सबसे बड़ा हिस्सा दिया है जिसका हमने उपयोग करना बंद कर
दिया, धन कमाने में उपयोग सिर्फ दिमाग के उस चालाक हिस्से का किया जिसका काम,बिना मेहनत किये अधिक से अधिक धन अर्जित करने का तरीका तलाश करना था और मानव बुद्धि ने बिना हाथ पैर हिलाये कमजोर व्यक्तियों के सामने रोटी फेंक, आराम उठाना सीख लिया और गद्देदार सोफे पर बैठकर टीवी देखते समय उसे अपने बॉडी कोर में अवस्थित किडनी ,लीवर ,हृदय ,पेन्क्रियास ,फेफड़ों की चीत्कार सुनाई नहीं पड़ी जो बिना व्यायाम के सुस्त और आलसी हो रहे थे !

बरसों आराम के परिणाम स्वरुप उत्पन्न बीमारियों के लिए मेडिकल व्यापारियों ने तत्काल हानिकारक गोलियां बना डालीं जिसने शरीर के जटिल स्वरूप और इम्यून सिस्टम को बर्बाद करके रख दिया !

मैं खुद अपने आपको महामूर्ख समझता हूँ जिसने पूरे साठ वर्ष तक अपनी खूबसूरत सुडौल शरीर को आराम देते हुए जीभर कर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अपने आपको संपन्न बुद्धिमान समझता रहा !

पिछले 61 वर्षों में मेरे आधे खराब जर्जर हुए अंगों की रिपेयर सिर्फ रनिंग के बदौलत संभव हुई है अन्यथा अब तक ऑपरेशन टेबल पर हृदय का ऑपरेशन हो चुका होता और इम्यून सिस्टम की मजबूती देखिये कि उसने 60 वर्षों की समस्याओं को महज दो वर्ष में ठीक कर दिया !

गैस्ट्रिक, एसिडिटी , कमजोर फेफड़े , ब्लड प्रेशर यहाँ तक कि स्किन प्रॉब्लम आदि कहाँ गायब हुई पता ही नहीं चला और साथ में मुझे जीवन में पहली बार बहते हुए पसीने से तकलीफ और चिढ़ की जगह पर जो आनंद मिलने लगा यह अभूतपूर्व व अविश्वसनीय है !

इस वर्ष मेरे तीन दोस्त जिनका प्रभामंडल बेहद प्रभावशाली था, असमय कम उम्र में हृदय आघात के शिकार हुए हैं उम्मीद करता हूँ कि और बुरी खबर न सुनाई दें सो अनुरोध है कि सुबह घर से बाहर निकल शरीर के सोये अंगों में कम्पन उत्पन्न करने के लिए, रनिंग करना सीखें !

याद रखें डायबिटीज एवं हृदय रोगों की बेस्ट एक्सरसाइज रनिंग ही है जिसे मेडिकल व्यापार भी मानता है !

सस्नेह मंगलकामनाएं !


2 comments:

  1. मानना पड़ेगा आपकी इच्छा शक्ति को।

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  2. बहुत से लोगों को तो सड़क पर अन्य दूसरे लोगों के साथ टहलने-धूमने में शर्म आती है। बड़े-छोटे का भेदभाव उन्हें ऐसा करने से रोकता है। भले ही सभी लोग बड़ी सरलता से कह देते हैं की सभी समान हैं लेकिन हकीकत सबको मालूम है। पैसे वाले तो घर में ही मशीनों से ही एक्सरसाइज, रनिंग कर लेते हैं। अपनी-अपनी सोच जो है, उससे बाहर कुछ गुणीजन ही निकल पाते है। ऐसे लोगों के लिए आप एक प्रेरणा हैं, जोश भर जाता है मन में आपके लेख पढ़ने से, लगें रहें इस नेक सलाह की राह पर

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- सतीश सक्सेना

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