Thursday, May 10, 2018

चिंतित माँ की चौकीदारी क्या समझेंगे ? -सतीश सक्सेना

घर कुटुंब की जिम्मेदारी क्या समझेंगे ?
शक संशय में रिश्तेदारी,क्या समझेंगे ?

पर निंदा ,उपहास में, रस तलाशने वाले
व्यथित पिता की हिस्सेदारी क्या समझेंगे ?


नन्हीं बच्ची, तिनके चुग्गा लाने निकली
चिंतित माँ की चौकीदारी क्या समझेंगे ?

सुंदरता में फंस कर ,कितने राजा डूबे
धूर्त कैकेयी की मक्कारी क्या समझेंगे ?

अभी नशे में डूबे हैं , सरकार हुस्न की
चकाचौंध में,आपसदारी क्या समझेंगे ?

2 comments:

  1. अभी नशे में डूबे हैं , सरकार हुस्न की
    चकाचौंध में,आपसदारी क्या समझेंगे ?

    वाह और गजब भी।

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  2. माँ पिता की चिंता नहीं समझते ...
    गज़ब के छंद ... बहुत लाजवाब ... बधाई ...

    ReplyDelete

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- सतीश सक्सेना

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