Wednesday, November 21, 2018

मेहनत का कोई विकल्प नहीं -सतीश सक्सेना

अकेले लॉन्ग रन पर जाने में , मन बहुत व्यवधान पैदा करता है ! कल सुबह बेमन घर से निकला कि 10 km दौड़ना है अन्यथा Millennium City Marathon - 4th Edition 2nd Dec 2018​ जिसमें कई अंडर ब्रिज की चढ़ाइयाँ पार करते हुए 21 km दौड़ना इतना आसान नहीं होगा ! पहले दो सौ मीटर दौड़ने में ही तरह तरह के
बहाने नजर आने लगे , आज कोहरा बहुत है  ...अन्धेरे में पैर गड्ढे में आ सकता है ...कुत्ते हो सकते हैं हाथ में डंडा भी नहीं है  ...आज पैर में दर्द है आदि आदि !

मगर मजबूत इच्छा शक्ति ने, मन को धमकाया कि हर हालत में आज लंबा दौड़ना है और मुश्किल रस्ते से जाना है जहाँ फ्लाईओवर आदि मिलें ! अगर बेमन रोते हुए दौड़े तो बेट्टा आज 25 किलोमीटर दौड़ने की सजा मिलेगी इसलिए चुपचाप 17-18 km दौड लो कोई बहाना मंजूर नहीं ! और मजबूत इच्छा शक्ति की इस धमकी के आगे मन अपना मन मसोस कर चुपचाप कोने में बैठ गया और पैरों को एक लम्बे नए रूट पर मजबूत संकल्प के साथ मुड़ते देखता रहा !

और इस चौसठ वर्षीय नवजवान ने तीन चार ब्रिज की चढ़ाइयाँ पार करते हुए लगभग 20 km की दूरी भारी ट्रेफिक के बावजूद, अकेले दौड़ते हुए , तय करने में सफलता प्राप्त की जिसके लिए मात्र ३ वर्ष पहले 100 मीटर भी दौड़ना एक बुरा सपना था !

पेन्क्रियास और ह्रदय की सुरक्षा के लिए आइये, दौड़ना सीखें, मेडिकल व्यवसाइयों से बचें, वे बेहद खतरनाक हैं , वे आपको बचाने की कोशिश भी नहीं करते हैं और न उनके हाथ में हैं , वे सिर्फ आपके गलते शरीर पर दवाओं का प्रयोग कर आपको प्रभावित करने का कामयाब प्रयत्न करते हैं ! 

Sunday, November 11, 2018

मरना है तो,मरो सड़क पर मगर आज हों, ब्रेक बैरियर ! -सतीश सक्सेना

कई दिन बाद,आज सुबह, लम्बा दौड़ने का फैसला कर दौड़ते हुए 13.20 Km का फासला बिना रुके , बिना पानी के तय किया ! यह दूरी 1घंटा 36 मिनट में तय की गयी ! रनिंग के तुरंत बाद, बॉडी कूल डाउन के लिए लगभग 6 km तेज वाक किया ! अब लग रहा है कि जैसे काफी दिन बाद शरीर तरो ताजा और आत्मविश्वास से लबालब हुआ !


लोग सोंचते होंगे कि यह किस्मत वाले वाले हैं कि इन्हें 64 वर्ष की उम्र में भी कोई बीमारी नहीं है , मगर यह सच नहीं है , सत्य है कि मुझे भी बीमारियाँ हैं और परेशान करने वाली बीमारियों हैं मगर मैं उन्हें याद ही नहीं रखता और न दवा खाता अन्यथा बचा जीवन कब का मेडिकल व्यापारियों की भेंट चढ़ गया होता !
मेरा मानना है कि ६४ वर्ष की उम्र में कम से कम 64 प्रतिशत शरीर का क्षरण अवश्य हुआ है और मेरे शरीर का हर अंग की क्षमता भी उसी हिसाब से कम हुई होगी वह और बात है कि मैं अपनी मशीनरी को अधिकतर एक्टिव रखने में कामयाब हूँ सो मेरे शरीर की चुस्ती और स्टेमिना, उम्र के हिसाब से कहीं अधिक है , यकीनन मैं बाद में बिस्तर पर लेटकर बीमारियाँ भोगने से काफी हद तक बचा रहूंगा !

बूढों को देखते ही,संभावित बीमारियों का टेस्ट कराने के लिए , अक्सर परिवारजन सलाह देते देखे जाते हैं , मुझे मेडिकल व्यवसाय से अधिक प्रभावी विज्ञापन आजतक देखने को नहीं मिले जहाँ बीमार होते ही पूंछा जाए कि दवा ले आये ? मतलब शरीर में जो बीमारी बरसों में पैदा हुई है वह गोली खाते ही ठीक हो जायेगी इसीलिए मेडिकल पढ़ाई की फ़ीस करोड़ों तक पंहुचती है क्योंकि उस धंधे में पैसों की कोई कमी नहीं , साठ से ऊपर का हर आदमी अपने जीवन भर की कमाई बचाए बैठा रहता है कि उसे देकर इलाज हो जाएगा उसे उससे आगे की सोंचना ही नहीं कि बाद में बचोगे कितने साल ?

हर शहर में मेडिकल टेस्ट लेब्स की भरमार है और एक एक लैब में रोज सैकड़ों टेस्ट सैंपल लिए जाते हैं कोई ज्ञानी यह समझने की कोशिश ही नहीं करता कि क्या इस लैब में इतने टेस्ट करने की क्षमता और मशीनें भी हैं ? एक सामान्य टेस्ट करने में ही लगभग आधा घंटा लगता है पूरे दिन में एक तकनीशियन सिर्फ 12 टेस्ट कर पायेगा फिर यह रोज की 100 टेस्ट रिपोर्ट क्या मंगल वासियों द्वारा किये गए हैं ?

खैर ....दोस्तों से निवेदन है कि भारत डायबिटीज और ह्रदय रोगों की राजधानी बन चुका है, रोज जवान और असमय मृत्यु सुनने को मिलती है सो इनसे और मेडिकल व्यवसाइयों से बचने के लिए खुद को दौड़ना सिखाइए और जीवन का आनंद लीजिये !

सस्नेह सादर ..

आज की पंक्तियाँ जो गाते हुए दौड़ा ....

भाड में जाए धड़कन दिल की
कमर दर्द , कमजोर हड्डियां
मरना है तो , मरो सड़क पर
मगर आज हों, ब्रेक बैरियर !

Thursday, November 8, 2018

कल दिवाली मन चुकी है ,जाहिलों के शहर में -सतीश सक्सेना

खांसते दम ,फूलता है 
जैसे लगती जान जाए 
अस्थमा झकझोरता है, 
रात भर हम सो न पाए
धुआं पहले खूब था अब  
यह धुआं गन्दी हवा में 
समय से पहले ही मारें,
चला दम घोटू पटाखे ,
राम के आने पे कितने 
दीप आँखों में जले,अब 
लिखते आँखें जल रही हैं ,जाहिलों के शहर में !

धूर्त, बाबा बन बताते 
स्वयं को ही राज्यशोषित 
और नेता कर रहे हैं ,  
स्वयं को अवतार घोषित 
चोर सब मिल गा रहे हैं 
देशभक्ति के भजन ,
दिग्भ्रमित विस्मित खड़े 
ये,भेडबकरी मूर्खजन !
राजनैतिक धर्मरक्षक 
देख ठट्ठा मारते, अब 
राम बंधक बन चुके हैं , जाहिलों के शहर में ! 

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