Thursday, February 28, 2019

निरंकुश मीडिया बर्बाद कर देगा इस शानदार देश को,समाज को -सतीश सक्सेना

आजकल एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक वृद्ध मां को उसका बेटा निर्दयता पूर्वक जमीन पर घसीटता हुआ ट्रेक्टर के आगे ले जा रहा है ताकि उसे कुचल कर मार सके और यह घटना महाराष्ट्र 21जून की है जहाँ राष्ट्र गौरव की बातें सबसे अधिक की जाती हैं !
पिछले कुछ वर्षों में , हमारे देश में नफरत की खेती खूब की गयी है और उसका नतीजा भी नजर आने लगा है, मेरे अपने सर्किल में कई सरल ह्रदय व्यक्तियों के व्यवहार में फर्क आया साफ़ महसूस हो रहा है , पडोसी देश के प्रति उत्पन्न की गयी यह नफरत अब मोहल्ले, घर और ट्रैफिक में भी नजर आ रही है , सोशल मीडिया पर जिनके विचार हमसे न मिलें उन्हें अमित्र करना आम है ! अफ़सोस यह है कि नफरत फ़ैलाने वाले अधिकतर भोले लोग, यहाँ तक कि छोटे बच्चों तक के मानस में , टीवी पर चीखते एंकरों की बाते, अमिट निशान छोड़ रही हैं !

सीधा साधे शांत देश को , जिसमें समस्त जाति ,कौम के लोग आराम से रह रहे थे, इन लोगों ने अपने घरों में भी बच्चों को  झाग उगलते हुए गाली देना सिखा दिया है जिसे सब जोश के साथ आसानी से आत्मसात भी कर रहे हैं , इन जाहिलों को यह नहीं मालुम की स्नेह और प्यार की जगह अनजाने में तुम अपने घर में जहर बो रहे हो जिसकी आग में सबसे पहले तुम्हारे बच्चे ही झुलसेंगे जिन्हें इस माहौल में ही पूरी उम्र जीना है ! मानव की मानव के प्रति बढती हुई गुस्सा इन्हें जानवर बना देने में सक्षम है और शीघ्र यह सड़कों पर नजर आयेगी ! 

मारो , सबक सिखा दो के नारे लगाते, इन बेवकूफों को यह भी नहीं मालुम कि दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों में युद्ध का अर्थ , घना अन्धेरा होगा जिसमें दोनों ओर कोई नाम लेवा नहीं बचेगा , भारत पाकिस्तान में ताकत की तुलना सिर्फ पारम्परिक युद्ध होने तक ही संभव है , परमाणुशक्ति संपन्न देशों में यह तुलना सिर्फ मूर्खता पूर्ण विचार है , दोनों अपार जीव संहार और मानवता विनाश में सक्षम हैं यहाँ एक पक्ष के धन और जनशक्ति  का कोई मूल्य नहीं , परमाणु युद्ध होने पर लाखों सैनिकों, भरपूर हथियारों , हवाई जहाजों , और अरबों डॉलर का रिज़र्व धन एक क्षण में नष्ट हो जाएगा  और दो जाहिल शासकों के मनहूस स्मारक  के रूप में ,आसमान की जगह सिर्फ घना अन्धेरा बचेगा , जो सैकड़ों बरसों तक मानव की मूर्खता का अवशेष होगा !

यही कारण था कि विश्व का सबसे ताकतवर राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति आज वियतनाम आकर एक गरीब देश नार्थ कोरिया के राष्ट्रपति से हाथ मिलाने को विवश हो रहा है और यही समय की पुकार भी है कि परमाणुशक्ति संपन्न  देश आपस में युद्ध की सोंच भी न सकें ! 

आज मैंने अपने घर से ललकारने वाले समस्त चैनल विदा कर दिए , सौम्यता से बात करने वाले चैनल ही देखना है इस हेतु न्यूज़ चैनल कम से कम देखूंगा , देखना है कि इस युद्ध यूफोरिया पर लगाम लगाने के लिए हमारी सरकार कब कदम उठाती है ! दुआ करूंगा कि भारत पाकिस्तान नेपाल बंगलादेश एक साथ एक संघ राष्ट्र का निर्माण करें और हम ईद पर होली के उत्साह से ,गले मिलकर, नफरत की करवटें लेना छोड़, आराम की नींद सो सकें ! 

Tuesday, February 26, 2019

६५ वर्ष में फ़िटनेस उम्र 52 वर्ष -सतीश सक्सेना

जीपीएस वाच मेरी एक्टिविटी रिकॉर्ड करती है , उसके एप्प टॉमटॉम स्पोर्ट्स के अनुसार 65 वर्ष की उम्र में, मेरी फ़िटनेस ऐज 52 वर्ष है जबकि पिछले वर्ष फिटनेस ऐज 47 वर्ष थी , इसका अर्थ है कि मैंने पिछले वर्ष की तुलना
में इस वर्ष कम एक्टिविटी की हैं नतीजा एक वर्ष में 5 वर्ष उम्र बढ़ गयी , पिछले चार माह से दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण, सुबह दौड़ना केवल नाममात्र को ही रहा, आज भी सुबह आरामदेह कम्बल से दुखी मन तभी निकला जब खुद को ढेरों गालियाँ देनी पड़ीं !

इतिहास गवाह है कि सफलता मानव को पागल बना देती है, वह अपने किये हर काम को श्रेष्ठ मानना शुरू कर देता है , हम सब भी धन और सम्मान पाते ही उसका अनजाने में दुरुपयोग शुरू कर देते हैं , धन का उपयोग सबसे पहले आराम करने में लगाते हैं , सुख सुविधाओं के होते सबसे अधिक ह्रदय रोग और डायबिटीज (शाही रोग) धनवान और सम्मान सज्जित लोगों को ही होते हैं , मैंने आजतक एक भी मेहनतकश व्यक्ति को ह्रदय रोग से मरते नहीं सुना और न उसे डायबिटीज हुई जबकि चीनी भी वह सबसे अधिक खाता रहा ,इन बीमारियों का शिकार सबसे अधिक सम्मानित और बड़े लोग ही होते हैं जिनके प्रभामंडल पर समाज को नाज होता है ! वे पूरे समाज को दिशा देने में समर्थ होते हैं मगर शारीरिक मेहनत और पसीना बहाना उन्हें भी निरर्थक लगता है !

मजबूत मानवीय शरीर के इंजन के विभिन्न अवयवों को शक्ति सप्लाई देने के लिए , हाथ पैरों का निर्माण किया गया है ,लगातार चलते हुए हाथ पैर शारीरिक इंजिन को ईंधन देते रहते हैं ताकि वह अंत तक कार्यशील रहे ,
इसीलिये पुराने समय में लोग बहुत कम बीमार पड़ते थे ,रोग अपने आप ठीक हो जाते थे ! उद्यम शीलता के होते ढाई लाख वर्ष के मानव जीवन में मेडिकल व्यापार का दखल पिछले दो सौ वर्षों से ही हुआ है और यकीन मानिए इसके बदौलत मानव उम्र में कोई ख़ास योगदान नहीं हुआ है सिर्फ धन बहने के एक श्रोत का सर्जन अवश्य हुआ है आज एक ऑपरेशन होते ही इंसान के जीवन की आधी एक्टिविटी और उत्साह नष्ट हो जाता है बचा जीवन धीरे धीरे बात करते हुए ही गुजरता है !

रिटायरमेंट के बाद मैंने पहली बार शारीरिक मेहनत का सुख महसूस किया, पिछले 41 माह में 638 बार घर से दौड़ने निकला हूँ और लगभग 5000 Km दौड़ चुका हूँ, प्रति सप्ताह 30 km एवरेज रनिंग करने के साथ 26 बार हाफ मैराथन रेस (21Km) पूरी करने में सफलता प्राप्त की !

६५ वर्ष की उम्र में लगातार ढाई घंटा दौड़ने के बाद पूरे शरीर से बहते पसीने का आनंद का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता उसे केवल महसूस किया जा सकता है , चेहरे और पेट का भारी वजन, कोलेस्ट्रोल , डायबिटीज , बढ़ा बीपी , पेट के रोग , जोड़ों के दर्द कब गायब हो गये, पता ही नहीं चला ! भरोसा नहीं होता कि मैं वही सतीश हूँ जिनका फोटो नीचे लगा है ! यह सब करने के लिए मैंने आत्मविश्वास के साथ लीक से हटकर चलने की आदत डाली और सफल रहा !
सस्नेह आप सबको ...

Tuesday, February 19, 2019

अनमोल जीवन के प्रति लापरवाही, पछताने का मौक़ा भी नहीं देगी -सतीश सक्सेना

बिना पूर्व तैयारी लम्बे रन दौड़ने का प्रयत्न करना, सिर्फ जोश में, बचकाना पन ही कहलायेगा , मानव देह को धीरे धीरे किसी भी योग्य बनाया जा सकता है वह हर स्थिति के अनुसार अपने आपको ढाल सकती है और इसके लिए उम्र बाधा कभी नहीं होती बशर्ते सोंचने वाले की समझ ब्लाक न हो !शरीर के जोड़, मूवमेंट के लिए बनाए गए हैं
अगर बरसों से आपने धनवान बनने के बाद, सिर्फ आराम किया है तो पक्का आपके जॉइंट जकड चुके हैं और शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी समाप्त होने के कगार पर होगी , अधिकतर लोग इसी अवस्था को ही बुढापा कहते हैं जब यहाँ 50 वर्ष से ऊपर हर इंसान के चेहरे पर, उम्र जनित गंभीरता दिखती है , हँसना उनके विचार से जवानों का काम होता है अधिक उम्र में उन्मुक्त हंसना तो उन्हें बेहूदगी लगने लगता है ! हंसने के नाम पर वे अक्सर पार्क में हमउम्र बुड्ढों के साथ खड़े होकर हो हो हो हो कर जोर से आवाज निकाल कर हंसने को ही, हंसना मान लेते हैं !

मेरे विचार से जो उन्मुक्त मन हंस नहीं सकते वे निश्चित ही असमय बुढापे का शिकार हो चुके हैं , कारण चाहे कुछ भी हो , अपने अपने कष्टों के नीचे जीने की इच्छा खो बैठना, मानवता के प्रति सबसे बड़ा गुनाह है , ऐसे लोग अपनों के प्रति, अपने कर्तव्य भुलाकर , रोते रोते जीवन काटते हुए मानव के खूबसूरत जीवन के प्रति अपराध कर रहे होते हैं !

इंसान वही जो हँसते हुए उनके लिए जिए जिन्हें उसकी जरूरत है, इसके लिए मन में स्फूर्ति एवं सतत शौक
रखना और उन्हें सीखने की प्रक्रिया आवश्यक है , इच्छाओं और स्फूर्ति का मरना ही मृत्यु है , सो हंसने के लिए पार्क में अवसाद युक्त चेहरों के साथ खड़े होकर हो हो हो हो करने की निरर्थकता पर गौर करना होगा , हंसना आवश्यक है और उसके लिए नेचुरल उन्मुक्त हँसना, सीखना होगा !

सुबह लगभग एक घंटा पसीना बहाने की आदत डालिए आप इतने में ही उम्र्जनित अवसाद से मुक्त हो जायेंगे , तेज वाक के अंत को एक या दो मिनट तक दौड़ कर समाप्त करें और यह अधिक तेज न हो कि हांफना पड जाए ! इस प्रक्रिया से आपका शरीर दौड़ना सीख जाएगा , शुरू के एक साल शरीर में तरह तरह के दर्द होंगे जो मसल्स के पुनर्निर्माण की पहचान है , उनकी परवाह न करें ! रन /वाक से पहले और बाद में स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंग्थ एक्सरसाइज अवश्य करें अन्यथा मांसपेशियां चोटिल हो सकती हैं !

अगर आप 5 km दौड़ना चाहते हैं तो सप्ताह में आराम से 10km दौड़ने का पूर्व अभ्यास बिना हांफे होना चाहिए , 10 km और 21Km के लिए यह दूरी क्रमश 20 और 40 Km होती है ! इसी तरह 5 Km दौड़ने से एक सप्ताह पहले आप कम से कम एक रन में, 4 km बिना हांफे दौड़ चुके हों , तभी शरीर को 5 km दौडाने का प्रयत्न करना चाहिए ! 10km और 21km की रेस के लिए यह दूरी 8 km और 18 km होगी !

50 वर्ष के ऊपर के नवोदितों के लिए 21 km की लम्बी दौड़ सिर्फ तब दौडनी चाहिए जब वे पिछले छह माह में कई बार 17km रन, दौड़ने के अभ्यस्त हों अन्यथा 8-10 km दौड़ने के अभ्यस्त को 21km दौड़ना घातक हो सकता है ! 21 km दौड़ते समय शरीर के तमाम अवयवों में लगातार कम्पन होता है और एनर्जी लॉस होता है , लगातार तीन घंटे , तक दौड़ने का जोश में किया गया, प्रयत्न जान लेने में समर्थ है और इसी भूल में कई धुरंधरों की मौत दौड़ते समय हुई हैं जो कई
मैराथन दौड़ चुके थे ! एक रनर जो अपने शरीर की आवाज नहीं पहचानता उसे दौड़ने से दूर रहना चाहिए , खतरनाक पलों और दिनों का अहसास शरीर अपने मालिक को महीनों पहले बताना शुरू कर देता है कि आप जबरदस्ती न करें अन्यथा बुरा घट सकता है !

हर शरीर अलग होता है, अधिक उम्र वाले वर्ष में दो या तीन हाफ मैराथन या एक मैराथन दौड़ना काफी होता है , अधिक संख्या में दौड़ने का अर्थ आपके कमजोर शरीर को खतरनाक ही साबित होगा ! अतः जल्दबाजी न करें , शरीर को धीरे धीरे कठिन मेहनत का अभ्यस्त बनाएं , तभी आप समझदार कहलायेंगे और शरीर को बीमारियों से मुक्त करने में दौड़ सहायक होगी !


Thursday, February 7, 2019

तू अमरलता, निष्ठुर कितनी -सतीश सक्सेना

वह दिन भूलीं कृशकाय बदन,
अतृप्त भूख से , व्याकुल हो,  
आयीं थीं , भूखी, प्यासी सी 
इक दिन इस द्वारे आकुल हो 
जिस दिन से तेरे पाँव पड़े  
दुर्भाग्य युक्त इस आँगन में !
अभिशप्त ह्रदय जाने कैसे ,
भावना क्रूर इतनी मन में ,
पीताम्बर पहने स्वर्णमुखी, तू अमरलता निष्ठुर कितनी !

सोंचा था मदद करूँ तेरी
इस लिए उठाया हाथों में ,
आश्रय , छाया देने, मैंने 
ही तुम्हें लगाया सीने से !
क्या पता मुझे ये प्यार तेरा,
मनहूस रहेगा, जीवन में ,
राक्षसी भूख , निर्दोष रक्त
से कहाँ बुझे अमराई में ! 
निर्लज्ज,बेरहम,शापित सी, तुम अमरलता निर्मम कितनी !

धीरे धीरे रस  चूस लिया,
दिखती स्नेही, लिपटी सी !
हौले हौले ही जकड़ रही,
आकर्षक सुखद सुहावनि सी
मेहमान समझ कर लाये थे 
अब प्रायश्चित्त, न हो पाए !
खुद ही संकट को आश्रय दें 
कोई प्रतिकार न हो पाये !
अभिशप्त वृक्ष, सहचरी क्रूर , बेशर्म चरित्रहीन कितनी !


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