Thursday, May 9, 2019

जीवन चलने का नाम -सतीश सक्सेना

नमस्ते सर , अजय कुमार बोल रहा हूँ  ...कल सुबह आपके साथ दौड़ने का मन है, जहाँ कहें वहां आ जाऊंगा ...
मेरे साथ अजय कुमार दौड़ेंगे ? क्यों बुड्ढे का मजाक बना रहे हो यार  ...?  और वाकई अजय सुबह सवा पांच बजे फरीदाबाद से चलकर मेरे घर के दरवाजे पर थे !


अजय कुमार NCR के जबरदस्त रनर्स में शुमार होते हैं , और वे अक्सर अल्ट्रा रन में भाग लेते हैं , उनका मैं प्रशंसक इसलिए हूँ कि वे कम उम्र में ही हैवी डायबिटीज के शिकार हुए और उन्होंने दौड़ना शुरू करके उसे हराने में कामयाबी प्राप्त की , आज वे एक सफल धावक हैं और 50 km की शानदार दौड़ लगाने में कामयाब हैं !
अजय कुमार एक बेहतरीन चित्रकार भी हैं और उनकी प्रदर्शनी भी लग चुकी हैं , उनका एक चित्र कमेन्ट लाइन में देखिएगा !

आज के बुरे समय में जब इंसान अपने शरीर का उपयोग ही भूल चूका है , अपने शरीर के प्रति जागरूक रहना बेहद आवश्यक है ! अक्सर रिटायरमेंट उम्र होने के आसपास ही अपने मित्रों की मृत्यु की खबर सुनना आम बात हो गयी है और यह अक्सर हार्ट अटैक से होती हैं , अधिकतर यह साथी उस समय ओवरवेट और डायबिटीज , ब्लडप्रेशर के रोगी होते हैं ! अपने मित्रों की मौत की खबर सुनकर हम सिर्फ एक शब्द ही कहते हैं कि यह भी कोई उम्र थी जाने की , और अगले दिन घर में मीठी स्वादिष्ट इलायची पड़ी चाय के साथ आलू परांठे खा रहे होते हैं !


मुझे बेहद अफ़सोस तब होता है कि अक्सर असमय जाने  वाले लोग बेहतरीन प्रभामंडल युक्त होते हैं जिनके आसपास जी हजूरी तथा हाँ जी हाँ जी कहने वालों की भीड़ होती है और यह गुरु गौरव के साथ, तमाम सामाजिक उपयोग का विशुद्ध ज्ञान भी, नियमित बाँटते रहते हैं , ऐसे विद्वान भी अपने शरीर की चीत्कार सुनने में असमर्थ होते हैं और उसका एकमात्र कारण आलस्य तथा जीभ पर कंट्रोल न करना मात्र है जिसके कारण वे अपने नजदीक आती हुई निश्चित मृत्यु की आहट को सुनने में विफल रहते हैं !

मैं जब आलस्य से घिरता हूँ तब अजय कुमार जैसे कम साधन युक्त लोगों से सबक और शक्ति लेता हूँ , जो अकेले बिना किसी दवा के डायबिटीज को हारने में कामयाब हुए हैं अवसाद युक्त क्षणों में भी अक्सर मैं उन्हें हँसते देखता हूँ तब मुझे उनसे शक्ति मिलती है ! 



1 comment:

  1. इसी तरह हौसला बढ़ाते रहें सबका

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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