tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post1175519192519305311..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: भारतीय महिला जागरण लेखन और ब्लाग प्रतिक्रियाएं -सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-91933614478594836312008-09-21T21:51:00.000+05:302008-09-21T21:51:00.000+05:30lekh bhaut had tak sahi haisamanata ka bhaav hona ...lekh bhaut had tak sahi hai<BR/>samanata ka bhaav hona hi chahiye<BR/>magar usmain bhi kuch apni limitation hai<BR/><BR/>lekh hamesha hi apne anubhav ko yaa apne dekhe hue waqaye se juda hota hai<BR/>aur sabhi ungliyan to samaan nahi ho sakti<BR/>kisi ko achha anubhav milta hai kuch buraश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-5915169143634702032008-09-20T22:18:00.000+05:302008-09-20T22:18:00.000+05:30सतीश जीबहुत अच्छा परिवार बचाने के लिये आपको प्रयास...सतीश जी<BR/>बहुत अच्छा परिवार बचाने के लिये आपको प्रयास करने ही चाहिये. कुछ महिलायें जो स्वयं पारिवारिक सुखों की अनुभूति नहीं कर पाईं हैं या किन्ही कारणोंवश अपनी महत्वाकाक्षाओं की पूर्ति नहीं कर पाईं हैं, वे अपनी रचना पर तो विपरीत विचार को भी स्वीकार नहीं कर पातीं जबकि दूसरों के खासकर पुरुषों के वैयक्तिक जीवन को कट्घरे मै खडा करना अपना अधिकार समझती हैं किन्तु आप परेशान न हों. परिवार की मूल धारणा को बचाये रखने के लिये इनके तीरों का जबाब स्नेह के फ़ूलों से ही देना होगा. जिन्हें परिवार का प्रेम व संरक्षण नहीं मिल पाया वे तो पुरुषों पर वार करेंगी ही, तथा विदुषी होने के अहम में कुछ सुनेंगी ही नहीं, ये केवल सुनाना चाहती हैं सुनना नहीं, केवल प्रेम पूर्ण व्यवहार करना ही इन्हें परिवार व समाज से जोडे रख सकता है, ईश्वर से यही कामना है कि हमें इतनी सामर्थ्य दे कि इनकी कटुता को सहन कर माधुर्य दे सकें. आप अपने आप को घायल महसूस न करें. लिखते रहें.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-65488228488831101132008-09-19T01:14:00.000+05:302008-09-19T01:14:00.000+05:30सतीश जी,:)सतीश जी,:)राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-84536826962361022132008-09-17T10:02:00.000+05:302008-09-17T10:02:00.000+05:30सुजाता जी !आप अपना पिता तुल्य पत्र को दोबारा पढ़ कर...सुजाता जी !<BR/>आप अपना पिता तुल्य पत्र को दोबारा पढ़ कर अवश्य देखें ! मैं दुबारा आपसे कह रहा हूँ कि व्यक्तिगत प्रहार, और व्यक्तिगत प्रश्न नहीं करने चाहिए, आपने मेरे वारे में बिना कुछ भी जानते हुए भी किए ! आप फिर मुझे मजबूर कर रहीं हैं कि मैं अपने बारे में अपने कार्यों के बारे में फिर आपको बताऊँ.....आप फिर विश्वास नहीं करेंगी और मुझे घमंडी मानने लगेंगी. <BR/>अगर आप मेरे जैसे लोगों को नही जानती तो इसमे मेरी कोई गलती नही सुजाताजी .....<BR/>मुझे आत्म प्रसंशा से ख़राब कुछ नहीं लगता, मगर जवाब देना मजबूरी थी !मैं आपके अनिष्ट कामना जैसी बाते सोच भी नही सकता.... <BR/><BR/>"दुनिया में सबसे भला मानने का दंभ".... शायद कवि ह्रदय लोगों के बारे में आप नही जानती, मगर जो कुछ मैंने लिखा, मैं वैसा ही हूँ.... <BR/><BR/>मेरी आपसे बाप बेटी का रिश्ता बनने की कोई चाह नही है, मगर उम्र में लगभग २३ वर्ष छोटी होने के आपको बेटी तुल्य समझ कर( आज के समय में यह गलती है) क्षणिक आवेग में मैंने (मानवीय भूल) कुछ कह दिया हो तो खेद है ...आपके सम्बन्ध में भविष्य में ध्यान रखूँगा ... <BR/><BR/>मगर आप एक महत्वपूर्ण कार्य कर रहीं है, सिर्फ़ कुछ मुद्दों पर मैं आप लोगों का विरोधी हो सकता हूँ, मगर आपका कार्य समाज के लिए आवश्यक है , अतः आप और रचना जी के विचारों की इस ब्लाग पर हमेशा आवश्यकता रहेगी ! आपका हमेशा स्वागत होगा... <BR/><BR/>अपने से बड़ों के प्रति शिष्टता का वर्ताव करें....मेरा आशीर्वाद आपके साथ है सुजाता !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-26859006907150314242008-09-17T09:48:00.000+05:302008-09-17T09:48:00.000+05:30"मैं रचना जैसी " sharoj ji maene kisi par bhi koi ..."मैं रचना जैसी " <BR/>sharoj ji maene kisi par bhi koi personal aakshep nahin kiyaa phir yae baat aap ne kyu kahi , <BR/>aur mae bloging professionally kartee hun nayee sae purani post ko jodtee hun day to day padhtee hun <BR/>maere liyae bloging ek psotpar aakar khatam nahin hotee <BR/><BR/>aur jahaan ..... kehrahey anaam vyaktiyon kae kament ko moderate nahi kiya jaata wahan shaleenta ki kyaa baat karni haenAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-22494861201940536942008-09-17T08:46:00.000+05:302008-09-17T08:46:00.000+05:30पिता तुल्य सतीश जी , आप आहत हुए उसके लिए क्षमा प्र...पिता तुल्य सतीश जी , <BR/>आप आहत हुए उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ!मै कमेंट करने वापस नही आने वाली थी पर चूंकि आपने मेरे कमेंट के जवाब मे तीन तीन बार उत्तर दिया और तिलमिला कर पर्याप्त प्रहार करने की कोशिश की इसलिए आना पड़ा।<BR/>आप भले मानस हैं ,मुझे कोई शंका नही पर आपने अपने जवाबी कमेंट्स में यह साबित किया है कि आपमें खुद को दुनिया मे सबसे भला व्यक्ति मानने का कैसा दम्भ है । किसी भी भले मनुष्य को यह शोभा नही देता कि वह अपनी पोर्णता के भ्रम पाले ।आपने मुझे असभ्य ,अशिष्ट जो भी कहा लेकिन अपने कमेंट्स में अपनी भी इसी योग्यता को प्रमाणित कर दिया सो सिद्ध हुआ कि आपमे और मुझमे कोई अंतर नही !!कटु और असभ्य होने मे आप मेरे सानी निकलें :-)<BR/>आपने अपने अंग दान किये हैं यह अच्छा है पर आपका वाक्य है -मेरी म्रत्यु पर अगर वे अंग आपके किसी कार्य के हों तो अवश्य सूचित करें !<BR/><BR/>आप भी अपनी सीमा इस कदर भूल गये कि मेरे अनिष्ट तक की आपने कामना कर डाली ??<BR/>खैर ,<BR/>आपके ब्लॉग पर आकर मुझे खेद हुआ!इसके बाद मेरी ओर् से कोई टिप्पणी नही आयेगी । <BR/>बस यह जानकर खुशी हुई कि आपने अपनी पुत्री को अपनी सम्पत्ति मे बराबर का वारिस बनाया है हालांकि आपका उत्तर अब भी गोल मोल ही है ।<BR/><BR/>ईश्वर करे आप ऐसे ही विनम्र ,सदाचारी और भले मनुष्य बने रहें और आइन्दा कभी कोई असभ्य आपके ब्लॉग पर आ जाए तो उसे अप्रत्यक्ष रूप से असभ्य हो कर जवाब न दें बलकि अपनी विनम्रता से शर्मसार कर दें ।<BR/>धन्यवाद व <BR/>आपकी पुत्री को मेरी शुभकामनाएँ ।ईश्वर करे वह भविष्य मे एक सफल और शक्तिशाली स्त्री सिद्ध हो ,अन्याय का प्रतिकार करे ,सुखी जीवन जिए,करियर में प्रगति हासिल करे और नए नए प्रतिमान गढे,अपने समाज और आस पास की स्त्रियों को अपनी शिक्षा और संस्कारों से प्रभावित करें ।<BR/>सादर ,<BR/><BR/>सुजाता<BR/>और हाँ ,<BR/>मेरे पिता के कोई पुत्र नही है सो बहू सुख और बहू भय दोनो से वे वंचित रहेंगे :-)और हाँ एक सुविधा आपके पास कमेंट मॉडरेशन की भी है कोई कमेंट आपत्तिजनक लगे तो आप उसे हटा सकते हैं ।<BR/>आपके आशीर्वाद की अभिलाषिणी ,<BR/><BR/>सादर <BR/>सुजातासुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-47859310412309920852008-09-16T22:56:00.000+05:302008-09-16T22:56:00.000+05:30समाज आज भी पुरुष-वर्चस्व वादी है.इसे सबसे पहले स्व...समाज आज भी पुरुष-वर्चस्व वादी है.<BR/>इसे सबसे पहले स्वीकार करना चाहिए .<BR/><BR/>हमने ढेरों प्रगतिशील और समाजवादी-साम्यवादियों को काफी निकट से देखा है.<BR/>व्यवहार में वो भी नारी, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी होते हैं.<BR/><BR/>डॉक्टर ज्योति जी की बात से मैं इत्तेफाक रखता हूँ .<BR/>सतीश जी ने भी अपनी बात समुचित ढंग से रखने का प्रयास किया है.<BR/>यहाँ नारी-विरोध की बात नहीं लगती.<BR/>अभिव्यक्त करने के अपने ढंग होते हैं, अपना शिल्प होता है.<BR/>इस चक्कर में सम्ब्भव है किसी को उनकी बात का आशय कुछ और लगा हो.<BR/><BR/>मैं रचना जैसी बहनों से विनम्र आग्रह करूँगा कि<BR/>शालीनता ज़रूर बनाए रखें.अपनी बात रखें.अपना तर्क रखें.लेकिन व्यक्तिगत आरोपण असंसदीय ही समझा जायेगा.<BR/>आक्रामकता भी ज़रूरी है, लेकिन सतीश जी जैसे भले मानुष के साथ kya लड़ना-झगड़ना.شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-82882853803422702542008-09-16T20:05:00.000+05:302008-09-16T20:05:00.000+05:30आपका लेख एकदम संतुलित है. ऐसा लिखना काफी कठिन है, ...आपका लेख एकदम संतुलित है. ऐसा लिखना काफी कठिन है, लेकिन आप इस कार्य में सफल हुए हैं.<BR/><BR/>आजकल खरा लिखना कुछ कठिन हो गया है, खास कर जब आलेख नारी विषय को स्पर्श करता है. लेकिन लिखते रहें, सच्चाई सामने आ जायगी. टिप्पणी की सुविधा का मतलब ही यह है कि खुल कर चर्चा की जाये.<BR/><BR/>यदि चर्चा के बदले कोई टिप्पणीकार अस्वस्थ दिशा में विषय को ले जाने की कोशिश करता है तो उसका मतलब है कि उसके पास अपने नजरिये के पक्ष में बोलने के लिये कोई ठोस तथ्य नहीं है. ऐसे लोगों को भी जम कर टिप्पणी करने दें. कौन कितने पानी में है यह व्यक्त हो जायगा.<BR/><BR/><BR/>-- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>-- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-79412143092821861452008-09-16T19:27:00.000+05:302008-09-16T19:27:00.000+05:30आपकी साह्स और हिम्मत से में बहुत खुश हूँ .बहुत ही ...आपकी साह्स और हिम्मत से में बहुत खुश हूँ .<BR/>बहुत ही उन्दा जवाब आपने दिए .धन्यवादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-51886526353070450752008-09-16T18:56:00.000+05:302008-09-16T18:56:00.000+05:30रचना जी !सुजाता के कटाक्ष...."डॉ अमर ज्योति और रचन...रचना जी !<BR/>सुजाता के कटाक्ष....<BR/>"डॉ अमर ज्योति और रचना जी से सहमत !..."<BR/><BR/>डॉ अमर ज्योति से सुजाता जी सहमत बता रही है जबकि डॉ अमर के शब्द उनकी समझ में ही नही आए हैं, <BR/>रचना का इशारा कविता के भाव पर है जबकि सुजाता मेरे रुदन का जिक्र कर रही हैं <BR/> <BR/>"अब सतीश जी यह बताएँ कि उनकी बहू कब आ रही है क्योंकि वे भयभीत दिखाई दे रहे हैं !और आने वाले दिनों के लिए एक सॉलिड भूमिका तैयार कए रहे हैं।उन्होंने अपने बेटे को क्या शिक्षा दी है ?उस पर उनसे कम से कम पांच भाग में एक नैतिक शिक्षा वाली कविता की मुझे अपेक्षा है।"<BR/><BR/>मेरा २६ वर्षीय पुत्र, हर तरह से, सबसे दुनिया के सबसे अच्छे पुत्रों की क्लास में से है ! मैं ख़ुद शक्तिशाली और समर्थ और योग्य पिता हूँ, मेरी भावी बहू मेरे घर को पाकर धन्य हो जायेगी, वहां उसको मेरे जैसा पिता मिलेगा !<BR/>भय शब्द मैं जानता ही नहीं , रह गयी सालिड भूमिका , यह काम घटिया लोग करते हैं, हम जैसे शानदार दिल के लोग हर काम मस्ती में करते हैं और हमें लोग भी हमेशा अच्छे मिलते रहे हैं, हमारी संगती में आने वाले कुटिल और अहंकारी लोग भी शर्मिन्दा होकर प्यार करना सीख जाते है सुजाता जी !! अपने पुत्र को मैंने अपने बेटी से अधिक शिक्षाये दी हैं, उसके लिए आपको मेरे ब्लाग को ध्यान से पढ़ना होगा ! हालाँकि अब मुझे आपकी अपेक्षा की चिंता नही है... <BR/><BR/>"एक और बात बताएँ क्या आपने अपनी सम्पत्ति मे से अपनी बेटी को केवल नैतिक शिक्षा और टीवी,वॉशिंग मशीन ,ए सी,माइक्रोवेव ही दिया है या घर ,ज़मीन आदि भी दी है ?उम्मीद है सम्पत्ति का बराबर बंटवारा किया होगा आपने और बेटी को ।मुझे उम्मीद है कि आपने बिटिया के साथ भेद भाव नही किया होगा ,क्योंकि आप उसके सबसे बड़े शुभचिंतक हैं।"<BR/><BR/>मैं अपना जवाब दे चुका हूँ, आप के घर में आपके पिता की स्थिति जानने की वाकई चिंता है, हो सके तो कुछ प्रकाश डालियेगा ! <BR/><BR/>मैं आप और आपकी महिला चेतना से जुडी समस्त लड़कियों / महिलाओं का बहुत सम्मान करता हूँ ! और आप लोगों के ब्लाग पर कई बार जा जाकर अच्छे लेखों पर अपनी उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रियाएं देता रहा हूँ ! मैं जो कुछ भी लिखता रहा हूँ अपने दिल से लिखा है कभी किसी से तारीफ़ या प्राप्ति के लिए कभी नहीं लिखा,!इस प्रकार का आचरण देख कर नहीं लगता कि आप लोगों को हमारी जरूरत है, शायद कुछ महिलाओं को स्नेह की आवश्यकता है ही नही ! <BR/>-यह कौन सी सभ्यता और आचरण है जिसमे अपने पिता समान व्यक्ति से बात करने का सलीका भी नही आता ! <BR/>-यह पूरी रचना एक शक्तिशाली एवं समर्थ पिता के द्बारा अपनी सम्पूर्ण शिक्षित पुत्री को समर्पित कविता है जिसका उद्देश्य, इन आचरणों को अपने व्यवहार में लाना है !<BR/> <BR/>"सुजाता जी तीखा लिखती जरूर हैं..."<BR/> <BR/>सुजाता तीखा नहीं लिखती हैं , असभ्य लिखती हैं, उन्होंने बिना दोष मेरे पुरे परिवार को अपनी कल्पना अनुसार परिभाषित भी कर दिया, उनकी भाषा शायद किसी भी घर में कलह कराने के लिए पर्याप्त है ! शायद सुजाता जी के पिता एक भयभीत पुरूष होंगे , मैंने जीवन में कभी भय शब्द को ही नही सीखा, मगर दुःख है कि एक बच्ची मुझे भयभीत बता रही है !<BR/><BR/>मगर जब यही तीखा व्यवहार पुरूष ब्लागर करते हैं तो तिलमिलाहट क्यों...... अभी हाल में आप लोगों के समर्थन में ऐसे ही एक ब्लागर के यहाँ से मैंने ख़ुद वाक् आउट किया था ! आशा है की आप अपने आन्दोलन में कुछ उचित बदलो जरूर लायेंगी ! शुभकामनायेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58244484174207227012008-09-16T16:47:00.000+05:302008-09-16T16:47:00.000+05:30सोचा तो सही है आपने. सस्नेह.सोचा तो सही है आपने. सस्नेह.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-59218655584570677042008-09-16T16:31:00.000+05:302008-09-16T16:31:00.000+05:30चित भी मेरी पट भी मेरीAbove appeared some women ar...चित भी मेरी पट भी मेरी<BR/><BR/>Above appeared some women are policing the blog for their anti-male agenda. Beware of such ..... .<BR/><BR/> <BR/>aapko अपनी पॉलिटिक्स में घसीट hi लेंगीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-90739311362720008752008-09-16T14:42:00.000+05:302008-09-16T14:42:00.000+05:30रचना की बात शायद सही है par satish ji aap jarur na...<A HREF="http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/02/blog-post_11.html" REL="nofollow">रचना की बात शायद सही है</A> <BR/>par satish ji aap jarur nazar daaley sujata teekha likhtee haen par uska maksad kewal aur kewal mahila ka adhikaar kae prati sachet hona hota haenAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-23435856380508684122008-09-16T14:37:00.000+05:302008-09-16T14:37:00.000+05:30dr anuraag aap nae wahii kehaa jo ham sab keh rahe...dr anuraag <BR/>aap nae wahii kehaa jo ham sab keh rahey haen kam sae kam mae to yahii likhtee hun ki naari par nirantar <BR/>aarthik aatm nirbhartaa hii ek maatr upaay haenAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-92013750561248030502008-09-16T14:04:00.000+05:302008-09-16T14:04:00.000+05:30आर्थिक निर्भरता ओर शिक्षा यही दो चीज़ आप स्त्री को...आर्थिक निर्भरता ओर शिक्षा यही दो चीज़ आप स्त्री को दे ....ओर किसी चीज़ की जरुरत नही .डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-8634503208979545912008-09-16T11:43:00.000+05:302008-09-16T11:43:00.000+05:30मगर मेरी अर्जित की हुई सारी संपत्ति पहले मेरी पुत्...मगर मेरी अर्जित की हुई सारी संपत्ति पहले मेरी पुत्री की है बाद में मेरे बेटे की, <BR/>सतीश जी <BR/>यूँ तो ये बात आपने सुजाता के प्रश्न का उत्तर मे दी हैं पर अगर इसको वहा के सन्दर्भ से ना जोड़ कर अलग से ले तो क्या आप अपनी पुत्र और भावी पुत्र वधु के प्रति अन्याय नहीं कर रहे . आप की पुत्र वधु भी किसी पिता की संस्कारी पुत्री होगी और उसका पिता भी चाहेगा की आप के घर मे उसके भी अधिकार हो उनका क्या होगा ?? <BR/>और अगर आप की पुत्री के अन्दर आपकी सम्पति की वजह से अहकार आज्ञा तो ?? उसको अपनी ससुराल मे सुनना पड़ सकता हैं " ज्यादा बाप की दौलत का अंहकार हो तो अपने बाप के घर ही रहती तुम्हेरे नाम जायदाद हैं तो क्या होगया , सर पर मत चढो "Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-70645855145765717952008-09-16T11:40:00.000+05:302008-09-16T11:40:00.000+05:30आप से सहमत होते हुए भी कुछ असहमत हूँ, दरअसल समाज ब...आप से सहमत होते हुए भी कुछ असहमत हूँ, दरअसल समाज बदल रहा है, इस में कोई शक नही लेकिन सच तो ये है की आज भी लडकियां भेद भाव का शिकार हैं, ख़ास कर निचले तबके और गाँव देहातों में, मैं मानती हूँ की सब एक जैसे नही होते, और जहाँ तक सतीश जी आपका सवाल है तो आप जैसा हर कोई नही होता, आज भी आप दस घर, मैं शहर की बात नही कर रही, शहर गाँव, दोनों को लेकर देखिये, आपको सच्चाई दिख जायेगी. लेकिन फिर भी उम्मीद की शमा रौशन हो रही है, देर से ही सही, रौशनी ज़रूर आएगी...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-65823056594375599472008-09-16T11:26:00.000+05:302008-09-16T11:26:00.000+05:30हालाँकि यह ब्लॉग सतीश जी का है पर उनसे क्षमायाचना ...हालाँकि यह ब्लॉग सतीश जी का है पर उनसे क्षमायाचना सहित कुछ निवेदन सुजाता जी से करना है। असहमति और आक्रमण की भाषा में अंतर होता है क्या यह बात भी समझानी होगी? एक सह्रदय और संवेदनशील व्यक्ति को चोट पहुंचा कर आपने अच्छा नहीं किया। अधिक कुछ नहीं कहूंगा। समझदार व्यक्ति के लिये इशारा ही काफी होता है। और आपकी समझदारी में मुझे अभी भी पूरा भरोसा है।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-1947836904914830742008-09-16T10:29:00.000+05:302008-09-16T10:29:00.000+05:30@ सुजाता जी !ब्लाग मैनर्स मैं आपको समझाना नही चाहत...@ सुजाता जी !<BR/>ब्लाग मैनर्स मैं आपको समझाना नही चाहता, मगर अनुरोध है के जबतक आप व्यक्तिविशेष के बारे में अच्छी तरह जान न लें ,और व्यक्तिगत कमेन्ट तो बिल्कुल नहीं, करने चाहिए ! मैं यही संस्कार सिखाने की कोशिश कर रहा हूँ , अगर आप को इनकी आवश्यकता महसूस नही है तो मत पढिये ऐसी चीजों को, आप पूर्णतया स्वतंत्र हैं ! हर व्यक्ति के अनुभव का अपना दायरा होता है, उसी लिहाज से उसका नजरिया तय होता है ! <BR/>खैर, आपको मुबारक हो सुजाता जी ! आपके तीखे प्रश्नों से मैं वाकई घायल हुआ हूँ, लगता है कि निर्दोष दिल पर निर्ममता से तीर चलाया गया है ....<BR/>नारी की पहचान कराये, <BR/>भाषा उसके मुखमंडल की<BR/>अशुभ सदा ही कहलाई है<BR/>सुन्दरता कर्कश नारी की<BR/>कष्टों को आमंत्रित करती ग्रह पिशाचिनी सदा हँसेगी !<BR/> <BR/>आपके प्रश्नों का उत्तर देना आवश्यक नही है मेरे लिए ! मगर मेरी अर्जित की हुई सारी संपत्ति पहले मेरी पुत्री की है बाद में मेरे बेटे की, अगर प्यार की परिभाषा सीखने का कभी मन हो तो मेरे दोनों बच्चों से मिल लीजियेगा.<BR/>जहाँ तक मैंने क्या दिया है समाज को तो मैंने म्रत्योपरांत अपने शरीर के सारे अंग दान कर रखे है, मेरा कमाया हुआ धन तो मैं अपने लिए मानता ही नही ! मेरी म्रत्यु पर अगर वे अंग आपके किसी कार्य के हों तो अवश्य सूचित करें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-73303463770939576532008-09-16T10:20:00.000+05:302008-09-16T10:20:00.000+05:30इस लेख पर बस इतना ही कहना है कि दिल बहलाने को गालि...इस लेख पर बस इतना ही कहना है कि दिल बहलाने को गालिब यह ख्याल अच्छा है।11111https://www.blogger.com/profile/11021483645544858479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-11241758135890032592008-09-16T09:58:00.000+05:302008-09-16T09:58:00.000+05:30मुझे तो ये एक पिता जिसकी बेटी विवाह योग्य हैं उसके...मुझे तो ये एक पिता जिसकी बेटी विवाह योग्य हैं उसके रुदन के आलवा कुछ नहीं लगता . हर पिता समाज को यही बताना चाहता हैं की देखो हमनी कितनी संस्कारी पुत्री तुमको दी हैं सो उसका ख्याल रखना .<BR/>-----<BR/>डॉ अमर ज्योति और रचना जी से सहमत !<BR/>अब सतीश जी यह बताएँ कि उनकी बहू कब आ रही है क्योंकि वे भयभीत दिखाई दे रहे हैं और आने वाले दिनों के लिए एक सॉलिड भूमिका तैयार कए रहे हैं।उन्होंने अपने बेटे को क्या शिक्षा दी है ?उस पर उनसे कम से कम पांच भाग में एक नैतिक शिक्षा वाली कविता की मुझे अपेक्षा है।<BR/>एक और बात बताएँ क्या आपने अपनी सम्पत्ति मे से अपनी बेटी को केवल नैतिक शिक्षा और टीवी,वॉशिंग मशीन ,ए सी,माइक्रोवेव ही दिया है या घर ,ज़मीन आदि भी दी है ?उम्मीद है सम्पत्ति का बराबर बंटवारा किया होगा आपने और बेटी को ।मुझे उम्मीद है कि आपने बिटिया के साथ भेद भाव नही किया होगा ,क्योंकि आप उसके सबसे बड़े शुभचिंतक हैं।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-39756596590077636892008-09-16T08:34:00.000+05:302008-09-16T08:34:00.000+05:30मुझे तो ये एक पिता जिसकी बेटी विवाह योग्य हैं उसके...मुझे तो ये एक पिता जिसकी बेटी विवाह योग्य हैं उसके रुदन के आलवा कुछ नहीं लगता . हर पिता समाज को यही बताना चाहता हैं की देखो हमनी कितनी संस्कारी पुत्री तुमको दी हैं सो उसका ख्याल रखना . लेकिन एसा क्यूँ करना पड़ता हैं पिता को ??? अगर जवाब हो तो जरुर जानना चाहती हूँ . क्यूँ हर पिता के मन मे अपनी पुत्री के लिये संशय होता हैं ?? की वो सुखी रह पायेगी या नहीं . <BR/>ब्लॉग पर महिला लेखन को लेकर क्यूँ परेशानी होती हैं ?? आज तक नहीं पता चला . जब पुरूष निरंतर महिला के लिये "मांस " शब्दों का उपयोग करते हैं अपनी ब्लॉग पर या दुसरे की पत्नी के ऊपर व्यंग करते हैं तब क्यूँ तकलीफ नहीं होती और क्यूँ उस मानसिकता को नहीं लिखा जाता ?? अगर आप ब्लॉग लेखन की बात कर रहे हैं तो जिस ब्लॉग लेखन मे एक ब्लॉगर से उसका लिंग पूछा जाता हो और बार बार अनाम बन कर महिला को गाली दी जाती हो उस समाज मे अगर हम भी आप को आप की ही शैली मे जवाब देते हैं तो क्या गलत करते हैं .<BR/>जो पुरूष ये समझते हैं की महिला ब्लॉग लेखा पुरूष के ख़िलाफ़ लिख रही हैं वो "पुरूष" को बहुत ज्यादा importance दे रहे हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-34563884275807168532008-09-16T06:19:00.000+05:302008-09-16T06:19:00.000+05:30यह तो हिन्दी ब्लॉगिंग का संक्रमण काल है। हर कोई अप...यह तो हिन्दी ब्लॉगिंग का संक्रमण काल है। हर कोई अपने लिये रोल तलाश रहा है। महिलायें ग्लोरिया स्टेनम (American feminist icon, journalist and women's rights advocate) का रोल तलाशें, तो आश्चर्य नहीं।<BR/><BR/>बाकी, समय के साथ पत्थर नुकीले से गोल और सुचिक्कण बनेंगे।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67566746145510171492008-09-15T23:57:00.000+05:302008-09-15T23:57:00.000+05:30महिलाएं चाहती हैं कि परिवार में चाहे वह पिता का हो...महिलाएं चाहती हैं कि परिवार में चाहे वह पिता का हो या पति का, उन्हें उतने ही अधिकार प्राप्त हों जितने पुरुषों को हैं। जब कि हमारा पारिवारिक ढांचा पुरुष प्रधान है। इस कारण से इस ढांचे का पूरी तरह से रूपांतरण होने तक यह द्वंद बना रहेगा। इस द्वंद के कारण परिवार में हलचल बनी रहेगी। वर्तमान ढांचे को चुनौती महिलाओं की ओर से मिल रही है इसलिए वे ढाँचे को विलेन दिखाई पड़ती हैं। <BR/>सतीश जी उन के आस पास के जिन परिवारों की बात करते हैं वहाँ ऐसा ही लगेगा। क्योंकि वहाँ महिलाओं ने यथास्थिति को स्वीकार कर लिया है। वे उसी में रच बस गई हैं। <BR/>महिला के लिए यदि उस का पति अच्छा है उसे मान देता है तो उस के लिए जीवन स्वर्ग है,और पति सही नहीं तो वही नरक बन जाता है। <BR/>क्या डाक्टर अमर ज्योति का एक भी कथन गलत है? <BR/>जिस परिवार में महिला को बराबर का हक मिलता है वह स्वर्ग समान है। यही महिलाएं चाहती हैं।<BR/>हाँ, व्यक्तिगत स्वभाव और चरित्र की बात और है वह तो पुरुष क्या और नारी क्या? सब समान हैं। नारी भी परिवार नष्ट कर सकती है और पुरुष भी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-13205045911169449722008-09-15T23:48:00.000+05:302008-09-15T23:48:00.000+05:30आप ने बिलकुल सही लिखा हे,लेकिन मे मानता हू ऎसा लेख...आप ने बिलकुल सही लिखा हे,लेकिन मे मानता हू ऎसा लेख वही नारियां लिखती हे जिन के परिवार मे, या उन के साथ अब या बचपन मे कुछ गलत हुआ, या इन के मां बाप ने उन्हे समाज के बारे ,खास कर मर्दो के बारे नफ़रत ही भरी इन के दिलो मे, मुझे कभी कभी गुस्सा भी आता हे , लेकिन तरस भी आता हे, ऎसी मान्सिकता पर, भारत की नारी पुरे विश्व मे महान कही ओर मानी गई हे, ओर हे भी.<BR/>आप ने बहुत अच्छा लेख लिखा हे शायद इस लेख का कुछ असर हॊ.वेसे भी कहते हे जो मिठ्ठा बोलता हे सभी से प्यार ओर इज्जत पाता हे, वो चाहे नर हो या नारी,हमारे घरो मे तो अब भी बेटी को,यही समझाया जाता हे कि, ससुराल को ही अपना घर समझना... अजी नही, अब ससुराल ही तुम्हारा अपना घर हे, ओर सास ससुर ही अब तुम्हारे मां बाप हे....<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com