tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post2067222808907345412..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: क्यों लोग मनाते दीवाली ? -सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-72529385186405943672010-10-24T08:43:43.645+05:302010-10-24T08:43:43.645+05:30भावपूर्ण रचना...वास्तव में काफ़ी कुछ तो वाह्य आडंब...भावपूर्ण रचना...वास्तव में काफ़ी कुछ तो वाह्य आडंबर ही होता है...त्योहार हो या रीति रिवाज...प्रणामविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-10416750729308332592010-10-24T00:34:59.641+05:302010-10-24T00:34:59.641+05:30ज्योति-पर्व दीपावली पर सपरिवार,हमारी मंगल-कामनाएँ ...ज्योति-पर्व दीपावली पर सपरिवार,हमारी मंगल-कामनाएँ स्वीकार करें.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-59631487233515844672010-10-23T19:58:47.492+05:302010-10-23T19:58:47.492+05:30कर वर्ण व्यवस्था नष्ट कोई इस लाइन को अन्यथा न लेले...कर वर्ण व्यवस्था नष्ट कोई इस लाइन को अन्यथा न लेले वैसे मानव कुल शव्द प्रयुक्त हुआ है इसलिये दूसरा अर्थ लगाना तो नहीं चाहिये क्योंकि आगे भेदभाव त्यागने को भी कहा जारहा है तथा अपने कुल को संगठित करने का भी कहा जारहा है अपना कुल यानी मानव कुल ।अच्छा संदेshBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-11073977005051048372010-10-23T19:53:13.498+05:302010-10-23T19:53:13.498+05:30सतीश जी ,
हमारी दुआओं और उम्मीदों के पूरे होने की ...सतीश जी ,<br />हमारी दुआओं और उम्मीदों के पूरे होने की दिशा में क़दम उठने लगे हैं<br />भेद-भाव का ख़ातमा ,वर्ण व्यवस्था का अंत,छुआछूत का अंत अब सामने दिखने लगा है ,<br />हालांकि आज भी हमारी कथनी और करनी में अंतर होता है लेकिन हमारी नई पीढ़ी इन चीज़ों में विश्वास नहीं करती वो देश की मज़बूती में यक़ीन रखती है<br />बहुत सुंदर पंक्तियां !इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-9923153037298866682010-10-23T19:10:52.705+05:302010-10-23T19:10:52.705+05:30न्यून शब्दों में मानवीय विभेद वेदना॥ सार्थकन्यून शब्दों में मानवीय विभेद वेदना॥ सार्थकसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-18511950352474416722010-10-23T17:22:13.977+05:302010-10-23T17:22:13.977+05:30अच्छी बात कही सबको सुनना और समझना चाहिए |अच्छी बात कही सबको सुनना और समझना चाहिए |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-11551979567649499892010-10-23T16:13:41.697+05:302010-10-23T16:13:41.697+05:30गुरुदेव! एक पखवाड़े पहले से ही दीवाली के आगमन की पू...गुरुदेव! एक पखवाड़े पहले से ही दीवाली के आगमन की पूर्वसूचना दे दी आपने!!बहुत सुंदर गीत!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-87749188520562262202010-10-23T13:44:17.930+05:302010-10-23T13:44:17.930+05:30सुन्दर रचना है बधाई।सुन्दर रचना है बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33058380412301081622010-10-23T12:11:22.359+05:302010-10-23T12:11:22.359+05:30बहुत ही सुंदर और सशक्त रचना, शुभकामनाएं.
रामरामबहुत ही सुंदर और सशक्त रचना, शुभकामनाएं.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-86498863051168807572010-10-23T11:42:57.822+05:302010-10-23T11:42:57.822+05:30सुन्दर रचना.सुन्दर रचना.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-34856766754318339292010-10-23T11:31:40.126+05:302010-10-23T11:31:40.126+05:30कर वर्ण व्यवस्था नष्ट,संगठित
कर पहले अपने कुल को !...कर वर्ण व्यवस्था नष्ट,संगठित<br />कर पहले अपने कुल को !<br />सुन्दर सार्थक सन्देश। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-89823228997399720982010-10-23T10:34:32.452+05:302010-10-23T10:34:32.452+05:30मानव कुल में ले जन्म, बाँट ,
क्यों रहे अरे अपने कु...मानव कुल में ले जन्म, बाँट ,<br />क्यों रहे अरे अपने कुल को,<br />कर वर्ण व्यवस्था नष्ट,संगठित<br />कर पहले अपने कुल को !<br /><br />bahut achchha sandesh deti rachna ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-10027404961883044932010-10-23T08:53:56.979+05:302010-10-23T08:53:56.979+05:30बढ़िया रचना...बधाईबढ़िया रचना...बधाईसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88067783285786025712010-10-23T08:03:44.166+05:302010-10-23T08:03:44.166+05:30संवेदित करती हुयी पंक्तियाँ। बँटने में वह आह्लाद क...संवेदित करती हुयी पंक्तियाँ। बँटने में वह आह्लाद कहाँ जो संग रह कर आनन्द उठाने में है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-55545660808832117272010-10-23T07:15:39.206+05:302010-10-23T07:15:39.206+05:30सतीश जी , पढ़ के अच्छा लगा. एक अच्छा सन्देश और नया ...सतीश जी , पढ़ के अच्छा लगा. एक अच्छा सन्देश और नया अंदाज़.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.com