tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post4967138549396334320..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: ब्लाग वाणी की वापसी का स्वागत है !Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-73626138902136017812009-10-01T17:18:15.123+05:302009-10-01T17:18:15.123+05:30अभिनन्दन ब्लॉगवाणी...अभिनन्दन ब्लॉगवाणी...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-62422707619793875842009-10-01T17:18:07.606+05:302009-10-01T17:18:07.606+05:30अभिनन्दन ब्लॉगवाणी...अभिनन्दन ब्लॉगवाणी...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-22235821838872698152009-10-01T08:53:01.226+05:302009-10-01T08:53:01.226+05:30स्वान्तः सुखाय! कौन लिख रहा है इस के लिए? ग्रुप ब...स्वान्तः सुखाय! कौन लिख रहा है इस के लिए? ग्रुप बने हुए हैं, तुम मेरी पीठ खुजाओ, मैं तुम्हारी खुजाऊंगा. ब्लॉग लेखन एक अलग विद्या के रूप में देखा जाने लगा है. इसे साहित्य से इतर कोई वस्तु समझा जा रहा है. कारण स्पष्ट है, आँखों के सामने नजर आ रहा है कि किसे आसमान की बुलंदियों पर चढाने का प्रयास है, किसे महत्वहीन बना देने की मेहनत है.<br />इसके बावजूद, अच्छे लेखन को पारखी ढूंढ लेते है. इस प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन अन्ततः '...मेवजयते', मैं शायद कमेन्ट करने आया था, लेखन में जुट गया. सतीश जी, बहुत खरा लिखा है.<br />कल मैं दो बार आपके ब्लॉग पर आया, मुझे वही पोस्ट मिली, ये कैसा जादू है?सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88184849755534848682009-09-29T17:19:54.600+05:302009-09-29T17:19:54.600+05:30पसंद ना पसंद को हटा ही दो,पसंद ना पसंद को हटा ही दो,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-13071547179579345722009-09-29T11:53:32.247+05:302009-09-29T11:53:32.247+05:30सतीश भाई, यह तो मैंने सहज बुद्धि से ही कहा है, क्...<i><br /><br /> सतीश भाई, यह तो मैंने सहज बुद्धि से ही कहा है, क्योंकि मेरा ऎसा ही मानना है ।<br />इसे इतना हाईलाइट मत करो, वरना मूरख भाई ज्ञानवाला का अगला पड़ाव मैं ही बन जाऊँगा ।<br />पसँद और नापसँद की जगह पर ब्लागवाणी स्टार रेटिंग विज़ेट के विषय में सोचा जा सकता है , जो कि केवल ब्लागवाणी पर पँजीकृत ई-मेल आई.डी. डालने से ही सक्रिय हो सके । पाठकों की पसँदगी जानते रहना आवश्यक है, इससे स्वयँ के लेखन को दिशा तो मिलेगी ही, साथ ही ब्लागिंग के स्तर में भी सुधार आयेगा ।<br />अलबत्ता इसे बढ़ाने / बढ़वाने के प्रयास में आप जैसे मित्रों की सहायता लेनी होगी और मोबाइल का बिल बढ़ जायेगा । ऊँची रेटिंग की कुछ कीमत तो किसी के गल्ले में जाये कि नहीं ? जानम समझा करो !<br /></i>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-55962296116629406142009-09-29T11:20:56.686+05:302009-09-29T11:20:56.686+05:30घर घर कलश सजाओ री,
मंगल गाओ री,
दीप जलाओ री ,
च...घर घर कलश सजाओ री, <br />मंगल गाओ री, <br />दीप जलाओ री , <br />चौक पुराओ री , <br /><br />कोयल कूके मधुर वाणी<br /><br />झूमे गाएँ सकल नर नारी <br />मनाओ दीवाली कि घर आई ब्लॉगवाणी... <br /><br />अभिनन्दन ब्लॉगवाणीMeenu Kharehttps://www.blogger.com/profile/12551759946025269086noreply@blogger.com