tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post5095712180636060912..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: कुत्तों का फैसला - सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-22166305843599126932015-03-25T01:50:41.219+05:302015-03-25T01:50:41.219+05:30हमको तो पिछले साल बन्दर ने काट खाया था. हम किसको द...हमको तो पिछले साल बन्दर ने काट खाया था. हम किसको दोष दें :) muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64950943491853229912014-11-21T19:09:37.822+05:302014-11-21T19:09:37.822+05:30 आहा क्या मज़ेदार--क्या ढंग से चोट दिया आपने--क... आहा क्या मज़ेदार--क्या ढंग से चोट दिया आपने--कुत्ते समाज को इतने गम्भीरता से आपने समझा है --बेचारों सही कुत्तों का क्या होगा?--बेमिशाल आपका ये व्यंग है। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08486476255134733859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-60395714365295225492010-08-13T21:08:53.869+05:302010-08-13T21:08:53.869+05:30सतीश जी मेरी नजर में तो आपका और राव साहब दोनों ही...सतीश जी मेरी नजर में तो आपका और राव साहब दोनों ही के लेख बेहतरीन व्यंग थे और मैंने दोनों का ही मजा लिया.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53080035775430262562010-08-12T09:45:17.447+05:302010-08-12T09:45:17.447+05:30प्रॉब्लम वो नहीं सक्सेना साहब जो आपने बताई , प्रॉब...प्रॉब्लम वो नहीं सक्सेना साहब जो आपने बताई , प्रॉब्लम ये है की कुत्ता समाज को शर्म ही नहीं आती ,. डूब मरना तो बहुत दूर की बात है ! अगर इन्हें ज़रा भी शर्म आती तो क्या ये देश के ३५००० करोड़ में से २५००० करोड़ खाने-खिलाने वाले का इस तरह दुम हिलाकर बचाव करते ? शर्म उन बेशर्मों को नहीं आ रही जो इस कुता समाज को पाल रहे है तो कुत्ता समाज को क्या आयेगी ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-83962648118915492502010-08-12T07:36:31.660+05:302010-08-12T07:36:31.660+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्र...बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-49109874425413784642010-08-12T03:05:27.577+05:302010-08-12T03:05:27.577+05:30बाप रे सक्सेना साहब ...
आपके गुफी से बच के रहने मे...बाप रे सक्सेना साहब ...<br />आपके गुफी से बच के रहने में ही भलाई है...<br />लेकिन आप उसे भी समझाइये अपनी जूली डार्लिंग को तरीके रखे...अब अगर हमारे किसी माननीय ब्लोगर को कुछ हुआ तो हम भी आपातकालीन बैठक बुलायेंगे...और फिर जो फैसला होगा हम उसके जिम्मेवार नहीं होंगे...<br />हाँ नहीं तो..!!<br />हा हा हा हास्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-37064898719084599002010-08-12T01:07:58.945+05:302010-08-12T01:07:58.945+05:30बस पढ़ कर आनंद ले लिया..कहना कुछ नहीं है....:)बस पढ़ कर आनंद ले लिया..कहना कुछ नहीं है....:)संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88953220761666615542010-08-11T22:56:04.656+05:302010-08-11T22:56:04.656+05:30अब हम क्या बोले ........एक हमारे घर भी पला हुआ है ...अब हम क्या बोले ........एक हमारे घर भी पला हुआ है .........सो हम तो चुप ही रहेगे !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-29772104348970573462010-08-11T22:09:39.590+05:302010-08-11T22:09:39.590+05:30हा हा हा
गज़ब की त्वरित प्रतिक्रिया
अगर जूली डार...हा हा हा<br /><br />गज़ब की त्वरित प्रतिक्रिया<br /><br />अगर जूली डार्लिंग को कुछ भी कहा गया तो हम गिरिजेश राव से सीधे निबटेंगे ! <br /><br />मैं तो डर गया :-)<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31170643165458034232010-08-11T21:40:58.678+05:302010-08-11T21:40:58.678+05:30"मो सम कौन" का कमेन्ट :
Saxena saahab,
c..."मो सम कौन" का कमेन्ट :<br />Saxena saahab,<br />comment post nahin ho paa raha hai, jaane kyon, shaayad irrelevent lag raha ho google ko, ha ha ha.<br />"हम तो खुद ये भुगत चुके हैं जी, बस राव साहब जैसे खुश्किस्मत नहीं कि किसी प्यारी सी, सुंदर सी और मासूम सी ने काटा हो। <br />हम तो फ़िर भी यही कहेंगे कि जिसने काटा उसका भी भला और जिसको काटा उसका भी भला।Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-22597719089709460922010-08-11T21:38:36.451+05:302010-08-11T21:38:36.451+05:30धन्यवाद। वह व्यंग्य ही है - उन लोगों के ऊपर जो जान...धन्यवाद। वह व्यंग्य ही है - उन लोगों के ऊपर जो जानवर पालते हैं लेकिन इंसानों की परवाह नहीं करते। उस पोस्ट में मनुष्यों की 'इंसान' श्रेणी भी बताई गई है जो कुत्ता पालती है और उसे सभ्याचरण की सीख देती है, खुद बिगड़ नहीं जाती। उस पोस्ट के शीर्षक को एक बार पुन: ध्यान से पढ़ें - समझ में आ जाएगा। <br />इस संसार में कुछ भी मनुष्य से महत्त्वपूर्ण नहीं है। <br />ब्लॉगर कैसा जो आम सी घटना को भी ऐसे न प्रस्तुत कर दे कि रंजन हो और सोचने को मजबूर हों! <br />चलते चलते वहीं की टिप्पणी से:) <br />कुत्ता चिंतन:<br />मनुष्यतंत्र - कुत्ते मनुष्य के काबू में रहते हैं। वह उन्हें पट्टे पहना कर घुमाता, सू सू वगैरह कराता है। <br />कुत्ता तंत्र - मनुष्य कुत्तों के काबू में रहते हैं। कुत्ते मनुष्य को घरों के अन्दर रहने को बाध्य कर देते हैं। <br />क्रांति तंत्र - मनुष्य को इस अपराध के लिए फाँसी दे दी जाती है कि उसे कुत्ते ने काट लिया।<br />आप किस तंत्र में रह रहे हैं?<br />PS: यह 'बड़ा' 'छोटा' विशेषण कुत्तों और इंसानों को शोभा देते हैं, ब्लॉगरों को नहीं। ब्लॉगर तो बस ब्लॉगर होते हैं। है कि नहीं? :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33268719502427094832010-08-11T21:18:11.685+05:302010-08-11T21:18:11.685+05:30हा हा हा कमाल है। शुभकामनायें।हा हा हा कमाल है। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31240674962081963362010-08-11T21:17:29.649+05:302010-08-11T21:17:29.649+05:30@ अली साहब,
आपका शुक्रिया प्रतिक्रिया देने के लिए ...@ अली साहब,<br />आपका शुक्रिया प्रतिक्रिया देने के लिए , गिरिजेश राव आदरणीय है और मैं उनके सम्मान करने वालों में शामिल हूँ यकीन करें ! उनकी पोस्ट का शीर्षक निस्संदेह चौंकाने वाला था और उनकी जैसी शख्शियत वाले से उम्मीद नहीं की जा सकती थी मगर उनकी पोस्ट की खासियत थी कि उसमें व्यंग्य पुट अच्छा भला था अतः कडवाहट बहुत कम हो गयी थी !<br /><br />अतः उनकी पोस्ट पढ़ कर सोचा क्यों न एक मज़ाक हो जाए और इस उम्मीद के साथ कि वे बुरा नहीं मानेंगे यह हास्य लिखा गया !अगर भावना हंसने की हो तो यह बुरा लेख नहीं है !इस पोस्ट का उद्देश्य उनका दिल दुखाने का तो बिलकुल नहीं है ! <br /><br />अफ़सोस है कि उन्होंने कमेंट्स नहीं दिया यकीन मानिए कि अगर उन्हें बुरा लगा हो तो मैं इसे अविलम्ब हटाने में बिलम्ब नहीं करूंगा ! <br /><br />हमें आभासी जगत में ईमानदार तो होना ही चाहिए !<br /><br />सादरSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77441276885226631062010-08-11T21:16:26.410+05:302010-08-11T21:16:26.410+05:30..गिरिजेश राव अपने अधिकतर कुत्ता प्रेमी पड़ोसियों .....गिरिजेश राव अपने अधिकतर कुत्ता प्रेमी पड़ोसियों को, कुत्ता समझते रहे हैं , यह देख सभी कुत्तों में उनके प्रति बरसों से ,बहुत गुस्सा था और मौके की तलाश में थे !..<br />...यह कारण एकदम सही लग रहा है. मेरा 'सुंदर'<br />भी यही कह रहा था.<br />.. हा..हा..हा..सुई तो लगाना ही पड़ेगा, मन चाहे डा0 दराल से पूछ लें.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-23146473002399723212010-08-11T20:16:43.033+05:302010-08-11T20:16:43.033+05:30@ सतीश जी ,
मेरे ख्याल से पशु प्रेम और अप्रेम के ब...@ सतीश जी ,<br />मेरे ख्याल से पशु प्रेम और अप्रेम के बीच दोनों ही पोस्ट गैरज़रुरी आक्रामक्ता के साथ छापी गई हैं ! शायद इन्हें (दोनों को) सौम्यता के साथ छापना उचित होता ! पर यह आप दोनों की अपनी निजता और अधिकार है कि क्या और कैसे करें ! <br />आदर सहित !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-18017794436128426992010-08-11T16:49:22.360+05:302010-08-11T16:49:22.360+05:30ब्लॉगर श्वान-समाज के लिये असह्य हो गये हैं- इसमें ...ब्लॉगर श्वान-समाज के लिये असह्य हो गये हैं- इसमें से श्वान अलग भी कर दें, तो भी कथ्य न सिर्फ प्रमाणित ही रहेगा बल्कि व्यापकता भी आ जायेगी. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-80912608749113198742010-08-11T16:05:23.229+05:302010-08-11T16:05:23.229+05:30चिहुआऊआँ ने भी तो कुछ कहा होगा -कैसे भयंकर भयंकर प...चिहुआऊआँ ने भी तो कुछ कहा होगा -कैसे भयंकर भयंकर प्राणी पाल रखे ही आपने भी -दुर दुर !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-16286859034528897832010-08-11T14:24:10.527+05:302010-08-11T14:24:10.527+05:30आपने तो बहुत बड़े-बड़े नाम लिख दिए हैं भाई हम तो एक...आपने तो बहुत बड़े-बड़े नाम लिख दिए हैं भाई हम तो एकदम से डर गए हैं आपके राजकुमार और राजकुमारी से। हमारी तो सात पीढी भी इन्हें अपशब्द नहीं कहेगी। आप हमारी तरफ से ही इन्हें प्यार कर लें। खुदा खैर करे।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-15567995657871413902010-08-11T12:23:38.726+05:302010-08-11T12:23:38.726+05:30सतीश भाई,
गूफ़ी ने एक प्रस्ताव और भी पारित कराया ह...सतीश भाई,<br />गूफ़ी ने एक प्रस्ताव और भी पारित कराया है....जिसे आपने चालाकी से इनसान होने की वजह से छिपा दिया...ये प्रस्ताव है कि अगर भूल से भी किसी ने कुत्ते की तुलना इनसान से करने की कोशिश की या किसी कुत्ते को इनसान कहा तो उसे इंटरनेशनल कुत्ता कोर्ट में अवमानना का मुकदमा भुगतना पड़ेगा...<br /><br />एक प्रस्ताव ये पारित किया गया कि वार क्राइम के लिए और न जाने कितने शहीद कुत्तों का खून हर फिल्म में पीने वाले धर्मेंद्र पर महाभियोग चलाया जाए...ताकि फिर कोई ये कहने की ज़ुर्रत न कर सके...कुत्ते, कमीने, मैं तेरा ख़ून पी जाऊंगा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-68469065960718019562010-08-11T11:52:21.305+05:302010-08-11T11:52:21.305+05:30मनोरंजक. आभार.मनोरंजक. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-69821581226599676272010-08-11T11:08:39.364+05:302010-08-11T11:08:39.364+05:30विडम्बना!!
श्वानजगत में अपने खिलाफ़ प्रतिक्रिया को ...विडम्बना!!<br />श्वानजगत में अपने खिलाफ़ प्रतिक्रिया को भी स्थान नहिं।<br />अपने वाहन के पक्ष में कहीं भैरव देव भी मैदान में न आ जाय।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-75565922041241299342010-08-11T11:08:38.399+05:302010-08-11T11:08:38.399+05:30विडम्बना!!
श्वानजगत में अपने खिलाफ़ प्रतिक्रिया को ...विडम्बना!!<br />श्वानजगत में अपने खिलाफ़ प्रतिक्रिया को भी स्थान नहिं।<br />अपने वाहन के पक्ष में कहीं भैरव देव भी मैदान में न आ जाय।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-24508152838832230972010-08-11T10:43:54.109+05:302010-08-11T10:43:54.109+05:30ha ha ha ha ha ............Very Hilarious post.It ...ha ha ha ha ha ............Very Hilarious post.It is beyond imagination.Too good depictsethuhttps://www.blogger.com/profile/17626698933636662538noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-84463440470805676252010-08-11T10:40:24.944+05:302010-08-11T10:40:24.944+05:30:):):):):):)Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-29322791395207542932010-08-11T10:16:36.609+05:302010-08-11T10:16:36.609+05:30यही प्रश्न मैने अपने श्वानों के समक्ष रखा। एक ने त...यही प्रश्न मैने अपने श्वानों के समक्ष रखा। एक ने तुरन्त अपने दोनो अगले पैर उठाकर मेरे वक्ष पर टिका दिये। अर्थ स्पष्ट था कि यदि जूली को कुछ भी कहा तो मालिक तुम गये काम से। दो बिन्दु बताये।<br />पहला तो यह जूली जैसी श्वानिकायें तो केवल पुचकारने के लिये होती हैं, काटने का एकाधिकार हमारा है। अवश्य आत्मरक्षा में दाँत चलाये गये होंगे जूली ने।<br />दूसरा कि आपके ब्लॉग में उतर जाने के बाद हमें आपका प्यार मिलना कम हो गया है। हम पर ब्लॉग लिख भले ही आप कितना ही प्यार दिखाने का प्रयास कर लो पर ब्लॉगर श्वान-समाज के लिये असह्य हो गये हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com