tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post5880182994870065787..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: भगवान् कहाँ हैं ? -सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-55932065699457622932010-08-30T16:58:25.170+05:302010-08-30T16:58:25.170+05:30समय आने पर वो भी समझ जाएँगे की भगवान जैसी शक्ति है...समय आने पर वो भी समझ जाएँगे की भगवान जैसी शक्ति है या नही .... वैसे विज्ञान भी तो तर्क शक्ति से परिणाम तक जाती है ... कभी न कभी भगवान की शक्ति का भी तर्क आ जाएगा ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-50425430783711741782010-08-29T01:19:31.552+05:302010-08-29T01:19:31.552+05:30इस पोस्ट को पढ़कर उस पोस्ट तक गया और यह लिख कर चला...इस पोस्ट को पढ़कर उस पोस्ट तक गया और यह लिख कर चला आया...<br /><br />यह ऐसा विषय है जिस पर राय देने के लिए बहुतेरे विद्वान हैं...टिप्पणियों की कमी नहीं होगी.<br /><br />जहाँ आस्था नहीं है वहाँ ईश्वर नहीं है। जहाँ आस्था है वहाँ तर्क के लिए कोई स्थान नहीं है। समझदार, समझदारी से तथा मूर्ख, मूर्खता से ईश्वर को मानते हैं। कुछ चालाक ऐसे भी होते हैं जो नास्तिकों की सभा में ईश्वर विरोधी भाषण देकर विजेता की मुद्रा में घर आते हैं तो लम्बी सांस लेकर कहते हैं..हे प्रभु..! आज आपने मेरी इज्जत रख दी !देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-41009097839840828742010-08-28T11:07:37.313+05:302010-08-28T11:07:37.313+05:30This comment has been removed by the author.राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-6558750485118628292010-08-28T09:57:33.536+05:302010-08-28T09:57:33.536+05:30बहुत सुन्दर विचार. सुन्दर लेखन. सुन्दर पोस्ट.बहुत सुन्दर विचार. सुन्दर लेखन. सुन्दर पोस्ट.Shivnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-38209656245274602932010-08-28T09:00:51.352+05:302010-08-28T09:00:51.352+05:30भगवान कहाँ है, ये तो भगवान ही जाने. पर गृहस्त्य ...भगवान कहाँ है, ये तो भगवान ही जाने. पर गृहस्त्य जीवन के अनुभवी होने के नाते हम तो इतनी ही कामना करेंगे की वो न हो तो ही अच्छा क्योकि :<br />जब 'मजाल' मालिक बस घर का, और उसकी ये गत,<br />तो जो मालिक जहाँ का, उसकी क्या हालत!Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31691460885418901812010-08-28T02:45:14.654+05:302010-08-28T02:45:14.654+05:30हे ईश्वर तू है या नही ?हे ईश्वर तू है या नही ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-41826221095013647722010-08-27T20:44:30.276+05:302010-08-27T20:44:30.276+05:30है या नहीं ईश्वर, मानो या न मानो. पर कुछ बात तो है...है या नहीं ईश्वर, मानो या न मानो. पर कुछ बात तो है जो इतनी चर्चा हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-83666498296795907752010-08-27T19:18:37.717+05:302010-08-27T19:18:37.717+05:30केवल एक बात
कोई न कोई शक्ति है जो इस संसार को चल...केवल एक बात <br /><br />कोई न कोई शक्ति है जो इस संसार को चलाती है ..डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67581379816097168112010-08-27T18:37:07.902+05:302010-08-27T18:37:07.902+05:30केवल एक बात
कोई न कोई शक्ति है जो इस संसार को च...केवल एक बात <br /><br />कोई न कोई शक्ति है जो इस संसार को चलाती है ..<br /><br />और फिर किसी ना किसी का तो भय होता ही है, चाहे कोई कितना भी इंकार कर ले<br /><br />वो कहते हैं ना 'भय बिन होई ना प्रीत गोपाला'<br /><br />अब कोई गब्बर का डायलॉग मार दे तो!?<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-38416634950810498322010-08-27T17:54:25.998+05:302010-08-27T17:54:25.998+05:30ईश्वर हैं या नहीं हैं अगर इस पर बहस भी होती हैं तो...ईश्वर हैं या नहीं हैं अगर इस पर बहस भी होती हैं तो कही ना कही "ईश्वर " हैं ।<br />मेरे लिये ईश्वर मेरा काम हैं क्युकी वो मुझे सबसे ज्यादा सकूं देता हैं । वो एक शक्ति जो उस समय जाग्रत होती हैं जब निराशा का दामन हम थमा लेते हैं , ईश्वर हैं ।रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-28577249855180495552010-08-27T16:05:27.619+05:302010-08-27T16:05:27.619+05:30भगवान् को भगवान् भरोसे छोड़ देते हैं...कौन बड़े लो...भगवान् को भगवान् भरोसे छोड़ देते हैं...कौन बड़े लोगों की बातों में पड़े? चलो "आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ...." वाला गीत गाते हैं...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-20076489862995572512010-08-27T12:03:47.144+05:302010-08-27T12:03:47.144+05:30हमें भी क्या पता कि भगवान् होते हैं या नहीं मगर बच...हमें भी क्या पता कि भगवान् होते हैं या नहीं मगर बचपन में एक शक्ति को माथा नवाने की आदत डाल दी गयी ! बड़े होकर जब कभी दिल घबराता है तो कभी कभी इनकी शरण में जाने का दिल करता है, उसमें बड़ी राहत मिलती है ..<br /><br />अब भगवान है या नहीं ....लेकिन फिर भी मन का विश्वास है कि कोई न कोई शक्ति है जो इस संसार को चलाती है ...और जब मन को सुकून मिले तो माथा नवाने में हर्ज ही क्या ?संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-9779939661143860742010-08-27T11:51:27.028+05:302010-08-27T11:51:27.028+05:30प्रवीण भाई का वह व्यंग्य वैसे भी फ़िट नहिं बैठा था।...प्रवीण भाई का वह व्यंग्य वैसे भी फ़िट नहिं बैठा था।<br />चित,पट,और अंटा सभी उसी का है इसिलिये तो वह सर्वशक्तिमान माना जाता है, यदि अंटा भी आपके हाथ दे दे तो, उसे कौन मानेगा?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-46084965511136063682010-08-27T11:12:49.604+05:302010-08-27T11:12:49.604+05:30@ अविनाश वाचस्पति,
आप अन्तर्यामी हैं मगर मैं तुच्छ...@ अविनाश वाचस्पति,<br />आप अन्तर्यामी हैं मगर मैं तुच्छ बुद्धि समझ नहीं पाया कि किस दरी कि बात कर रहे हो जो मैंने उधेड़ दी <br />गुरुदेव दया द्रष्टि बनाएं रखें <br /><br />@दिव्या जी <br />शुक्रिया ताकत देने को ...आपका कमेन्ट प्रवीण शाह को आंख खोलने के अनुरोध के साथ भेज रहा हूँ !<br /><br />@ सरवत जमाल,<br />आनंद आ गया हुज़ूर खास तौर पर आपका शेर<br /> " फरिश्ता नहीं हूँ, यही खौफ है <br /> खुदा जाने कब अजमाने लगे "<br />रौनक आ गयी आपके आने से सरवत भाई !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-30455731327402738202010-08-27T11:05:57.075+05:302010-08-27T11:05:57.075+05:30बहुत बढ़िया लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम! उम्द...बहुत बढ़िया लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम! उम्दा पोस्ट!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-51015866393195406602010-08-27T11:03:59.111+05:302010-08-27T11:03:59.111+05:30@ अली साहब,
आपने सच कहा है, मगर प्रकृति के आगे मान...@ अली साहब,<br />आपने सच कहा है, मगर प्रकृति के आगे मानव शक्ति तिनके की तरह है ! साइंस के आगे हज़ारों अबूझ पहेलियाँ हैं जो सुलझानी हैं, तब तक मानव भय पर काबू हेतु अगर कहीं सर झुकाए तो उसकी खिलाफत भी क्यों करनी ! <br /><br />लोगों को इस आस्था का वाकायदा फल मिलता है चाहे वह मात्र मानसिक अनुभूति ही क्यों न हो !<br /><br />सो प्रवीण भाई को समझाइये कि वे भी कुछ अनुभव लेने का प्रयत्न तो करें कि अड़े ही रहेंगे !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-746775519569786952010-08-27T10:53:43.626+05:302010-08-27T10:53:43.626+05:30इन्दुमाँ !
तुम्हारे आने से झंकार आ जाती है , आज इस...इन्दुमाँ !<br />तुम्हारे आने से झंकार आ जाती है , आज इस पूरे ब्लाग जगत में प्यार से एक दूसरे को देखने वाले हैं ही कितने ? "बुरा मत मानना" कहना कुछ अच्छा नहीं लगा अपने प्यार पर भरोसा नहीं रहा क्या ?? तुम्हारे जैसे लोग जो स्नेह बांटते रहते हैं मैं उन्हें ईश्वरीय स्वरूप ही पाता हूँ इसके अतिरिक्त ईश्वर कौन है मुझे भी पता नहीं ...प्रवीण शाह की बात मान लेने पर भी क्या फर्क पड़ जायेगा ...<br />हम जैसों को रोज ईश्वर नज़र आते हैं ! प्रवीण भाई शायद यहाँ सहमत हो जाएँ !<br />हा..हा..हा..हा...<br />तुम्हे छोड़ कोई और मानेगा माँ, इस ब्लाग जगत में ???Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-60073440581771999132010-08-27T08:47:09.373+05:302010-08-27T08:47:09.373+05:30.
.
.
@ अली साहब,
शुक्रिया !!! दोबारा से.... ;)....<br />.<br />.<br />@ अली साहब,<br /><br />शुक्रिया !!! दोबारा से.... ;))<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-27162323345986065122010-08-27T08:31:53.895+05:302010-08-27T08:31:53.895+05:30.
.
.
आदरणीय सतीश जी,
संशयवादी न होकर यदि आस्तिक ....<br />.<br />.<br />आदरणीय सतीश जी,<br /><br />संशयवादी न होकर यदि आस्तिक होता तो कहता देखो 'उस' के होने का सबूत...'उस' ने सतीश जी को भी 'निमित्त' बना दिया... मेरी पोस्ट व विचारों के प्रचार का...<br /><br />जब भी ईश्वर व धर्म पर कोई प्रश्न उठाये जाते हैं तो यह जो प्रतिक्रियायें होती हैं उनको समझने के लिये एक उदाहरण दूंगा...<br /><br />एक बड़ा आज्ञाकारी बच्चा है... उसका पिता उसका आदर्श पुरूष है... एक दिन उसका कोई सहपाठी उसे बताता है कि 'हकीकत में यह आदर्श पुरूष पिता घूसखोर है... जो अक्सर शाम को बार में ऐश करते दिखाई देता है... और तो और उसकी एक रखैल भी है'।<br /><br />अब प्रतिक्रियायें देखिये...<br /><br />१- मुझे कुछ नहीं सुनना, पिता के विरूद्ध...<br />२- सहपाठी को झूठा बताते हुऐ गालियों की बौछार...<br />३- Denial...नहीं नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता... इतने सारे लोग जो पिता के गुण गाते हैं क्या झूठे हैं।<br />४- जो भी है...जैसा भी है...मेरा पिता है...मैं तो उनको आदर्श ही मानता रहूंगा।<br />५- बड़ी गन्दी बातें सुन ली...कहीं कुछ अनर्थ न हो जाये...गंगाजल से कान मुंह और आंखें धो लेता हूँ।<br />६- सहपाठी की बात अनसुना करते हुऐ पिता की अच्छाइयों व सहॄदयता का एकतरफा बयान... पिता की गुड-बुक में आने के लिये...<br />७- बहुत कम ही ऐसे होंगे जो यह कहेंगे कि अच्छा ऐसा है... कल तेरे साथ चल कर देखूंगा... और यदि सहपाठी की बातें सही निकली... तो पिता के अपने आकलन को रिएडजस्ट कर देते हैं।<br /><br />आप सभी प्रतिक्रियाओं को गौर से देखें... उपरोक्त सात खांचों में डाल सकते हैं उन सभी को!<br /><br />अब जब इतना अच्छा अवसर आपने दे ही दिया है तो क्यों न मैं बहती गंगा में स्नान कर ही लूँ...नीचे देखिये:-<br /><br /><b>ईश्वर और धर्म को एक संशयवादी परंतु तार्किक दॄष्टिकोण से समझने का प्रयास करती इस लेखमाला के मुझ द्वारा लिखे अन्य आलेख निम्न हैं, समय मिले तो देखिये :-</b><br /><br /><br /><i><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/05/blog-post.html" rel="nofollow">वफादारी या ईमानदारी ?... फैसला आपका !</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/04/blog-post_30.html" rel="nofollow">बिना साइकिल की मछली... और धर्म ।</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/04/blog-post_19.html" rel="nofollow">अदॄश्य गुलाबी एकश्रंगी का धर्म...</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html" rel="nofollow">जानिये होंगे कितने फैसले,और कितनी बार कयामत होगी ?</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/04/blog-post_05.html" rel="nofollow">पड़ोसी की बीबी, बच्चा और धर्म की श्रेष्ठता...</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010_02_01_archive.html" rel="nofollow">ईश्वर है या नहीं, आओ दाँव लगायें...</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/03/blog-post.html" rel="nofollow">क्या वह वाकई पूजा का हकदार है...</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/03/blog-post_12.html" rel="nofollow">एक कुटिल(evil) ईश्वर को क्यों माना जाये...</a><br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/03/blog-post_17.html" rel="nofollow">यह कौन रचनाकार है ?...</a></i>प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-84436222329949428522010-08-27T07:59:10.967+05:302010-08-27T07:59:10.967+05:30भाई हम तो कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकी हम तो हैं घोर ...भाई हम तो कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकी हम तो हैं घोर आस्तिक..... इसलिए हम बोलेंगे तो बोलोगे के बोलता है...... ;-)Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-62160187582279063122010-08-27T07:30:54.701+05:302010-08-27T07:30:54.701+05:30बंदगी तो अपनी फितरत है , खुदा हो या ना हो ...यही त...बंदगी तो अपनी फितरत है , खुदा हो या ना हो ...यही तो<br />किसी एक शक्ति को शीश नवा कर हमें यदि मानसिक शांति मिलती है तो उसे मानने में क्या हर्ज़ है ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-29293413342338149992010-08-27T06:37:23.296+05:302010-08-27T06:37:23.296+05:30दिल है क़दमों पर किसी के
गर खुदा हो या न हो
बंदग...दिल है क़दमों पर किसी के <br />गर खुदा हो या न हो <br />बंदगी तो अपनी फितरत है,<br /> खुदा हो या न हो!<br />हा हा हा <br />बिलकुल अपुन का जैसैच है भाई तू भी.<br />एईईईई 'तू'लिखा बुरा नही मानने का. माँ और 'उसको'-अपुन के भगवान को-'तू' ही बोलते नाsss?<br />मैं आप लोगों जैसी ज्ञानी नही.एकदम गंवार,मूर्ख,अनाड़ी हूं बाबा!<br />पर..तेरे भगवान को ना अपने बहुत करीब पाया है.'वो' है या नही ये भी नही जानती फिर भी कई बार पाया कि वो मेरी हर हरकत पर नजर रखे हुए है और मुझे बहुत प्यार करता है.<br />झूठा ही सही जो सूख और मन को सुकून मिले तो उसके होने का वहम पाले रखने में बुरा क्या है?<br />इसलिए उसे आपमें भी देखती हूं.<br />क्या करूँ ऐसीच हूं मैं .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-78660190692802320572010-08-27T06:08:39.627+05:302010-08-27T06:08:39.627+05:30@ सतीश भाई ,
मुझे लगता है कि आपने तो प्रवीण जी से ...@ सतीश भाई ,<br />मुझे लगता है कि आपने तो प्रवीण जी से हल्की फुल्की छेड छाड़ की है ? पर मित्रगण उसे सीरियसली ले बैठे :)<br />कहना ये कि आस्तिकता बनाम नास्तिकता के विचार पुराने मित्र हैं और सदा साथ बने रहेंगे :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-36829752207061780982010-08-27T03:07:11.932+05:302010-08-27T03:07:11.932+05:30दिल है क़दमों पर किसी के गर खुदा हो या न हो
बंदगी...दिल है क़दमों पर किसी के गर खुदा हो या न हो <br />बंदगी तो अपनी फितरत है , खुदा हो या न हो ! <br /><br />आपने तो कह ही दी हमारी बात इस शेर को रखकर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31950702130165809732010-08-26T22:27:06.791+05:302010-08-26T22:27:06.791+05:30पंगे से भी पंगा लेना
सतीश जी की ही फितरत है
उधेड़ ...पंगे से भी पंगा लेना<br />सतीश जी की ही फितरत है<br />उधेड़ देते हैं सब कुछ<br />जो बुनता है कोई<br />महीनों लगाकर। <br />पर जो कहते-लिखते हैं<br />सच उकेरते हैं।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.com