tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post631446878158857066..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: मौसम, बधाइयों और दिखावे का -सतीश सक्सेना Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger74125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-61432391138773131812014-11-17T22:57:21.652+05:302014-11-17T22:57:21.652+05:30bilkul satya,shandar bat.....bilkul satya,shandar bat.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08486476255134733859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-11307901071641472672012-11-26T17:44:57.855+05:302012-11-26T17:44:57.855+05:30 इन डिब्बों की जगह हाथ के बनाए गए ठन्डे परांठे होत... इन डिब्बों की जगह हाथ के बनाए गए ठन्डे परांठे होते तो कितना आनंद आता ... :)<br /><br />ठन्डे परांठे hai ya khatam ho gaye..aaj bhee kuch log ठन्डे परांठे bade man se khate hai...<br /><br /><br />jai baba banaras...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64037485832209048342012-11-23T22:55:47.543+05:302012-11-23T22:55:47.543+05:30वाह यह चार्ज देने लेने की परंपरा बहुत अछ्छी लगी । ...वाह यह चार्ज देने लेने की परंपरा बहुत अछ्छी लगी । बेटी की विदाई मुश्किल है पर बेटी की खुशी भी तो देखनी है । ऐसे ही विदा लेती बेटी के मन के भाव मेरे ब्लॉग पर पढ सकते हैं .Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-30722345847193142572012-11-13T00:02:27.532+05:302012-11-13T00:02:27.532+05:30सच कह रहे हैं..आजकल सिर्फ दिखावा ही रह गया है..उपह...सच कह रहे हैं..आजकल सिर्फ दिखावा ही रह गया है..उपहारों के ज़रिए बडप्पन दर्शाना का सिलसिला.अधिकतर बस औपचारिकताएं रह गई हैं .<br /><br />दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ! Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33422783523392604882012-11-10T17:56:32.136+05:302012-11-10T17:56:32.136+05:30 जितना पैसा हम दिखावे में बर्बाद करते हैं उससे किस... जितना पैसा हम दिखावे में बर्बाद करते हैं उससे किसी गरीब के घर में ख़ुशी के दीप जल सकते हैं यही सबसे बड़ी दिवाली होगी सच में ये दिखावटी प्रेम के लेन देन दिलों में और दूरी पैदा कर देते हैं सबसे पहले तो गिफ्ट की कीमत आंकते हैं फिर कोई प्रतिक्रिया देते हैं बहुत अच्छा आलेख लिखा आपको सपरिवार दिवाली की हार्दिक बधाई Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-60175251568497000112012-11-10T17:55:39.532+05:302012-11-10T17:55:39.532+05:30 जितना पैसा हम दिखावे में बर्बाद करते हैं उससे किस... जितना पैसा हम दिखावे में बर्बाद करते हैं उससे किसी गरीब के घर में ख़ुशी के दीप जल सकते हैं यही सबसे बड़ी दिवाली होगी सच में ये दिखावटी प्रेम के लेन देन दिलों में और दूरी पैदा कर देते हैं सबसे पहले तो गिफ्ट की कीमत आंकते हैं फिर कोई प्रतिक्रिया देते हैं बहुत अच्छा आलेख लिखा आपको सपरिवार दिवाली की हार्दिक बधाई Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-63674281021212741892012-11-09T16:50:06.586+05:302012-11-09T16:50:06.586+05:30विचारणीय पोस्ट... सही बात तो यह है कि आजकल निश्चल ...विचारणीय पोस्ट... सही बात तो यह है कि आजकल निश्चल और सच्चा प्रेम रह ही कहा गया है ॥ सब कुछ तो दिखावा है... चंद लोग ही मिलेंगे जो भावनाओ और प्रेम कि कदर करते होंगे ...स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-68114931282544064882012-11-08T02:01:55.790+05:302012-11-08T02:01:55.790+05:30"भेंट देने, लेने से, प्यार में कमी आती है , श..."भेंट देने, लेने से, प्यार में कमी आती है , शिकवे शिकायते बढती हैं !"<br />सच है , क्योंकि ढंग का तोहफ़ा देने वाला अपने घर अवसर आने पर वापिस ढंग के तोहफ़े की ही उम्मीद में रहेगा ।<br />:)<br /> <br />तोहफों का दिखावा नहीं होना चाहिए , <br />औपचारिकताएं अपनत्व नहीं बढ़ा सकती …<br /><br />अच्छी पोस्ट !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58446373679301525182012-11-07T19:39:13.353+05:302012-11-07T19:39:13.353+05:30इतनी अच्छी सोच की कौन भला तारीफ नहीं करेगा! हाँ, उ...इतनी अच्छी सोच की कौन भला तारीफ नहीं करेगा! हाँ, उन्हें झटका लग सकता है जो आपसे उपहार की उम्मीद लगाये बैठे थे। :)<br /><br />सुंदर अपील करती पोस्ट है। भौतिकता का दिखावा चरम पर है। ऐसे में उन लोगों के लिए दिवाली आफत बनकर आती है जो रोजमर्रा के खर्चों से ही तबाह रहते हैं। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64498806939830681462012-11-06T13:47:54.346+05:302012-11-06T13:47:54.346+05:30SHAT PRATISHAT SAHMAT HOON AAPSE...
SAB DIKHAWA HA...SHAT PRATISHAT SAHMAT HOON AAPSE...<br />SAB DIKHAWA HAI ..PYAAR KAHAAN ?सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-70486743662317773642012-11-06T00:49:29.988+05:302012-11-06T00:49:29.988+05:30सच कहा आपने। अब डिब्बाबंद औपचारिकताएं ज्यादा हैं। ...सच कहा आपने। अब डिब्बाबंद औपचारिकताएं ज्यादा हैं। खासकर दिवाली के त्योहार को तो लोगों ने वैभव के प्रदर्शन का त्योहार बना दिया है। Narendra Mouryahttps://www.blogger.com/profile/17137777410476127147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-68754425947316586872012-11-05T20:24:12.312+05:302012-11-05T20:24:12.312+05:30बहुत सही कहा है...आज उपहार प्रेम का प्रतीक न रह कर...बहुत सही कहा है...आज उपहार प्रेम का प्रतीक न रह कर हैसियत का दिखावा बन कर रह गया है...काश हम पीछे लौट पाते..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-14894742995566132172012-11-04T22:44:39.314+05:302012-11-04T22:44:39.314+05:30आ गया :)
याद दिलाने के लिए आभार !
आ गया :)<br />याद दिलाने के लिए आभार !<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-87009881660163105702012-11-04T22:43:03.708+05:302012-11-04T22:43:03.708+05:30शुक्रिया सलिल भाई ...शुक्रिया सलिल भाई ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-59004652801072548562012-11-04T22:26:19.698+05:302012-11-04T22:26:19.698+05:30मेरा कमेन्ट गायब हो गया सर!!मेरा कमेन्ट गायब हो गया सर!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57125903333665304492012-11-04T19:56:53.295+05:302012-11-04T19:56:53.295+05:30आपकी बात से सहमत हूँ भाई जी ..आपकी बात से सहमत हूँ भाई जी ..Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-89891446296444832782012-11-04T19:49:57.782+05:302012-11-04T19:49:57.782+05:30You are right Moti sir !
we all are responsible fo...You are right Moti sir !<br />we all are responsible for this social downfall, thanks for valuable comment.<br />regards Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-25050989881534378352012-11-04T19:02:37.080+05:302012-11-04T19:02:37.080+05:30ब्रिटानिया गुड डे का एड है काजू पड़ा है तो दिखना ...ब्रिटानिया गुड डे का एड है काजू पड़ा है तो दिखना चाहिए है...उसी तरह प्यार तो छलकना चाहिए...अब गिफ्ट की कीमत से ही प्यार का हिसाब लगाया जाता है...तनिष्क वाले भी घर वालों को लड़ा के रहेंगे... Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57014428421628840312012-11-04T17:20:16.733+05:302012-11-04T17:20:16.733+05:30आपके विचारों से मैं भी पूर्णतया सहमत हूँ. आजकल तो ...आपके विचारों से मैं भी पूर्णतया सहमत हूँ. आजकल तो उपहार का साइज़ और मूल्य भी महत्वपूर्ण हो गया है. रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-72938153346844512902012-11-04T13:12:13.652+05:302012-11-04T13:12:13.652+05:30waqt ne kiya kya hassen sitam -
hum rahe na hum -
...waqt ne kiya kya hassen sitam -<br />hum rahe na hum -<br />tum rahe na tum<br />No doubt this is a social evil, but who has created?<br />we all are responsible for all these mis happenings.<br />A persons spends crores of rupees on the marriage of his son/daughter, and<br />a daughter remains un-married due to dowry.<br />Munshi Premchand's Nirmala - is not self explanatory <br /><br />Sorry for the inconvenient post<br /><br />With warm regards<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02629695345965334678noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-79322886712399109352012-11-03T19:55:44.604+05:302012-11-03T19:55:44.604+05:30आपने तो उपहार का उपसंहार कर दिया। आपके विचारों से ...आपने तो उपहार का उपसंहार कर दिया। आपके विचारों से एक सौ एक प्रतिशत सहमत। राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-19799484042026096752012-11-03T19:50:07.308+05:302012-11-03T19:50:07.308+05:30सार्थक विचार
सब व्यापार है सार्थक विचार <br />सब व्यापार है M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-12348790405984776682012-11-03T17:26:31.753+05:302012-11-03T17:26:31.753+05:30आज सुदामा के चावल याद आ रहे हैं जिनके बदले में द्व...आज सुदामा के चावल याद आ रहे हैं जिनके बदले में द्वारकाधीश ने, सर्वस्व देने का मन बना लिया था !वह प्यार अब क्यों नहीं दिखता ?? <br /><br /><br />क्योंकि प्यार की जगह दिखावे ने ले ली है ...आज की आपाधापी ने अपनों को अपनों से दूर कर दिया है .....वक्त ना होने का बहाना सबसे कारगर है ......और इसके बाद किसी के पास कोई शब्द नहीं रह जाते ....<br /><br />भाई जी आज आपकी पोस्ट पढ़ कर सच में लगा कि क्या हम अपनों से सच में इतने दूर हो गए हैं ??????Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64952320405461273732012-11-03T12:39:26.878+05:302012-11-03T12:39:26.878+05:30सच कहा आपने, आज पर्व और त्यौहारों के मायने बदलते ज...सच कहा आपने, आज पर्व और त्यौहारों के मायने बदलते जा रहे हैं।<br />बिल्कुल अगर सुदामा के चावल लोगों के जेहन में तो भी कुछ बदलाव संभव है।<br /><br />बहुत सुंदर<br />आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67535599370330912982012-11-03T12:37:10.319+05:302012-11-03T12:37:10.319+05:30प्यार कहाँ छिप गया ,
आधुनिकता की दौड़ में ,
अब तो ...प्यार कहाँ छिप गया ,<br />आधुनिकता की दौड़ में ,<br />अब तो जन्मदिन की बधाई भी ,<br />फेसबुक पे मिलती है |<br />बहुत सही बात कही आपने |<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.com