tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post8234684924701146723..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: मृगतृष्णा -सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-49123808425978329352012-05-10T13:01:26.565+05:302012-05-10T13:01:26.565+05:30माँ ने गुडिया भले ना दिलवाई हो ...............
जो...माँ ने गुडिया भले ना दिलवाई हो ...............<br /><br />जो पायी वो क्या कम है गुडिया से??????????????<br /><br />:-)<br />गुस्ताखी माफ <br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64523790450782390782012-05-10T11:15:30.929+05:302012-05-10T11:15:30.929+05:30पर माँ चिंता है एक मुझे
मैं इस रचना को रखूँ कहाँ ...पर माँ चिंता है एक मुझे <br />मैं इस रचना को रखूँ कहाँ <br />डरता हूँ कालिख लगे हाथ <br />इसको भी गन्दा कर देंगे <br />शायद तुम भी क्रोधित होगी <br />मेरी इस नासमझाई पर <br />फिर भी दिल में है बात यही , माँ यह गुडिया मुझको दे दो ! <br /> माँ यह गुडिया मुझको दे दो !<br /><br />बहुत सुंदर रचना .....मन को मोह गई !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77957388997879225282012-05-10T10:04:42.543+05:302012-05-10T10:04:42.543+05:30यह गुडिया कहीं थी ही नहीं.....सिवाय कवि की कल्पना ...यह गुडिया कहीं थी ही नहीं.....सिवाय कवि की कल्पना में <br />:)Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-91357533322058988472012-05-10T10:00:30.633+05:302012-05-10T10:00:30.633+05:30पर एक बात स्पष्ट कहूं
मैं इसके योग्य नहीं हूँ माँ...पर एक बात स्पष्ट कहूं <br />मैं इसके योग्य नहीं हूँ माँ <br />मैं हूँ सौदागर काँटों का <br />यह रजनीगंधा सी महके <br />कैसे समझाऊँ दिल अपना <br />उद्दंड चाह , छोडूं कैसे ?<br />तू ही कुछ मुझे सहारा दे , माँ यह गुडिया मुझको दे दो !<br /> माँ यह गुडिया मुझको दे दो <br /><br /><br />bahut hi sundar rachna !मुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-82284263247602298112012-05-10T09:35:14.696+05:302012-05-10T09:35:14.696+05:30मन की भावनाएं जिद्दी मन मन के द्वन्द को बहुत अच्छे...मन की भावनाएं जिद्दी मन मन के द्वन्द को बहुत अच्छे से चित्रित किया है ...बहुत सुन्दर ....माँ ने फिर वो गुडिया दिलवाई या नहीं :):):)Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-24590711845580123502012-05-10T08:56:30.168+05:302012-05-10T08:56:30.168+05:30पर माँ चिंता है एक मुझे
मैं इस रचना को रखूँ कहाँ ...पर माँ चिंता है एक मुझे <br />मैं इस रचना को रखूँ कहाँ <br />डरता हूँ कालिख लगे हाथ <br />इसको भी गन्दा कर देंगे <br />बहुत सुन्दर ... आपकी रचनाओं में मानवीय संवेदनाएं दर्शनीय होती हैंM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-54509550193445423882012-05-10T08:53:33.875+05:302012-05-10T08:53:33.875+05:30पर माँ चिंता है एक मुझे
मैं इस रचना को रखूँ कहाँ ...पर माँ चिंता है एक मुझे <br />मैं इस रचना को रखूँ कहाँ <br />डरता हूँ कालिख लगे हाथ <br />इसको भी गन्दा कर देंगे <br /><br />बहुत सुन्दर ... आपकी रचनाओं में मानवीय संवेदना दर्शनीय होती हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com