tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post8246850361389248637..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: मत पढिये इन ब्लाग्स को !Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-83827648075327217552008-07-21T15:45:00.000+05:302008-07-21T15:45:00.000+05:30Suresh ji aisa sabhi ke saath hota haihum kisi ke ...Suresh ji aisa sabhi ke saath hota hai<BR/>hum kisi ke bare main koi raay kayam karte hain uske baad jab wo toota hai to dukh hota hi hai<BR/>matlab ke log hai aur bhaut kuch len dena jaisa bhi hai<BR/>magar sab bura hai aisa bhi nahi<BR/>bus hum khud ko in sabke beech main bacha kar rakh sake yahi dua haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-81511779897512175212008-07-19T21:35:00.000+05:302008-07-19T21:35:00.000+05:30नमस्कार। मैं आपकी बात से सहमत हूँ पर अगर हमारा ब्ल...नमस्कार। मैं आपकी बात से सहमत हूँ पर अगर हमारा ब्लाग कोई ब्लागर न पढ़े तो इससे क्या? सर आपको पता है बहुत सारे अन्य लोग भी जो ब्लाग नहीं लिखते,वे ब्लाग पढ़ते हैं। आप उनके लिए लिखिए, समाज को नई दिशा देने के लिए लिखिए। चिट्ठावाद में विश्वास रखिए न कि चिट्ठाकारवाद में।<BR/>मुझे तो काफी प्रसन्नता होती है क्योंकि मेरे मित्र, मेरे बच्चों को मेरा लिखना बहुत ही पसंद है।<BR/>बस जीतू भाई (नारद भगवान) की बात को सत्य मानते हुए क्योंकि वह सत्य ही है- फल की आशा न रखते हुए निस्वार्थ भाव से अपने (ख्याति) लिए नहीं, अपनों के लिए, समाज के लिए लिखिए। "वाद" शब्द के बिना सबकुछ अधूरा है, सत,द्वापर, त्रेता में भी वाद था, यह चिरस्थाई है, यह था, है और रहेगा। यह निराकार, निर्विकार, असीम, अथाह, निर्गुण, सगुण, अगुण ब्रह्म का ही तो रूप है और ब्रह्म तो हर जगह है। <BR/>नमस्कार।Prabhakar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04704603020838854639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-44980689874837550612008-07-19T15:48:00.000+05:302008-07-19T15:48:00.000+05:30जब इतना कुछ कह दिया गया है, तो अब और कहने की क्या ...जब इतना कुछ कह दिया गया है, तो अब और कहने की क्या आवश्यकता है। सुपाच्य सलाहें मुबारक हों।surjeethttps://www.blogger.com/profile/04845956680371059971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-70138823588483081802008-07-19T13:38:00.000+05:302008-07-19T13:38:00.000+05:30आपने इमानदारी से सत्य बात कही है ! और इसमे रहना है...आपने इमानदारी से सत्य बात कही है ! <BR/>और इसमे रहना है तो मोहल्ला माहोल में रहना मजबूरी है ! गुट बाजी कहाँ नही है ! निर्भीकता से लिखने के लिए धन्यवाद !गंदी चीजों को गंदी कहने वाले भी जरूरी है ! और ज्यादा से ज्यादा लिखें !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-72480993485906026362008-07-19T09:57:00.000+05:302008-07-19T09:57:00.000+05:30सक्सेनाजी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. यह दुनिय...सक्सेनाजी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. यह दुनियां बहुत बडी है और सभी तरह के लोग हैं हम अपनी विचाराधारा किसी पर थोप तो नहीं सकते. केवल हम क्या कर सकते हैं, यह विचार करो और अपनी आन्तरिक प्रेरणा के बल पर करते जाओ. जीवन एक खेल है- अपना पाला निर्धारित करके सच या फ़िर दूसरा पक्ष असत जिओसक्ले साथ भी रहो रह सकते हो किन्तु दूसरों को सच के पाले में ढ्केल के नहीं ला सकते. जिन पोर्न साइट की और आप संकेत कर रहै है उनको समाप्त करना संभव नहीं है. हमें क्या पढ्ना है क्या लिखना है, इसके लिये स्वतन्त्र है किन्तु दूसरों पर नियन्त्र<BR/>ण नहीं लगा सकते.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-14179208235778514932008-07-19T05:01:00.000+05:302008-07-19T05:01:00.000+05:30अजी मस्त रहिए , लिखते जाईए।अजी मस्त रहिए , लिखते जाईए।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-65884780261714473882008-07-19T01:04:00.000+05:302008-07-19T01:04:00.000+05:30मोहभंग होने पर क्षोभ व दुःख तो होता ही है,स्वाभावि...मोहभंग होने पर क्षोभ व दुःख तो होता ही है,स्वाभाविक है किंतु यह भी सत्य है कि चर्चित या भीड़ भरे या जाने पहचाने या सुझाए या यह या वह के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी लिख रहे हैं जो भले बहुत जल्दी नजर में न चढ़ता हो पर है महत्वपूर्ण. अब जिसके पास जो है वह वही तो उलीचेगा बाहर, या वही तो बाँटेगा. पर इन सब से या ऐसी ही ब्लॉग जगत की और बहुत सी चीजों से विचिलित हुए बिना अपनी राह चले चलिए.आशा की जानी चाहिए कि धीरे धीरे स्तर में सुधार होगा. वैसे क्वालिटी कभी भीड़ का मुँह नहीं जोहती व दोनों का कई मायनों में बैर ही होता है. आप अपनी राह चले चलिए.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-54390145864410181382008-07-18T23:15:00.000+05:302008-07-18T23:15:00.000+05:30उन्मुक्त जी ने सही कहा है. आप अच्छा लिखिए और अच्छा...उन्मुक्त जी ने सही कहा है. आप अच्छा लिखिए और अच्छा पढ़िए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58962842085943758042008-07-18T21:15:00.000+05:302008-07-18T21:15:00.000+05:30आपकी बात में दम है...आपकी बात में दम है...cartoonist ABHISHEKhttps://www.blogger.com/profile/07118754555398165015noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-50227411746275287502008-07-18T20:57:00.000+05:302008-07-18T20:57:00.000+05:30aap ko abhivyakti kaa ek maadhyam mila haen likhte...aap ko abhivyakti kaa ek maadhyam mila haen likhtey raheyAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-29136078675384904852008-07-18T20:43:00.000+05:302008-07-18T20:43:00.000+05:30सतीश जी,आप समझे यह एक मोहल्ला हे जिस मे रंग बिरंगे...सतीश जी,आप समझे यह एक मोहल्ला हे जिस मे रंग बिरंगे लोग हे,ओर सभी अपनी अपनी बात लिख रहे हे,मस्त रहो, कई तो हमे गालिया भी दे जाते हे, क्या करे,लडना झगडना ओर गालिया देना तो हमे आता नही, बस मुहं फ़ेर लो अच्छा हे, ओर आप लिखते बहुत अच्छा हे बस लिखते रहो, अब की बार पढ कर आया हु, :)राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-62570122476180869132008-07-18T20:40:00.000+05:302008-07-18T20:40:00.000+05:30भई ब्लॉग्स के बारे मे भी गीता का उपदेश लागू होता ह...भई ब्लॉग्स के बारे मे भी गीता का उपदेश लागू होता है। <BR/>कर्म किए जा, फल की इच्छा मत करो। <BR/>कभी कभी धर्म के लिए अपनों से भी लड़ना पड़ता है।<BR/>तुम क्यों व्यर्थ चिंतित होते हो, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, आने वाले मे किसी और का होगा (मतलब प्रसिद्दि) इसलिए वत्स कर्म किए जा....<BR/><BR/>बाकी यार मस्त होकर लिखो, जिसको मर्जी हो पढो, जिसको मर्जी हो छोड़ो, वैसे भी गंद तो समाज मे हर जगह होता है। टीवी पर विज्ञापन अच्छे बुरे सभी तरह के आते है, ना पसन्द आए तो चैनल बदल दो।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88149054672490252432008-07-18T20:34:00.000+05:302008-07-18T20:34:00.000+05:30आप ने बहुत सही लिखा हे, ओर वेफ़िक हो कर लिखे, जिस न...आप ने बहुत सही लिखा हे, ओर वेफ़िक हो कर लिखे, जिस ने टिपण्णी देनी हे वो जरुर देगा, वेसे जरुरी नही खुब टिपण्णिया आये तभी आप लिखे, अजी दिल खोल कर लिखो पढ्ने वाले पढेगे ही,टिपण्णियो को मत देखे,उन्मुक्त ओर कुश भाई भी सही कह रहे हे, ओर यह दोनो पुराने भी हे, एक बात लिखु मेने आप के कहे अनुसार आप का ब्लाग्स नही पढा,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-37754125012161048952008-07-18T20:31:00.000+05:302008-07-18T20:31:00.000+05:30मेरे विचार से आप यह मान लें कि यह हमें ऐसी हालतों ...मेरे विचार से आप यह मान लें कि यह हमें ऐसी हालतों में चलना है। आप अपनी रचनायें लिखते रहिये। आप इस बात की परवाह न करें कि आपको किस फोरम पर कितने लोगों ने पढ़ा बल्कि आप इस बात पर विचार करिये कि आपको कितने लोग आगे पढ़ने वाले हैं। आपका लिखा कोई भी पाठ कभी भी इंटरनेट पर पढ़ा जा सकता है यह जरूरी नहीं है कि जिस दिन आपने लिखा उसी दिन सब उसे पढ़ लें। मैंने अपने अनुभव के आधार पर यह विचार व्यक्त किया है। मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं।<BR/>दीपक भारतदीपdpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-45716673957609444802008-07-18T20:14:00.000+05:302008-07-18T20:14:00.000+05:30ये सब सिर्फ़ ब्लॉग जगत में ही नही है.. ये तो समाज ...ये सब सिर्फ़ ब्लॉग जगत में ही नही है.. ये तो समाज में हर तरफ है.. बुराई और अच्छाई तो आपको कही भी मिल जाएगी.. उन्मुक्त जी ने सौ फीसदी सही कहा है.. आप अच्छा लिखिए और अच्छा पढ़िए.. वर्थ के प्रपंचो से दूर रहे.. <BR/><BR/>हमारी शुभकामनाए आपके साथ हैकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-59404695608931737192008-07-18T20:05:00.001+05:302008-07-18T20:05:00.001+05:30अरे दूसरे चिट्ठों के बारे में क्यों चिन्ता करते है...अरे दूसरे चिट्ठों के बारे में क्यों चिन्ता करते हैं। आप, बढ़िया लिखिये और लिखते चलिये। चिट्ठों का स्तर अपने आप ऊंचा होगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-78733154101652198832008-07-18T20:05:00.000+05:302008-07-18T20:05:00.000+05:30अरे दूसरे चिट्ठों के बारे में क्यों चिन्ता करते है...अरे दूसरे चिट्ठों के बारे में क्यों चिन्ता करते हैं। आप, बढ़िया लिखिये और लीखते चलिये। चिट्ठों का स्तर अपने आप ऊंचा होगा।Anonymousnoreply@blogger.com