जब से आये हैं , सत्ता में ,
इनके कुत्तों के दिन पलटे
चपरासी,ड्राईवर औ माली
झाड़ू वालों के दिन पलटे !
इनके नाम पर दस प्रोपर्टी,
रखते अपने पास मिनिस्टर !
बीस पुश्त खाएं , घर बैठे ,इतना जोड़ के बने युधिष्ठर !
डायरेक्टर होर्टीकल्चर का
पानी लगा रहा पौधों में !
जिले के एसपी को भेजा है
बच्चों को, स्कूल से लाने !
सुबह से दरवाजे पर बैठे ,
हाथ में लेकर बैग,कलक्टर !
चरणधूल माथे पर लेकर, तब अपने को कहें कलक्टर !
डी एस पी की डयूटी पहली
मैडम को , बाज़ार कराएं !
वाइस चांसलर कहाँ खड़ा
है,जो बोले हैं,पास कराये !
बड़े व्यस्त सीएमओ सर्जन,
डॉग की सेवा करें डाक्टर !
बिना दर्द काँटा खींचा है, देते सार्टीफिकेट मिनिस्टर !
पहले दिन व्यापारी आये ,
साथ नकद नारायण लाये !
जो अधिकारी है,नालायक
उसे निलंबित,अभी कराये !
जैसे चाहो खूब कमाओ ,
जबतक खुश हो रहे मिनिस्टर !
बड़े बड़ों को सीधा करते , जब गुस्से में रहें, मिनिस्टर !
जो भी अधिकारी आए हैं
दल्लों से परिचय पाये हैं !
हाथ मिलाएं,पहले इनसे,
तभी वहां , कुर्सी पाए हैं !
शहर,गाँव,कस्बे का शासन ,
चमचों से ही,चले निरंतर !
अफसर वही करेगा शासन,जिस पर रखते हाथ मिनिस्टर !
बड़े लोग , दल्ले बनवाये ,
चमचे,व्यापारी कहलायें !
जातिधर्म पर काबू है,तो
कसबे का सरदार कहाए !
जो धन आएगा पब्लिक से ,
करते हिस्से बाँट मिनिस्टर !
हर विभाग से पैसा पंहुचे ,खुश रहते हैं, चीप मिनिस्टर !

चपरासी,ड्राईवर औ माली
झाड़ू वालों के दिन पलटे !
इनके नाम पर दस प्रोपर्टी,
रखते अपने पास मिनिस्टर !
बीस पुश्त खाएं , घर बैठे ,इतना जोड़ के बने युधिष्ठर !
डायरेक्टर होर्टीकल्चर का
पानी लगा रहा पौधों में !
जिले के एसपी को भेजा है
बच्चों को, स्कूल से लाने !
सुबह से दरवाजे पर बैठे ,
हाथ में लेकर बैग,कलक्टर !
चरणधूल माथे पर लेकर, तब अपने को कहें कलक्टर !
डी एस पी की डयूटी पहली
मैडम को , बाज़ार कराएं !
वाइस चांसलर कहाँ खड़ा
है,जो बोले हैं,पास कराये !
बड़े व्यस्त सीएमओ सर्जन,
डॉग की सेवा करें डाक्टर !
बिना दर्द काँटा खींचा है, देते सार्टीफिकेट मिनिस्टर !
पहले दिन व्यापारी आये ,
साथ नकद नारायण लाये !
जो अधिकारी है,नालायक
उसे निलंबित,अभी कराये !
जैसे चाहो खूब कमाओ ,
जबतक खुश हो रहे मिनिस्टर !
बड़े बड़ों को सीधा करते , जब गुस्से में रहें, मिनिस्टर !
जो भी अधिकारी आए हैं
दल्लों से परिचय पाये हैं !
हाथ मिलाएं,पहले इनसे,
तभी वहां , कुर्सी पाए हैं !
शहर,गाँव,कस्बे का शासन ,
चमचों से ही,चले निरंतर !
अफसर वही करेगा शासन,जिस पर रखते हाथ मिनिस्टर !
बड़े लोग , दल्ले बनवाये ,
चमचे,व्यापारी कहलायें !
जातिधर्म पर काबू है,तो
कसबे का सरदार कहाए !
जो धन आएगा पब्लिक से ,
करते हिस्से बाँट मिनिस्टर !
हर विभाग से पैसा पंहुचे ,खुश रहते हैं, चीप मिनिस्टर !
पढ़ने में हरदम प्रथम, उसको रहा गुमान |
ReplyDeleteबुड़बक सबको समझता, हमको भी नादान |
हमको भी नादान, किया बी टेक था उसने |
बना आई एस वीर, नहीं देता था घुसने |
पलटा रविकर भाग्य, विधाता नेता हूँ हम |
आई यस करे प्रणाम, कहाँ पढ़ने में हर दम ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
ReplyDeleteसटीक
ReplyDeleteपूरा खाका खीच दिया...एक एक शब्द अक्षरशः सत्य...सटीक कहानी चीप मिनिस्टर कीः)
ReplyDeleteसब कुछ बड़ा चीपेस्ट हो रहा है इन दिनों यूपी में
ReplyDeleteसजा पा रहा अधिकारी जो ईमानदार है ड्यूटी में
अभी तो पिक्चर शुरू ही हुई है क्लाइमेक्स तो अभी तीन-चार साल दूर है....
ReplyDeleteबेहतरीन...............
ReplyDeleteसटीक वर्णन.....................
सादर
अनु
इसी लिए तो हमारे देश की ये हालात हैं.... बढ़िया पोस्ट ...
ReplyDeleteचीप मिनिस्टर के सत्ता में आने के बाद इनके प्रिय चाचाश्री ने समाजवादी लग्गु-भग्गुओं और चमचे अधिकारियों को नसीहत दी थी कि चोरी बेशक करो लेकिन डाका डालने से बचना...ये बात अलग है कि ये चाचाश्री खुद की जगह भतीजे के सीएम बनने से शुरू में बड़े जले भुने थे...
ReplyDeleteजय हिंद...
बहुत खूब...बेहतरीन...............सटीक....................
ReplyDeleteसच है, यही असल तस्वीर
ReplyDeleteबहुत बढिया
आँख खोलने वाला गीत.
ReplyDeleteपैसा पैसा करते करते , मर जायेंगे इक दिन मिस्टर,
रह जायेंगे भरे हुए ये , पैसे के सब यहीं कनस्तर।
साथ भी ना जा पाएंगे , कोठी , बंगला , धन दौलत ,
रह जायेगा अंत सफ़र में, चार कन्धों का बना बिस्तर।
सुन्दर रचना
ReplyDeletenice poem...
ReplyDeleteBloggers Listing
its my walls
बड़े लोग , दल्ले बनवाये ,
ReplyDeleteचमचे,व्यापारी कहलायें !
जातिधर्म पर काबू है,तो
कसबे का सरदार कहाए !
जो धन आएगा पब्लिक से ,करते हिस्से बाँट मिनिस्टर !
हर विभाग से पैसा पंहुचे ,खुश रहते हैं, चीप मिनिस्टर !
बहुत ही सटीक और सामयिक रचना.
रामराम.
आक्रोश तो सभी के दिलों मे है पर मंजिल किधर से मिलेगी, यह नही सूझता.
ReplyDeleteरामराम.
सुन्दर व्यंग्य चीप मिनिस्टरों पर
ReplyDeleteसादर!
बढ़िया पोस्ट...
ReplyDeleteऐसा तेवर जनकवि नागार्जुन में ही हुआ करता था . जब वे कहते थे :
ReplyDeleteपांच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूंखार, गोली खाकर एक मर गया, बाकी बच गए चार !!
चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन, देश निकाला मिला एक को, बाकी बच गए तीन !!
तीन पूत भारतमाता के, लड़ने लग गए वो, अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच गए दो !!
दो बेटे भारतमाता के, छोड़ पुरानीटेक, चिपक गया एक गद्दी से, बाकी बचगया एक !!
एक पूत भारतमाता का, कंधे पर था झंडा, पुलिस पकड़ कर जेल ले गई, बाकी बच गया अंडा !!
पहले दिन व्यापारी आये ,
ReplyDeleteसाथ नकद नारायण लाये !
जो अधिकारी है,नालायक
उसे निलंबित,अभी कराये !
जैसे चाहो खूब कमाओ ,जबतक खुश हो रहे मिनिस्टर !
बड़े बड़ों को सीधा करते , जब गुस्से में रहें, मिनिस्टर !
आज येही सब तो हो रहा है,
यही समय है चेतने का !
ReplyDeleteक्या कहने !
ReplyDeleteइसे'सामायिक' विषय पर बढ़िया कविता .
जो भी अधिकारी आए हैं
ReplyDeleteदल्लों से परिचय पाये हैं !
हाथ मिलाएं,पहले इनसे,
तभी वहां , कुर्सी पाए हैं !
शहर, गाँव, कसबे का शासन , चमचों से ही , चले निरंतर !
अफसर वही करेगा शासन,जिसपर रखता हाथ मिनिस्टर
करारा व्यंग सुप्रभात संग बधाई और प्रणाम स्वीकारें
Gud one uncle... but ek cheez to rah hi gai, jis officer ki gal5i nahi nikaal pate uska transfer bhi bekaar jagah karwa dene ki dhamki dete hai aur officer nahi maanta to karwa bhi dete hai... aur jo officer ye sari baatein nahi maanta usse to apni jaan se bhi haanth dho baithna padta hai...
ReplyDeleteBut, you wrote it amazingly...
कैसे कैसे करते खूब पोल खोली।
ReplyDeleteआजकल व्यवस्था यही है देश की !
सेवा के नाम पर
ReplyDeleteलुट,अवनिती
जिसमे अब
नहीं बची कोई नीति
वही नेता,राजनीती ..
चीप शब्द का अच्छा प्रयोग किया है !
भड़ासु-मय :)
ReplyDeleteसटीक और सामयिक व्यंग्य!! शुभकामनाएं…
ReplyDeleteसामायिक' विषय पर बढ़िया सटीक,कविता.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया साटीक व्यंग..
ReplyDeleteवाह…………चीप मिनिस्टर वाह
ReplyDeleteसटीक और सच्चा चित्र खींचा है इन सभी चीप नेताओं का ... खुद भी चीप और सभी को चीप बना रहे हैं ... पता नहीं कब देश में बदलाव की बयार आएगी ...
ReplyDeleteशब्द कितने प्रभावशाली होते हैं...
ReplyDeleteएक ही काफ़ी है चमत्कार उत्पन्न करने के लिए!
So well used: "चीप" मिनिस्टर
Awesome!
बहुत ही सुन्दर और सामयिक रचना |भाई सतीश जी आभार |
ReplyDeleteये सुधरें तब सब सुधरेंगे।
ReplyDeleteशानदारम !!!!!
ReplyDeletebahut satik aur sachchai batata geet
ReplyDeleteaapko badhai
rachana
बहुत लाजबाब पोस्ट
ReplyDeleteएक बात ,
सुतुर्गमुर्ग और मोटी खाल वाले को
कुछ भी कह लो कोई फर्क नहीं पड़ता
बहुत लाजबाब पोस्ट
ReplyDeleteएक बात ,शुतुर्गमुर्ग और मोटी खाल वाले को कुछ भी कह लो कोई फर्क नहीं पड़ता
सुन्दर ,सटीक और प्रभाबशाली रचना। कभी यहाँ भी पधारें।
ReplyDeleteसादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
जो धन आएगा पब्लिक से ,करते हिस्से बाँट मिनिस्टर !
ReplyDeleteहर विभाग से पैसा पंहुचे ,खुश रहते हैं, चीप मिनिस्टर !
सही ही तो है आज हर नेता चीप ही तो हो गया है ...अपनी राजनीति की दुकान चलाने के लिए तरह तरह के प्रलोभन जो देता है ...:)
heheheh bejod... jabab nahi sir aapka
ReplyDeleteEid Mubarak..... ईद मुबारक...عید مبارک....
आपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
ReplyDeleteकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
जब से आये हैं , सत्ता में ,
इनके कुत्तों के दिन पलटे
चपरासी,ड्राईवर औ माली
झाड़ू वालों के दिन पलटे !
इनके नाम पर दस प्रोपर्टी,रखते अपने पास मिनिस्टर !
कैसे कैसे चीप मिनिस्टर !!
वाह !
जवाब नहीं आपका आदरणीय सतीश जी
आपकी रचनाओं में आपका रंग बोलता है हमेशा...
बधाई और शुभकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार