अब मुफ्त में सूरज को भी अच्छा नहीं कहते
इस देश में अच्छे को ही, अच्छा नहीं कहते !

अब जुमले बाज बन गये सरदार , तभी से
झूठों को ही, इस देश में झूठा नहीं कहते !
इस देश में अच्छे को ही, अच्छा नहीं कहते !

अब जुमले बाज बन गये सरदार , तभी से
झूठों को ही, इस देश में झूठा नहीं कहते !
बस्ती में जाहिलों की, चोर डाकुओं को भी
भगवा लिवास में, कभी लुच्चा नहीं कहते !
बच्चों को भूल पर तो माफ़ कर ही दें मगर
कम उम्र नर पिशाच को बच्चा नहीं कहते !
सारे डकैत मिल के , चोर चोर कह रहे ,
अरविन्द को इस देश में सच्चा नहीं कहते !
कल की पोस्ट का फिर से पोस्टमार्टम कर दिये :) बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब ...
ReplyDeleteकरारा व्यंग ... कस के लगाया थप्पड़ आज के माहोल पर ...
बहुत बधाई ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.05.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2980 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 23 मई - विश्व कछुआ दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteक्या कहने. बहुत खूब. सच्ची बात
ReplyDeleteसारे डकैत मिल के चोर चोर कह रहे
ReplyDeleteएक डैम सही कहा सतीश जी करारा व्यंग ..
बढ़िया
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