tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post1303897281522453541..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: "ब्लाग जगत और सम्मान सुरक्षा" में आपकी आवाज चाहिए - सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-54778374312233969092010-03-04T13:58:18.014+05:302010-03-04T13:58:18.014+05:30सतीश जी ... दुनिया है तो लोग हैं, लोग हैं तो बाते ...सतीश जी ... दुनिया है तो लोग हैं, लोग हैं तो बाते हैं ... बाते हैं तो नोक-झोंक भी है .... कोई कुछ तो कोई कुछ ..... <br /><br />कुछ तो लोग कहेंगे, <br />लोगों का काम है कहना ..... <br />छोड़ो बेकार की बातों में ...... <br /><br />मस्त रहना ही अच्छा है ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31163088129223333012010-03-04T13:58:18.015+05:302010-03-04T13:58:18.015+05:30सतीश जी ... दुनिया है तो लोग हैं, लोग हैं तो बाते ...सतीश जी ... दुनिया है तो लोग हैं, लोग हैं तो बाते हैं ... बाते हैं तो नोक-झोंक भी है .... कोई कुछ तो कोई कुछ ..... <br /><br />कुछ तो लोग कहेंगे, <br />लोगों का काम है कहना ..... <br />छोड़ो बेकार की बातों में ...... <br /><br />मस्त रहना ही अच्छा है ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-27389866123175936422010-03-03T21:40:21.588+05:302010-03-03T21:40:21.588+05:30सतीश जी ,नमस्कार ,
आप का ये लेख पढ़ कर बहुत मज़ा आ...सतीश जी ,नमस्कार ,<br />आप का ये लेख पढ़ कर बहुत मज़ा आया ,मैं जानती हूं कि ये चिन्तन का विषय है न कि मज़ा लेने का ,लेकिन जब दिमाग़ ये सोच रहा हो कि मालूम नही मेरी सोच कितनी सही है कितनी ग़लत उस समय ऐसा लेख पढ़्ने को मिले तो मज़ा ही आएगा न.<br />सही बात है कि सही समय पर किये गए प्रतिरोध का ही महत्व है .इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-68350867714712791572010-03-03T19:39:29.551+05:302010-03-03T19:39:29.551+05:30प्रिय सतीश,
तुम ने पुन: एक चिंतनीय आलेख प्रस्तुत ...प्रिय सतीश,<br /><br />तुम ने पुन: एक चिंतनीय आलेख प्रस्तुत किया है. वाकई में लाख टके की बात है.<br /><br />"घटिया लोगों को महिमा मंडित करने का प्रयास नहीं होना चाहिए "<br /><br />यह सही है, और जब हिन्दी चिट्ठों की संख्या 50,000 से ऊपर पहुँच जायगी तब घाटिया लोग कहीं न रहेंगे. लेकिन जब तक हमारी संख्या सीमित है तब तक घाटिया लोगों को अपनी गंदी राजनीति चलाने का अवसर मिलता रहेगा.<br /><br />नंगे से खुदा भी डरता है, और फिलहाल हिन्दी चिट्ठाजगत में घाटिया लोगों से अधिकतर चिट्ठाकार थर्राते हैं.<br /><br />सस्नेह -- शास्त्री<br /><br />हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<br />http://www.IndianCoins.OrgShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-51394259727751354072010-03-03T13:44:12.760+05:302010-03-03T13:44:12.760+05:30सौ सुनार की.....एक लोहार की....सौ सुनार की.....एक लोहार की....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-26979171897536670452010-03-03T13:44:12.761+05:302010-03-03T13:44:12.761+05:30सौ सुनार की.....एक लोहार की....सौ सुनार की.....एक लोहार की....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-46662762611065897752010-03-03T11:31:48.569+05:302010-03-03T11:31:48.569+05:30'हम लोग हर क्षेत्र में लगभग सभी कहीं न कहीं वि...'हम लोग हर क्षेत्र में लगभग सभी कहीं न कहीं विशिष्टता रखते है और सभी आदरणीय है , अगर हम एक दूसरे का सम्मान न कर सकें तो कम से कम बेवजह अपमान करने से तो बचा जा सकता है !'<br /><br />मेरे मन की भी बात यही है !शुक्रिया !!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-16726050451016543802010-03-03T09:42:01.263+05:302010-03-03T09:42:01.263+05:30जमे रहिये भाई जी, बस सुबह होने को है....जमे रहिये भाई जी, बस सुबह होने को है....डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77568050816224919462010-03-03T09:32:59.103+05:302010-03-03T09:32:59.103+05:30सतीश भाई एक बात तो तय है जब अजीत जी जैसे अच्छे इंस...सतीश भाई एक बात तो तय है जब अजीत जी जैसे अच्छे इंसान को निशाना बनाया जा सकता है तो हम जैसे हमेशा उन्के निशाने पर रहेंगे।सवाल किसी के एक के अपमान का नही है,अपमान तो किसी का भी नही किया जाना चाहिये।इसके लिये क्या असली ज़िंदगी कम पड़ रही है जंहा झूठ-फ़रेब और तनाव ही तनाव है,मैं तो शायद उन सब से बचकर यंहा आया और मुझे खुशी है यंहा आप जैसे और भी बहुत से अच्छे इंसान मिले।यंहा तो सिर्फ़ प्यार होना चाहिये अगर यंहा भी मान-अपमान घात-प्रतिघात चलेगा तो उससे अपनी असली दुनिया क्या कम है?Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-1141993168828973222010-03-03T09:04:48.895+05:302010-03-03T09:04:48.895+05:30असल में जब भी क्रांति होती है उसका कारण धृतराष्ट्र...असल में जब भी क्रांति होती है उसका कारण धृतराष्ट्र का अंधा होना ही होता है. यह शुभ है कि क्रांति के लक्षण दिखाई देने लगे हैं..आज शश्त्र उठाकर क्रांति नही होती बल्कि वैचारिक क्रांति होती है जिसका सुत्रपात होने लगा है.<br /><br />वैसे अरविंद मिश्र जी ने कृष्ण वाला गीता ज्ञान दे ही दिया है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-29719378478626851102010-03-03T09:00:32.945+05:302010-03-03T09:00:32.945+05:30@डॉ मनोज मिश्र ,
बिलकुल ठीक कह रहे हैं , टिप्पणियो...@डॉ मनोज मिश्र ,<br />बिलकुल ठीक कह रहे हैं , टिप्पणियों से इन्हें शक्ति मिलती है , और उर्जावान होकर यह अपने भक्तों को बचाते हैं उन्हें दूसरों को अपमानित करने की शिक्षा देते है, इन्हें एक दिव्य ज्ञान प्राप्त है, कि वरदान देने की शक्ति इनको ही मिली है !श्लोक भी सही लिखते हैं ....<br /><br />@राज भाटिया ,<br />मैं आपसे सहमत नहीं हूँ , प्रतिकार न करने से ही राक्षस जागते हैं ! आप अपना अपमान भूल गए हैं मगर मुझे वह भी याद है ...अपमान भूलाने से लोग लोग संत नहीं कहते , कायर कहा जाता है ...<br /><br />@अविनाश वाचस्पति,<br />आप अन्तर्यामी हैं प्रभु ...खुल कर कहते रहिये इसे लोग पसंद करेंगे <br /><br />सादर . <br /><br />@उड़न तश्तरी , <br />महाराज कभी नीचे भी आ जाओ , हम लोग जमीन के प्राणी हैं , गूढ़ वचन नहीं समझ पाते ...मदद करो <br />अन्यथा ...<br />;-)<br /><br />@ निर्मला कपिला ,<br />मैं अपने आपको फेल मानता हूँ, कोई अपने जैसा गधा मिलता ही नहीं ... <br /><br />@डॉ रूप चन्द्र शास्त्री ,<br />अगर वाकई आप आजकल के क्रिया कलापों से नहीं वाकिफ तो इसे ना समझें , क्यों उलझाते हैं स्वयं को, आपको कष्ट ही होगा ! <br /><br />संक्षेप में कहूं तो मैं एक आहत दोस्त , अपने एक नसेड़ी नवाब दोस्त की मज़ाक उड़ा रहा हूँ, जो बेवकूफ कारिंदों से घिरा बैठा, अपने आप को ब्लाग जगत का सर्व शक्तिमान विधाता समझने लगा हैSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-55074999835216647042010-03-03T08:28:05.824+05:302010-03-03T08:28:05.824+05:30@अरविन्द मिश्र,
वाह गुरु देव आपने होली सार्थक कर द...@अरविन्द मिश्र,<br />वाह गुरु देव आपने होली सार्थक कर दी , अपनी तारीफ़ धुरंधरों से सुनकर अच्छा लगता है !<br />मुझे दिली अफ़सोस गुरुघंटाल के लिए होगा, यह व्यक्ति , दिल से वाकई बहुत अच्छा है मगर आत्म सम्मोहित होने के कारण अपने पुत्रमोह को नहीं छोड़ पा रहे ! हम लोग हर क्षेत्र में लगभग सभी कहीं न कहीं विशिष्टता रखते है और सभी आदरणीय है , अगर हम एक दूसरे का सम्मान न कर सकें तो कम से कम बेवजह अपमान करने से तो बचा जा सकता है ! अगर ऐसे दुश्चरित्र स्वनामधन्य संतानों की तारीफ़ कर रहे हैं तो निस्संदेह वे अपने गौरव और सम्मान का दुरुपयोग कर रहे हैं कम से कम मेरे जैसे ईमानदार लोग बेहद व्यथित हैं और उनका कद और सम्मान मेरी निगाह में बहुत गिरा है !<br />भविष्य में प्रयत्न रहेगा कि जब तक पहचान न हो जाये जल्दी किसी को सम्मान न दूं !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57988116060645823462010-03-03T07:41:34.444+05:302010-03-03T07:41:34.444+05:30shee baat hai,log-baag surkhiyon men rhne ke liye ...shee baat hai,log-baag surkhiyon men rhne ke liye kuchh bhee ulul-julul likhte rhte hai aur log tippanee bhee khoob dete hain,aapke vicharo se shmt.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-9755490958428924692010-03-03T07:35:13.660+05:302010-03-03T07:35:13.660+05:30सतीश जी बहुत अच्छी बात कही आपने, पता नही लोग इस प्...सतीश जी बहुत अच्छी बात कही आपने, पता नही लोग इस प्रकार से क्यों ब्लॉगिंग का उद्देश्यही बदल दे रहे हैं और अपनी फालतू की बात से चर्चा में आने की योजना में लगे रहते है...इन्हे रोक पाना तो मुश्किल है पर नज़रअंदाज किया जा सकता है दूसरा रास्ता अपनाना ही पड़ेगा....विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-48108675082914925352010-03-03T07:30:27.175+05:302010-03-03T07:30:27.175+05:30सर्वश्रेष्ठ होली पोस्ट -आप भी तो अलोक मेहता हुए जा...सर्वश्रेष्ठ होली पोस्ट -आप भी तो अलोक मेहता हुए जाते हैं -हा हा हा हा !<br />सतीश जी डिफेंसिव मत होईये -शस्त्र उठाईये! जो लक्षित हैं वे ऐसे तो मानेगें नहीं .<br />उनके बीच ही जमिये और उन्हें किनारा कराईये ......खुद किनारे पर नहीं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-86222268829466045202010-03-02T22:33:35.577+05:302010-03-02T22:33:35.577+05:30सतीश जी केसे बनाये स्वानुशासन इस ब्लांग जगत मै?लेक...सतीश जी केसे बनाये स्वानुशासन इस ब्लांग जगत मै?लेकिन जो बात आप कह रहे है, वो सब समझते है, ओर कोई अपने आप को ग्याणी महा ग्यानी समझे या महा गुरु समझे उस से क्या? अच्छा है इन्हे तव्ज्जो ही मत दो, मस्त रहो, रास्ते मै कही कीचड पडा हो तो उस से बच कर निकल जाना चाहिये, अग्र उस मे पत्थर मारेगे तो छींटे तो हम पर ही गिरेगे ना.<br />आप की हर बात से सहमत है, लेकिन इस का हल कोई नही हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33323380421467013152010-03-02T22:07:33.381+05:302010-03-02T22:07:33.381+05:30जानते सब हैं
मानते सब नहीं
महात्मा गांधी जी ने क...जानते सब हैं<br />मानते सब नहीं<br /><br />महात्मा गांधी जी ने कहा था कि <br />''सोते हुए को तो जगाया जा सकता है परन्तु जो सोने का बहाना कर रहा है, उसे जगाना असंभव है।'' <br />तो यही गति, अब चाहे दुर्गति मानें या मूढ़मति - सद्गति तो नहीं मान सकते, रहेगी। गियर बदलेंगे कैसे, उसे गाड़ी के जो स्वचालित है और उसमें गियरों की व्यवस्था ही नहीं है। बेगियर की गाड़ी तो ऐसे ही दौड़ेगी और फोड़ती हुई ही नजर आएगी। जो बच जाएगा उसकी चोट से उसका अपना सौभाग्य होगा। अब ब्लॉग रूपी वाहन में अगर ईंधन ही चुक जाये तो बात अलग है, या खरीदना पड़े मतलब डॉटकॉम करके, फिर तो स्वच्छंदता, उच्श्रंखलता पर काबू पाना संभव दिखता है। इसके बिना तो गाड़ी यूं ही चलती रहेगी। पर हमें अपने सद्प्रयासों में कमी नहीं लानी चाहिए। कवि दुष्यंत ने कहा भी है कि ' कौन कहता है कि आसमान में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो' तो आपकी पोस्ट की तबीयत तो बहुत पसंद आई, आप इसी तरह के पत्थर उछालते रहा करें, हमारे लिए तो फूल हैं जिनके लिए पत्थर हैं, कामना करेंगे उनके लिए भी फूल रूप में परिवर्तित हों और आसमान में सुराख हो या न हो पर मनों में जो सुराख हैं वे ही रिपेयर हो जाएं तो सुकून मिलेगा।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-79436676996262102152010-03-02T21:17:14.135+05:302010-03-02T21:17:14.135+05:30सधे शब्दों में खरी बातसधे शब्दों में खरी बातराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-34886742966959775772010-03-02T21:12:09.604+05:302010-03-02T21:12:09.604+05:30भाई मेरे, साफ सुथरी सर्फ एक्सेल से धुली कमीज पहनो ...भाई मेरे, साफ सुथरी सर्फ एक्सेल से धुली कमीज पहनो सिखाने के लिए यह कतई जरुरी नहीं है कि यह दिखाया जाये कि उसकी कमीज कितनी गंदी है.<br /><br />सदाचार बिना गुंडों के कारनामे बताये भी सिखाया जा सकते हैं.<br /><br />उचित क्या है कि लिस्ट बना लें और अनुचित क्या है, उसकी लिस्ट बना लें, तो भी बहुतेरे आईटम दोनों लिस्टों में छूट ही जायेंगे, आप आखिर कहाँ तक मेहनत करते जाईयेगा.<br /><br />आप उचित के उदाहरण प्रस्तुत करते रहे, लोग अनुसरण करते चलेंगे. मामला स्व विवेक का है. सभी सुधिजन हैं, कोई भी निरिह, अबोध या दलित नहीं है कि बिना मार्गदर्शन के शोषित हो जायेगा, आप निश्चिंत हो सकारात्मक और सार्थक लेखन करें.<br /><br />मेरी शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-29220941205807820852010-03-02T20:34:20.586+05:302010-03-02T20:34:20.586+05:30विचारणीय पोस्ट है आपकी पोस्ट और टिप्पणीकर्ताओं के ...विचारणीय पोस्ट है आपकी पोस्ट और टिप्पणीकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश कर रही हूँ।ाज तक ब्लागजगत का रूप मुझे तो समझ नही आया इस लिये अपने काम मे लगे रहना ही श्रेयस्कर है। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-66473274418068373222010-03-02T20:07:20.880+05:302010-03-02T20:07:20.880+05:30hmm agar sab khud ko sanyat karke chle to is tarah...hmm agar sab khud ko sanyat karke chle to is tarah ki koi porblem n hoश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58981795256330049982010-03-02T19:45:49.484+05:302010-03-02T19:45:49.484+05:30बिल्कुल सही फ़ोडा है आपने नारियल को ..बिल्कुल बींचो...<i> <b> बिल्कुल सही फ़ोडा है आपने नारियल को ..बिल्कुल बींचोबीच ..और सबसे अच्छी बात ये है कि चाहे कोई माने या न माने ..मगर इस हकीकत से वाकिफ़ सभी हैं ..कई बार कोशिश तो ये भी कि ..हम भी उसी जमात में शामिल हो जाएं तमाशबीन बनके देखें ....मगर जाने मन के किस कोने से आवाज़ आती है और ...बस धांय ढिशुम ..होने लगती है ....मगर सतीश जी .....अब तो ये ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है ....और पहले भी कह चुका हूं कि ...बेशक सायबर कानून अभी भारत में उतनी तेज़ी नहीं दिखा पाए हैं ...मगर यहां याद दिलाता चलूं कि ..अभी ज्यादा समय नहीं बीता है जब सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक ब्लोग्गर को कोई राहत नहीं दी ....शायद बहुत से लोग मामले से वाकिफ़ हों और बहुत से अनजान हों ..... </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-35582403081525139432010-03-02T19:43:39.995+05:302010-03-02T19:43:39.995+05:30@रतन सिंह शेखावत !
हमारे संस्कारों की याद दिलाने क...@रतन सिंह शेखावत !<br />हमारे संस्कारों की याद दिलाने के लिए आपका आभारी हूँ , बड़े छोटे का लिहाज़ तो वह करेगा जिसने अपने घर में कुछ सीखा हो दुःख यह है कि अपना हिसाब सीधा करने के लिए कुछ सम्मानित लोग भी ऐसे लोगों का प्रयोग करते हैं !<br />आपका आना अच्छा लगा !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-49646200523036161662010-03-02T18:50:13.178+05:302010-03-02T18:50:13.178+05:30सज्जनों व वरिष्ठों का अपमान करने वाले की खुद की प्...सज्जनों व वरिष्ठों का अपमान करने वाले की खुद की प्रतिष्ठा समाज में धीरे धीरे क्षीण हो जाती है इसी तरह ऐसे उद्दंड लोगों व उनके गुरुओं की भी ब्लॉगजगत में यही दुर्गति होगी बेशक वे कितने ही लोकप्रिय क्यों न हो | इसलिए चिंतित मत होईये देर सवेर सब समझ जायेंगे |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-26579740430470119692010-03-02T18:20:45.671+05:302010-03-02T18:20:45.671+05:30सतीश जी , दुनिया में सभी तरह के लोग हैं। ब्लॉगजगत ...सतीश जी , दुनिया में सभी तरह के लोग हैं। ब्लॉगजगत में भी ।<br />लेकिन ब्लोगिंग के कोई नियम बनाना संभव नहीं लगता ।<br />इसमें तो आत्मसंयम की ज़रुरत है।<br />प्रतिकार करने से राजसी और तामसी प्रवर्ति को बढ़ावा मिलता है।<br />मेरे साथ भी ऐसा हो चुका है। लेकिन कहते हैं --एक चुप सौ को हरावे।<br />बाकी तो यहाँ सभी ज्ञानी हैं।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.com