tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post2082255696855807554..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: हम अपनी शिक्षा भूल चले -सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-51843541317305269952010-12-29T13:51:01.676+05:302010-12-29T13:51:01.676+05:30सीख देती हुई, विचारणीय प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डो...सीख देती हुई, विचारणीय प्रस्तुति. आभार. <br />सादर, <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-12359646739029789742010-12-29T11:14:32.613+05:302010-12-29T11:14:32.613+05:30सार्थक रचना ...
कल के चर्चा मंच पर आप नहीं आये .....सार्थक रचना ...<br /><br />कल के चर्चा मंच पर आप नहीं आये ..वहाँ आपकी फोटो लगी हुई है ...:):) <br /><br />वैसे भी आपकी धमकी के सामने डर ही गयी थी :):) केवल मजाक है ....<br /><br />आपकी यह कविता बहुतों को सीख दे रही हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-18465211463939301672010-12-28T23:25:41.761+05:302010-12-28T23:25:41.761+05:30अच्छी कविता है सर। बेहद अच्छी।अच्छी कविता है सर। बेहद अच्छी।रवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-68502042599588046162010-12-28T20:58:33.105+05:302010-12-28T20:58:33.105+05:30पतित,
भेष बदल बैठे ,
मुंह काले करवा आए,
शिखन्डी
...<b><i>पतित, <br />भेष बदल बैठे ,<br />मुंह काले करवा आए,<br />शिखन्डी <br />बेतुके <br />बबूल <br />रंजिश के द्वारे</i></b><br />गुरुदेव कविता हल्की हो या भारी, क्या शब्दों की धार है... ऐसी कविता कभी हल्की नहीं हो सकती.. एक भोगा हुआ यथार्थ है यह और पंक्ति पंक्ति में अनुभव की गूँज सुनाई देती है. <br />"मो सम कौन" ने तो बाकी बातें कह दी हैं, मैंने कहा तो पुनरावृत्ति होगी. <br />नव वर्ष की शुभकामनाएँ!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-4730512227403318782010-12-28T20:45:19.316+05:302010-12-28T20:45:19.316+05:30@ जनाब खुशदीप साहब !
दोबारा आया तो आपके कमेँट पर ...@ जनाब खुशदीप साहब ! <br />दोबारा आया तो आपके कमेँट पर ठिठकना पड़ा और पेट की गहराई से हंसना भी पड़ गया । हालांकि पूरे संदर्भ को तो समझ नहीं पाया लेकिन आपने एक ट्राजिक पोस्ट पर कॉमेडी क्रिएट करके माहौल की घुटन को काफ़ी कम कर दिया है ।<br />nice post<br />पे<br />nice comment .<br />:) :) <br /><br /><br />Thanks .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-75708250775893299672010-12-28T19:07:36.925+05:302010-12-28T19:07:36.925+05:30कुछ ऋषी मुनी भी मुस्कानों के, आगे घुटने टेक गए !
व...कुछ ऋषी मुनी भी मुस्कानों के, आगे घुटने टेक गए !<br />वाह भाई जी यह तो कालजयी कृति है ......इसमें हम सब अपना मुंह निहार सकते है!<br />आपने आईना १८० डिग्री हमारी ही और मोड़ दिया है -बड़ी ना इंसाफी है ! :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-55299023564697175422010-12-28T14:53:31.507+05:302010-12-28T14:53:31.507+05:30जनाब सतीश सक्सेना साहब ! इतनी सुंदर पोस्ट ब्लाग जग...जनाब सतीश सक्सेना साहब ! इतनी सुंदर पोस्ट ब्लाग जगत को देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।<br /><br />ऐसा लगता है मानो आपने मेरी पीड़ा को ही स्वर दे दिया हो । <br /><br />मैं चाहता हूं कि आप इस ब्लाग को हिंदी के उन तमाम एग्रीगेटर्स पर जोड़ दीजिए जिनका ज़िक्र आज <br />blogbukhar.blogspot.com<br />पर किया गया है । <br /><br />मेरे ब्लाग<a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com" rel="nofollow">अहसास की पर्तें </a> की पोस्ट पर कमेंट देने के लिए शुक्रिया ।<br /><br />आने वाले समय में आप सभी शब्द प्रहरियों का जलवा बढ़ने वाला है क्योंकि एग्रीगेटर्स बढ़ते ही जा रहे हैं। हिंदी ब्लागिंग उत्तरोतर बेहतर होती जाएगी ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-72617025997865952342010-12-28T12:55:45.486+05:302010-12-28T12:55:45.486+05:30ऋग्वेद पढाने आए थे ! पर अपनी शिक्षा भूल चले ...ऋग्वेद पढाने आए थे ! पर अपनी शिक्षा भूल चले !! <br /><br />धर्मेंद्र फिल्मों में नए आए थे...कुछ साल बाद उन्होंने देखा कि हिंदी फिल्मों में बगैर डांस सीखे काम नहीं चल सकता...उन्होंने डांस सीखने के लिए एक मास्टर जी को घर बुलाना शुरू कर दिया...तीन चार महीने बाद धर्मेंद्र तो डांस की एबीसी भी नहीं सीखे, हां मास्टर जी ने धर्मेंद्र के साथ रहते हुए पैग चढ़ाना ज़रूर सीख लिया...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-13387461208790576722010-12-28T12:54:51.643+05:302010-12-28T12:54:51.643+05:30जय हो ब्लॉग भाग्य विधाता.........
आप कविता बहुत ...जय हो ब्लॉग भाग्य विधाता.........<br /><br />आप कविता बहुत सुंदर लिखते है..... बढिया लगती है.... "मेरे गीत" सही मायने में गीत लगते है..... पर के बार हम जैसे "बुरबक" की पान कि दूकान यहाँ सजाते है तो ठीक नहीं रहता.... <br /><br />ये ज्ञान आपकी कविता पढ़ कर ही अभी प्राप्त हुवा है.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57953052714015120762010-12-28T11:14:41.347+05:302010-12-28T11:14:41.347+05:30हिन्दी ब्लॉगजगत का सार डाल दिया जी इस रचना में आपन...हिन्दी ब्लॉगजगत का सार डाल दिया जी इस रचना में आपने<br />सचमुच कालजयी रचना है और बेहतरीन अभि्व्यक्ति<br />एक ममता भरे प्यारे दिल से निकली हुई<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-6163079142530115982010-12-28T08:54:56.428+05:302010-12-28T08:54:56.428+05:30@ मो सम कौन ,
इतने सार गर्भित टिप्पणी के लिए धन्य...@ मो सम कौन ,<br /><br />इतने सार गर्भित टिप्पणी के लिए धन्यवाद ...आज मूड में लग रहे हो :-)<br /><br />" सक्सेना साहब " ने हमारे तुम्हारे बीच काफी दूरी पैदा कर रखी है संजय बहुत दिनों से तुम इसे छोड़ नहीं पा रहे और हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते :-(<br /><br />सतीश भाई ...भैया ...कहो तो अच्छा लगेगा और कभी कभी यार ... कहो तो <br /><a rel="nofollow"><br />http://www.youtube.com/watch?v=XoZEkJouqZo<br /></a>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-24761632305902235182010-12-28T08:39:19.213+05:302010-12-28T08:39:19.213+05:30शिकवे की हर पंक्ति पर खुद को फिट करने की कोशिश करक...शिकवे की हर पंक्ति पर खुद को फिट करने की कोशिश करके देखी , नाकाम रहा ! फिर खुशी हुई कि आपके निशाने पर मैं नहीं हूं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77171047476684844762010-12-28T08:00:10.701+05:302010-12-28T08:00:10.701+05:30सक्सेना साहब, आपकी ये कविता बहुत शानदार है, कालजयी...सक्सेना साहब, आपकी ये कविता बहुत शानदार है, कालजयी है। हर महीने दो महीने में यहाँ इसकी उपयोगिता जाहिर हो ही जाती है। ज्यादा कुछ कहूंगा तो फ़िर मुद्दे से हटने वाली बात हो जायेगी लेकिन आपके बारे में इतना यकीन हो गया है कि आपने साधु और बिच्छु वाली कहानी सुनी भी है और गुनी भी। तय है कि आप नहीं बदलेंगे। कमेंट सं. तीन पढ़ा तो ये लगा कि ये कह सकने लायक अपन नहीं है, चार नं. पढ़ा तो रचना जी के फ़ैन बन जाने का मन कर आया, पांच नं. वाले के हम पहले से ही मुरीद हैं। अंशुमाला जी का कमेंट भी अच्छा लगा।<br />सच ये है कि आप दुखी दिखते हैं तो दुख हमें भी पहुंचता है। बेशक आप कहें कि हल्की-फ़ुल्की रचना है ये आपकी,लेकिन हमें बहुत भारी-भरकम लगी।<br />आप यहाँ से जाने की सोच भी नहीं सकते, कल को अपना किसी से विवाद होगा तो हम किस पर भरोसा करेंगे कि कोई है जो बीच-बचाव करवा सकता है? हम तो आपको ’ब्लॉगिंग-ओम्बड्समैन’ माने बैठे हैं:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-61517297686727209222010-12-28T07:11:46.547+05:302010-12-28T07:11:46.547+05:30'कबीर तेरी झोपड़ी गल-कटियन के पास ,
करता है सो...'कबीर तेरी झोपड़ी गल-कटियन के पास ,<br />करता है सो भरेगा तू क्यों भया उदास !'प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-1476900405259975172010-12-28T00:22:03.877+05:302010-12-28T00:22:03.877+05:30बहुत सुंदर रचना जी धन्यवादबहुत सुंदर रचना जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-50117243988619518872010-12-27T22:48:08.378+05:302010-12-27T22:48:08.378+05:30हम तो अभी शिक्षा ग्रहण ही कर रहे हैं,सो भूलने का प...हम तो अभी शिक्षा ग्रहण ही कर रहे हैं,सो भूलने का प्रश्न ही नहीं उठता।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-5747818028369245602010-12-27T22:32:33.304+05:302010-12-27T22:32:33.304+05:30मैं चिर-अभिलाषित, ममता का, रंजिश के द्वारे आ पहुँच...मैं चिर-अभिलाषित, ममता का, रंजिश के द्वारे आ पहुँचा !<br />ऋग्वेद पढाने आए थे ! पर अपनी शिक्षा भूल चले <br />क्या कहें... कभी कभी सच में मन उचटने लगता है यहाँ से.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-79073572168672859182010-12-27T22:02:24.313+05:302010-12-27T22:02:24.313+05:30हम दीवानों की क्या हस्ती कल ब्लोग्गर थे अब नहीं रह...हम दीवानों की क्या हस्ती कल ब्लोग्गर थे अब नहीं रहे.<br />अरे नहीं हैं अभी हम... :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-27643609261680968802010-12-27T20:04:17.791+05:302010-12-27T20:04:17.791+05:30बेहद विचारणीय पोस्ट|धन्यवाद|बेहद विचारणीय पोस्ट|धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-21961502972159458422010-12-27T19:31:46.539+05:302010-12-27T19:31:46.539+05:30बहुत सुंदर।
..जब आप इतना अच्छा लिख सकते हैं तो इधर...बहुत सुंदर।<br />..जब आप इतना अच्छा लिख सकते हैं तो इधर- उधर व्यर्थ समय जाया क्यों करते हैं!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-85561074995161004502010-12-27T18:36:27.949+05:302010-12-27T18:36:27.949+05:30कुछ दिनों से एक व्यर्थ सा विवाद स्वयं को श्रेष्ठ द...कुछ दिनों से एक व्यर्थ सा विवाद स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने के प्रयास का (आपके लिये ये बात बिल्कुल भी नहीं) देखने में आ रहा है । इसलिये उपर की टिप्पणियों में से ही एक अंश-<br />ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैरSushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-37638148963074175552010-12-27T17:16:33.840+05:302010-12-27T17:16:33.840+05:30हिंदी ब्लोगिंग में ये उथल पुथल तो चलती ही रहेगी ।
...हिंदी ब्लोगिंग में ये उथल पुथल तो चलती ही रहेगी ।<br />बढ़िया ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-91711174021064013052010-12-27T15:47:49.802+05:302010-12-27T15:47:49.802+05:30लोग भूलने में एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी प्रतीत होत...लोग भूलने में एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी प्रतीत होते हैं।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क। </a> <br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-49438042895329785912010-12-27T15:09:21.936+05:302010-12-27T15:09:21.936+05:30मैं कहाँ आ गया, क्या करने, दिग्भ्रमित बहुत हो जाता...मैं कहाँ आ गया, क्या करने, दिग्भ्रमित बहुत हो जाता हूँ !<br />अरमान लिए आए थे हम , अब अपनी राहें भूल चले !<br /><br />बहुत गंभीर प्रश्नों को उठाती बहुत ही सुन्दर कविता..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-60222656598348938392010-12-27T13:50:54.625+05:302010-12-27T13:50:54.625+05:30मैं चिर-अभिलाषित, ममता का, रंजिश के द्वारे आ पहुँच...मैं चिर-अभिलाषित, ममता का, रंजिश के द्वारे आ पहुँचा !<br />ऋग्वेद पढाने आए थे ! पर अपनी शिक्षा भूल चले !! <br /><br />बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com