tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post2241127365661700105..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: हमारी ईमानदारी - सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57857228449283005072010-08-13T12:44:23.843+05:302010-08-13T12:44:23.843+05:30...अफ़सोस है कि हम लोग अपनी तरफ देखते ही नहीं कि ......अफ़सोस है कि हम लोग अपनी तरफ देखते ही नहीं कि हम कितने घटिया हैं ...<br /><br />... bahut sundar !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-45409927745281852212010-08-13T10:16:48.467+05:302010-08-13T10:16:48.467+05:30बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलया कोए,
जो तन देखा ...बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलया कोए,<br />जो तन देखा आपना, मुझसे बुरा न कोए...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-70894633569542520022010-08-13T09:11:56.572+05:302010-08-13T09:11:56.572+05:30मै स्वयं को ईमानदार सम्झता हूं क्योकि अभी बेईमानी ...मै स्वयं को ईमानदार सम्झता हूं क्योकि अभी बेईमानी करने का अवसर नही मिला है . जब यह अवसर सामने होगा उस समय आकलन करुंगा कि मै ईमानदार रहा या नही .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-70784501808693807872010-08-13T07:54:46.955+05:302010-08-13T07:54:46.955+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्र...बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-73300693725538105212010-08-13T06:44:15.491+05:302010-08-13T06:44:15.491+05:30आपकी पोस्ट से मुझे कुछ सीखने मिला है
मैं इसका ध्या...आपकी पोस्ट से मुझे कुछ सीखने मिला है<br />मैं इसका ध्यान रखूंगा<br />आपका शुक्रियाराजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-27462752254243440342010-08-13T05:09:51.600+05:302010-08-13T05:09:51.600+05:30हम कितने अच्छे काम कर रहे हैं ? यह न देख कर हमारी ...हम कितने अच्छे काम कर रहे हैं ? यह न देख कर हमारी कमियाँ क्या रहीं ? अगर यह देखने लगें तो हम बहुतो को हंसाने में कामयाब रहेंगे ...<br />दूसरों पर हंसने से बेहतर विकल्प है अपनी खामियों और कमजोरियों पर हँसना ...मगर सबके लिए संभव भी नहीं है यह ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-2730604300433694382010-08-13T04:11:17.332+05:302010-08-13T04:11:17.332+05:30अपनी बुराईयां
भरी हुई कमियां
दीख कर भी
नहीं दिखती ...अपनी बुराईयां<br />भरी हुई कमियां<br />दीख कर भी<br />नहीं दिखती हैं<br />दिखाता है कोई<br />तब भी दुख होता है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-11760527290283631432010-08-13T00:16:22.970+05:302010-08-13T00:16:22.970+05:30अगर हमे अपनी भुल, अपनी कमिया देखनी है तो हर रोज रा...अगर हमे अपनी भुल, अपनी कमिया देखनी है तो हर रोज रात को सोने से पहले अपनी चार पाई पर बेठ कर बस यह सोचे कि मने आज दिन भर कितने अच्छे ओर कितने बुरे काम किये, यानि अपनी दिन चर्या के बारे जरुर मनन करे-----ओर अगर किसी के बारे गलत किया तो सोचे अगर वो मेरे साथ करत तो...राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-56539013553791909682010-08-12T23:44:14.366+05:302010-08-12T23:44:14.366+05:30दर्पण का आविष्कार करके भी,मानव ने उस में स्वयं को ...दर्पण का आविष्कार करके भी,मानव ने उस में स्वयं को झांकना नहीं सिखा।<br />अहं को थोडी देर के लिये विलग कर जब हम स्वतंत्र खडे होते हैं,तब हो पाता है मनोमंथन।<br />परोपकार और परोपदेश बहुत दे चुके,आवश्यकता तो स्वात्म पर उपकार करने की है,और वह उपकार तब होता है जब हम अपनी आत्मा को सुधरने का अवसर देते है,उसे शुद्ध रखने के प्रयत्न करते है।<br />आत्ममंथन,स्वालोचना व प्रायश्चित ही वे साधन है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-20086298249395895642010-08-12T23:39:59.742+05:302010-08-12T23:39:59.742+05:30बहुत ईमानदारी से लिखी गई पोस्ट..............बहुत ईमानदारी से लिखी गई पोस्ट..............Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53540615896610137792010-08-12T21:17:17.463+05:302010-08-12T21:17:17.463+05:30अहंकार इतना हावी रहता है मन पर कि अपने अवगुण कहाँ ...अहंकार इतना हावी रहता है मन पर कि अपने अवगुण कहाँ नज़र आते हैं ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-30006282660841181412010-08-12T20:35:38.294+05:302010-08-12T20:35:38.294+05:30हम कितने अच्छे काम कर रहे हैं ? यह न देख कर हमारी ...हम कितने अच्छे काम कर रहे हैं ? यह न देख कर हमारी कमियाँ क्या रहीं ?<br />शायद अच्छा है कि हम अपनी कमियाँ नहीं देख पाते वर्ना जिन्दा रह पाना ही मुश्किल हो जाता क्योकि कमियाँ सबसे ज्यादा तो खुद में ही है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-34502440287452685732010-08-12T19:58:22.184+05:302010-08-12T19:58:22.184+05:30saarthak likha hai aapne... aatm manthan se badi k...saarthak likha hai aapne... aatm manthan se badi koi baat nahiअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-85681829422724457482010-08-12T18:47:48.513+05:302010-08-12T18:47:48.513+05:30अपनी भूल कोई महामान्व ही स्वीकार सकता है वर्ना तो ...अपनी भूल कोई महामान्व ही स्वीकार सकता है वर्ना तो <b>हम सही जग झूंठा</b> का सिद्धांत ही काम करता है. शुभकामनाएं.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33440887091783134262010-08-12T17:19:20.573+05:302010-08-12T17:19:20.573+05:30अध्यात्म की तरफ बढ़ते कदम...जब इन्सान स्व-आंकलन कर...अध्यात्म की तरफ बढ़ते कदम...जब इन्सान स्व-आंकलन करने लगे.<br /><br />जरुरी है यह विश्लेषण...मगर जब इन्सान यह करना शुरु करता है तब तक कितनी ही देर हो चुकी होती है ...फिर भी जब जागे तब सबेरा.!!<br /><br />अच्छा रहा पढ़ना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-69374486562969283752010-08-12T16:47:03.147+05:302010-08-12T16:47:03.147+05:30एक दोहा याद आ रहा है ..
बुरा जो देखन मैं चला बुरा ...एक दोहा याद आ रहा है ..<br />बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिल्यो कोई,<br />जो दिल खोजो आपनो ,मुझसा बुरा न होई.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-73001254205535975732010-08-12T15:30:05.944+05:302010-08-12T15:30:05.944+05:30मेरे द्वारा टिप्पणी बहुत ही कम किये जाने के कुछ का...मेरे द्वारा टिप्पणी बहुत ही कम किये जाने के कुछ कारण यहां लिखे हैं जी<br /><a href="http://antarsohil.blogspot.com/2009/02/blog-post_13.html" rel="nofollow">जब किसी को टारगेट बनाकर लिखा जाता है</a><br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-62946472332726644372010-08-12T15:26:11.984+05:302010-08-12T15:26:11.984+05:30आपने मेरी टिप्पणी को इतनी संवेदनशीलता और गंभीरता स...आपने मेरी टिप्पणी को इतनी संवेदनशीलता और गंभीरता से लिया। आपका हार्दिक आभार<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53849358667979676322010-08-12T15:25:17.736+05:302010-08-12T15:25:17.736+05:30मेरे आदरणीय सतीश सक्सेना जी, नमस्कार
आपने ऐसा किय...मेरे आदरणीय सतीश सक्सेना जी, नमस्कार<br /><br />आपने ऐसा किया होगा, यकीन नही आता। हो सकता है हो गया हो। हर कोई केवल अच्छा या केवल बुरा नहीं हो सकता है। समय, स्थिति और सिचुएशन के अनुरूप कभी कम अच्छा, कभी ज्यादा अच्छा होता रहता है।<br />लेकिन जब किसी को अपनी भूलों का अहसास होने लगे और अपनी कमियां खुद दिखाई देने लगें तो उससे अच्छा मैं किसी को नहीं मानता हूँ। <br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-76659919499027140242010-08-12T14:41:50.773+05:302010-08-12T14:41:50.773+05:30सतीश भाई इसीलिए कबीर कह गए हैं
बुरा जो देखन मैं चल...सतीश भाई इसीलिए कबीर कह गए हैं<br />बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय<br />जो मन झांका अपना मुझ सा बुरा न कोय<br /><br />अपनी आलोचना का भाव ही ईमानदारी है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-47888443785629034882010-08-12T13:18:15.083+05:302010-08-12T13:18:15.083+05:30न लेना नाम ए क़ासिद फ़क़त इतना ही कह देना
जिन्हें त...न लेना नाम ए क़ासिद फ़क़त इतना ही कह देना<br />जिन्हें तुम भूल बैठे हो उन्हें हम याद करते हैं !<br /><br />संवेदना के स्वर !!<br />सहमत !!!<br /><br />समय हो तो अवश्य पढ़ें <br /><br />शमा-ए-हरम हो या दिया सोमनाथ का http://saajha-sarokaar.blogspot.com/2010/08/blog-post.htmlشہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-56290519211337669832010-08-12T13:12:24.897+05:302010-08-12T13:12:24.897+05:30सतीश जी ,
अगर आप से कभी ऐसा हुआ भी होगा तो आप...सतीश जी ,<br /> अगर आप से कभी ऐसा हुआ भी होगा तो आप की ये पश्चाताप की भावना उसे धो चुकी है<br />और अब उन की आंखों में आए आंसू आप को ग़लती दोहराने भी नहीं देंगे ,<br />आप सिर्फ़ एक बात के लिए इतने दुखी हैं यही बहुत बड़ी बात हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-28937200557055536612010-08-12T12:29:38.406+05:302010-08-12T12:29:38.406+05:30अक्सर मैंने इस बात पर सोचा है कि जब हम एक उंगली कि...अक्सर मैंने इस बात पर सोचा है कि जब हम एक उंगली किसी अन्य पर उठाते हैं तो तीन उंगलियां स्वयं पर उठती हैं .....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-83148125318401541502010-08-12T12:27:08.556+05:302010-08-12T12:27:08.556+05:30गुरुदेव… भगवान ने बहुत सोच समझ कर आँख चेहरा पर बना...गुरुदेव… भगवान ने बहुत सोच समझ कर आँख चेहरा पर बनाया है... आदमी एतना मक्कार जानवर है कि अगर उसको अपना आँख से अपना चेहरा नजर आने लगेगा त ऊ मक्कारी करते समय चेहरा पर मुस्कुराहट का नक़ाब लगा लेगा... आँख दरसल इसलिए चेहरा पर दिया गया है कि लोग दूसरे के आँख में अपने किए का प्रतिबिम्ब देख सके... काहे कि आप ऊ हैं जो दोसरा लोग समझता है, ऊ नहीं जो आप अपना बारे में समझते हैं कि आप हैं...किसी को क़त्ल करने जाइए तलवार उठाकर तो उसके चेहरे पर दया का भीख मांगने का भाव देखाई देगा..जेतना गहरा भाव होगा ओतने आपको अपना क्रूरता का एहसास होगा...अऊर कोनो जरूरत मंद का मदद करने पर उसका आँख में कृतज्ञता देखकर आपको दुनिया का सबसे बड़ा आनंद मिलेगा...<br />दुनिया का बड़ा से बड़ा ऐक्टर कोनो न कोनो टाइम पर आईना के सामने ऐक्टिंग करता रहा है..इसलिए कि अपने आप को खुद से अलग करके देख सके..चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-73029014266245709502010-08-12T11:49:46.063+05:302010-08-12T11:49:46.063+05:30आपने इस पर सोचा .....आज के दौर में यही बहुत बड़ी ब...आपने इस पर सोचा .....आज के दौर में यही बहुत बड़ी बात है !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com