tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post2303779568171177653..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: डूबती हिंदी बिचारी और हम बेबस खड़े - सतीश सक्सेना Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-70457159903375111862015-07-13T11:28:33.867+05:302015-07-13T11:28:33.867+05:30 बेधड़क अंदाज में गंभीर चिंतन प्रस्तुति हेतु आभार! ... बेधड़क अंदाज में गंभीर चिंतन प्रस्तुति हेतु आभार! कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-79953274739757044432015-07-10T21:16:32.026+05:302015-07-10T21:16:32.026+05:30सही विश्लेषण, सतीश जी,
भाषा और साहित्य में भी ठेके...सही विश्लेषण, सतीश जी,<br />भाषा और साहित्य में भी ठेकेदारी हो रही है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-56693754500946382202015-07-05T08:09:40.112+05:302015-07-05T08:09:40.112+05:30सटीक लेख सटीक लेख Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-56204099198107389022015-07-02T11:45:58.458+05:302015-07-02T11:45:58.458+05:30dil ko chu lene walidil ko chu lene waliKnowledge नुक्कड़https://www.blogger.com/profile/06915996106616783837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-27598527409998020212015-07-01T15:06:16.295+05:302015-07-01T15:06:16.295+05:30Bhasha k saath jab bhavna milti hai to rachna kuch...Bhasha k saath jab bhavna milti hai to rachna kuch eysi hi hoti hai... Kamaal ki post hai :]Kavita Prasadhttps://www.blogger.com/profile/15387681420571525202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64396564028584955102015-06-30T16:35:13.215+05:302015-06-30T16:35:13.215+05:30Bahut bahut achhi baatein...ekdam sahiBahut bahut achhi baatein...ekdam sahiabhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77974156164580406232015-06-29T12:11:51.519+05:302015-06-29T12:11:51.519+05:30बचपन से पढ़ती आई हूँ डूबते को तिनके का सहारा. अब त...बचपन से पढ़ती आई हूँ डूबते को तिनके का सहारा. अब तिनका ढूँढना ही पड़ेगा या बनना पडेगा <br />आभार रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-89042015723629458902015-06-29T11:24:32.769+05:302015-06-29T11:24:32.769+05:30 ईमानदारी से आपने सभी पहलुओं को उकेरा --सार्थक लेख... ईमानदारी से आपने सभी पहलुओं को उकेरा --सार्थक लेख। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08486476255134733859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-10847275114648558762015-06-29T10:20:35.608+05:302015-06-29T10:20:35.608+05:30आभार आपका !आभार आपका !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58904308621398168622015-06-29T10:01:01.193+05:302015-06-29T10:01:01.193+05:30विश्व प्रसिद्ध कवि, संगीतकार तानसेन जिनको कलाप्रिय...विश्व प्रसिद्ध कवि, संगीतकार तानसेन जिनको कलाप्रिय राजा अकबर का आश्रय प्राप्त था एक बार अकबर ने उनसे कहा कि वो उनके गुरु का संगीत सुनना चाहते हैं। गुरु हरिदास तो अकबर के दरबार में आ नहीं सकते थे। लिहाजा अकबर हरिदास का संगीत सुनने आए। हरिदास ने उन्हें कृष्ण भक्ति के कुछ भजन सुनाए थे। अकबर हरिदास से इतने प्रभावित हुए कि वापस जाकर उन्होंने तानसेन से अकेले में कहा कि आप तो अपने गुरु की तुलना में कहीं आस-पास भी नहीं है। फिर तानसेन ने जवाब दिया कि जहांपनाह हम इस ज़मीन के बादशाह के लिए गाते हैं और हमारे गुरु इस ब्रह्मांड के बादशाह के लिए गाते हैं तो फर्क तो होगा न।<br />आजकल हर क्षेत्र में हम भावनात्मक कम व्यावसायिक होकर ज्यादा सोचने लगे है शायद यह वक्त की मांग भी हो, कोई भी कला जब तक संपन्न न हो जाती तब तक विकसित भी नहीं हो सकती यह भी एक सच है ! कला को कोई स्वांतसुखाय बनाये या व्यावसायिक यह कलाकार की अपनी निजी पसंद है, लेकिन गुणवत्ता में जरूर अंतर आ जायेगा ! आज हम तानसेन से तो परिचित है लेकिन उनके गुरु को बहुत कम लोग जानते है !<br /><br />सटीक विश्लेषण किया है ! Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58980155510386541182015-06-28T13:31:12.665+05:302015-06-28T13:31:12.665+05:30सही भावना व्यक्त की है।
लेकिन आज के व्यावसायिक य...सही भावना व्यक्त की है। <br />लेकिन आज के व्यावसायिक युग में भावनाओं की कदर कम ही रह गई है। आखिर पैसे का ही बोलबाला है। डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-71794015857740965292015-06-28T12:07:40.744+05:302015-06-28T12:07:40.744+05:30हिंदी की दुर्दशा ही नहीं ... समाज की भी दुर्दशा हो...हिंदी की दुर्दशा ही नहीं ... समाज की भी दुर्दशा हो रही है ... और कारण सब का एक ही है ... हमारी धन अर्जित करने की पिपासा जिसके लिए कच भी करने को तैयार रहते हैं हम ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67171981421067717172015-06-28T09:11:25.077+05:302015-06-28T09:11:25.077+05:30सटीक एवं सार्थक सत्य लिखा है आपने सतीश जी, अनन्त श...सटीक एवं सार्थक सत्य लिखा है आपने सतीश जी, अनन्त शुभकामनाएं आपको अभिवृत अक्षांशhttp://www.hindisewasamiti.orgnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-37684829815648406732015-06-27T19:39:17.513+05:302015-06-27T19:39:17.513+05:30bahut achhi aur sachhi baat ki aapne...bahut achhi aur sachhi baat ki aapne...nayee duniahttps://www.blogger.com/profile/12166123843123960109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88080872002028829772015-06-27T19:33:12.580+05:302015-06-27T19:33:12.580+05:30थोड़ी सी हिम्मत चाहिये
थोड़ा सा लालच हटाइये
देखिये...थोड़ी सी हिम्मत चाहिये <br />थोड़ा सा लालच हटाइये <br />देखिये लिख कर उसके बाद <br />कलम का चलना खुद ही <br />कागज एक सामने से उसके <br />बस खाली ले कर आइये । <br /><br />आपको पढ़कर सूकून मिलता है कि अभी कहीं कुछ बचा है :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com