tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post3356579036773312379..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: हमने हाथ लगाकर देखा,ठंडक है, अंगारों में -सतीश सक्सेना Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger63125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77877869089695493032013-09-02T13:11:29.942+05:302013-09-02T13:11:29.942+05:30इन हालात में मन को तो उखड़ना ही है ....इन हालात में मन को तो उखड़ना ही है ....निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-82470164418906864902013-09-01T21:13:32.654+05:302013-09-01T21:13:32.654+05:30भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !
हमने ...भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !<br />हमने हाथ लगाकर देखा , ठंडक है , अंगारों में !<br /><br />दबी दबी सी ,कुछ चीखें,अब साफ़ सुनाई देतीं हैं !<br />प्रजातंत्र से भी आशा है, दम भी है, चीत्कारों में !<br /><br />ये चीखें एक तुमुलनाद में बदलें ।<br /><br />बढिया गज़ल ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-66012217626882254002013-09-01T00:51:22.608+05:302013-09-01T00:51:22.608+05:30
बहुत खूब बहुत खूब बहुत खूब और बहुत खूब। <br />बहुत खूब बहुत खूब बहुत खूब और बहुत खूब। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-91965802532570260302013-08-31T15:46:35.984+05:302013-08-31T15:46:35.984+05:30बार बार, जंतर मंतर पर, हमने जाकर,देख लिया !
अभी न ...बार बार, जंतर मंतर पर, हमने जाकर,देख लिया !<br />अभी न कोई गांधी निकला,अभिमानी हरकारों में !<br />बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .<br /><br /> राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-8557942114157578022013-08-31T11:23:31.821+05:302013-08-31T11:23:31.821+05:30हिम्मत अफजाई के लिए आभार मनोज भाई :) हिम्मत अफजाई के लिए आभार मनोज भाई :) Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31888899933509243902013-08-31T10:57:29.054+05:302013-08-31T10:57:29.054+05:30बार बार, जंतर मंतर पर, हमने जाकर,देख लिया !
अभी न ...बार बार, जंतर मंतर पर, हमने जाकर,देख लिया !<br />अभी न कोई गांधी निकला,अभिमानी हरकारों में !<br /><br />यह गज़ल हमें दुष्यंत कुमार की याद दिलाती है।<br />मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-84592944943057309992013-08-30T23:33:39.266+05:302013-08-30T23:33:39.266+05:30बेहद प्रभावशाली...बहुत ही खूबसूरत गीत !बेहद प्रभावशाली...बहुत ही खूबसूरत गीत !वसुन्धरा पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12807783136209273289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-21197546590850507252013-08-30T21:11:24.082+05:302013-08-30T21:11:24.082+05:30क्या बात है सर , बहुत अच्छे ।
सभी पंक्तियां बहुत ...क्या बात है सर , बहुत अच्छे । <br />सभी पंक्तियां बहुत ही कमाल बेमिसाल ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67168493051625396522013-08-30T20:56:47.844+05:302013-08-30T20:56:47.844+05:30भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !
हमने ...भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !<br />हमने हाथ लगाकर देखा , ठंडक है , अंगारों में !<br /><br />क्या बात...सुन्दर रचना rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-49129695590724535942013-08-30T14:49:13.245+05:302013-08-30T14:49:13.245+05:30बहुत ही सुन्दर रचना ।
बहुत ही सुन्दर रचना ।<br />इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-1542676871793248052013-08-30T14:48:58.949+05:302013-08-30T14:48:58.949+05:30बहुत ही सुन्दर रचना ।
बहुत ही सुन्दर रचना ।<br />इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33012459520621610862013-08-30T13:39:22.475+05:302013-08-30T13:39:22.475+05:30बहुत खूब..लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है..बहुत खूब..लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67364195354302873392013-08-30T12:53:44.545+05:302013-08-30T12:53:44.545+05:30
धन्यवाद भाई जी . दो तीन शब्द बदलने से निखार आ गय...<br /><br />धन्यवाद भाई जी . दो तीन शब्द बदलने से निखार आ गया है. <br />बधाई सुन्दर रचना के लिए . डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-71801412497656428662013-08-30T11:06:53.760+05:302013-08-30T11:06:53.760+05:30सही कर दिया है , बेख्याली पर आपने ध्यान तो दिया सा...सही कर दिया है , बेख्याली पर आपने ध्यान तो दिया साहब , आभार :) Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-60289669650952427072013-08-30T11:01:42.732+05:302013-08-30T11:01:42.732+05:30चीत्कारों में कब से दम होने लगा साहब, अगर जिसको वो...चीत्कारों में कब से दम होने लगा साहब, अगर जिसको वोट देना है उनमे से ही किसी से उम्मीद नहीं है तो फिर वोट देकर भी क्या हासिल हो जाएगा :)<br /><br />भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !<br />हमने हाथ (,) लगाकर देखा , ठंडक है , अंगारों में !<br /><br />दबी दबी सी ,कुछ चीखें,अब साफ़ सुनाई देतीं हैं !<br />प्रजातंत्र से भी( ,) आशा है, दम भी है, चीत्कारों में !<br /><br />(,) यहाँ अल्पविराम नहीं लगाना चाहिए शायद .<br /><br />लिखते रहिये !Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-76231984331470602082013-08-30T10:17:41.836+05:302013-08-30T10:17:41.836+05:30बहुत सुंदर कविता है ये नन्दन जी कीबहुत सुंदर कविता है ये नन्दन जी कीइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-66836417008361914512013-08-30T10:16:53.322+05:302013-08-30T10:16:53.322+05:30भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !
हमने ...भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !<br />हमने हाथ , लगाकर देखा , ठंडक है , अंगारों में !<br /><br />बार बार, जंतर मंतर पर, हमने जाकर,देख लिया !<br />अभी न कोई गांधी निकला,अभिमानी हरकारों में !<br /><br />बहुत ख़ूबसूरत और सार्थक ग़ज़ल है इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-45832912958069874782013-08-30T09:10:02.110+05:302013-08-30T09:10:02.110+05:30पारिवारिक छंद में लिखे इस गीत को बांचकर स्व.कन्हैय...पारिवारिक छंद में लिखे इस गीत को बांचकर स्व.कन्हैयालाल नंदन की यह कविता याद आ गयी:<br /><br /><b>अंगारे को तुमने छुआ<br /> और हाथ में फफोला नहीं हुआ<br /> इतनी-सी बात पर<br /> अंगारे पर तोहमत मत लगाओ<br /> <br />ज़रा तह तक जाओ<br /> आग भी कभी-कभी<br /> आपद्धर्म निभाती है<br /> और जलने वाले की क्षमता देखकर जलाती है<br /> <br />--- रचनाकार: कन्हैयालाल नंदन<br /> </b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-62570988295310892882013-08-30T09:08:43.923+05:302013-08-30T09:08:43.923+05:30यह पारिवारिक छंद में लिखे गये इस गीत को बांचकर स्व...यह पारिवारिक छंद में लिखे गये इस गीत को बांचकर स्व.कन्हैया लाल नंदन की यह कविता याद आ गई:<br /><br /><b>अंगारे को तुमने छुआ<br /> और हाथ में फफोला नहीं हुआ<br /> इतनी-सी बात पर<br /> अंगारे पर तोहमत मत लगाओ<br /> <br />ज़रा तह तक जाओ<br /> आग भी कभी-कभी<br /> आपद्धर्म निभाती है<br /> और जलने वाले की क्षमता देखकर जलाती है<br /> <br />--- रचनाकार: कन्हैयालाल नंदन</b><br /> अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-10732741318113733772013-08-30T08:44:54.283+05:302013-08-30T08:44:54.283+05:30बहुत बढिया।बहुत बढिया।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-65570706093654690142013-08-30T08:30:35.574+05:302013-08-30T08:30:35.574+05:30दबी दबी सी ,कुछ चीखें,अब साफ़ सुनाई देतीं हैं !
प्...दबी दबी सी ,कुछ चीखें,अब साफ़ सुनाई देतीं हैं !<br />प्रजातंत्र से भी, आशा है, दम भी है, चीत्कारों में !<br />- दबी चीत्कारें ही सिंहनाद बन जाती हैं - अब इसी की प्रतीक्षा है!प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-33708573090660973072013-08-30T07:34:24.246+05:302013-08-30T07:34:24.246+05:30भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !
हमने ...भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !<br />हमने हाथ , लगाकर देखा , ठंडक है , अंगारों में !<br />सुन्दर प्रस्तुति !कौशल लालhttps://www.blogger.com/profile/04966246244750355871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-61594371235272823822013-08-29T23:46:20.772+05:302013-08-29T23:46:20.772+05:30भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !
हमने ...भ्रष्टाचार मिटाने आये , आग सभी ने, उगली है !<br />हमने हाथ , लगाकर देखा , ठंडक है , अंगारों में !<br /><br />इसीलिए अब किसी की भी सरकार हो कोई उम्मीद लगानी बेकार है । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-50909020378848963252013-08-29T22:51:38.661+05:302013-08-29T22:51:38.661+05:30 बहुत शानदार प्रस्तुति, अपने समय का सच्चा हाल, आज ... बहुत शानदार प्रस्तुति, अपने समय का सच्चा हाल, आज का दिन एक थ्री स्टार होटल में गुजरा, वहाँ बड़े ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं के बीच थोड़ा समय गुजरा, जो मन में सोचा, देखा कि सारे भाव आपकी कविता में उतर गये हैं।sourabh sharmahttps://www.blogger.com/profile/11437187263808603551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-66411956356483591462013-08-29T22:48:56.630+05:302013-08-29T22:48:56.630+05:30waah prasangik geet ...waah prasangik geet ...Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.com