tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post3448655188416534197..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: एक पिता का ख़त पुत्री के नाम ! (पांचवां भाग)Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-89817971082606479432021-02-01T23:12:31.137+05:302021-02-01T23:12:31.137+05:30मधुरभाषिणी बनो लाड़िली,
चहुँदिशि विजय तुम्हारी होगी...मधुरभाषिणी बनो लाड़िली,<br />चहुँदिशि विजय तुम्हारी होगी !<br />पहल करोगी अगर नंदिनी , <br />घर की रानी, तुम्ही रहोगी !<br />यूँ तो ये सीख बिटिया को माँ दिया करती है पर पिता के इन स्नेहिल उद्गारों में छिपी इस सीख का मोल कई गुना बढ़ गया है। लाजवाब रचना सतीश जी। आपकी ये रचना हर बेटी के लिए बहुत बड़ा उपहार है। हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-1280291524514200812008-10-06T21:29:00.000+05:302008-10-06T21:29:00.000+05:30घर में मंगल गान गूंजता,यदि जिव्हा पर मृदुता रहतीदो...घर में मंगल गान गूंजता,<BR/>यदि जिव्हा पर मृदुता रहती<BR/>दो मीठे बोलों से बेटी !,<BR/>घर भर में दीवाली होती<BR/>उस घर खुशियाँ रास रचाएं ! कष्ट निवारक तुम्ही लगोगी !<BR/>पहल करोगी अगर नंदिनी ! घर की रानी तुम्ही रहोगी !<BR/><BR/>"Kabir ne bhi kaha hai "Mithi bani boliye " do mithe bolo se beti" suchmuch aap ki poem me jaan hoti hai,aur yadi betiya aap ki bat samjh jaye to phir dhar ki rani hi bankar rahegi"<BR/>Really i love ur fellings and expression...<BR/>http://dev-poetry.blogspot.com/Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-5611213778884747062008-09-15T08:45:00.000+05:302008-09-15T08:45:00.000+05:30घर में मंगल गान गूंजता,यदि जिव्हा पर मृदुता रहतीदो...<B>घर में मंगल गान गूंजता,<BR/>यदि जिव्हा पर मृदुता रहती<BR/>दो मीठे बोलों से बेटी !,<BR/>घर भर में दीवाली होती</B><BR/>मीठे बोलों का कोई मुकाबला नही है !Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-4335995688757065912008-09-13T18:59:00.000+05:302008-09-13T18:59:00.000+05:30मधुरता नर और नारी दोनो के लिये उपयोगी है किन्तु ध्...मधुरता नर और नारी दोनो के लिये उपयोगी है किन्तु ध्यान रखना होगा, मधुरता के प्रयास में सत्य की उपेक्षा न हो. क्योंकि सत्य कडुवा होता है और सत्य समाज के लिये साधना का विषय है.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-69605704425692961712008-09-13T18:57:00.000+05:302008-09-13T18:57:00.000+05:30मधुरता नर और नारी दोनो के लिये उपयोगी है किन्तु ध्...मधुरता नर और नारी दोनो के लिये उपयोगी है किन्तु ध्यान रखना होगा, मधुरता के प्रयास में सत्य की उपेक्षा न हो. क्योंकि सत्य कडुवा होता है और सत्य समाज के लिये साधना का विषय है.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-37812456670350482602008-09-13T12:10:00.000+05:302008-09-13T12:10:00.000+05:30अधिक बोलने वाली नारीकहीं नही सम्मानित होतीअन्यों क...अधिक बोलने वाली नारी<BR/>कहीं नही सम्मानित होती<BR/>अन्यों को अपमानित करके<BR/>वह गर्वीली खुश होती है,<BR/>सारी नारी जाति कलंकित, इनकी उपमा नहीं मिलेगी !<BR/>पहल करोगी अगर नंदिनी ! घर की रानी तुम्ही रहोगी !<BR/>बहुत खूब सतीश जी, काफी दिनों बाद आई, माफ़ी चाहूंगी..मन खुश हो गया....ऐसे ही लिखते रहेंrakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-28888226675334406372008-09-13T11:59:00.000+05:302008-09-13T11:59:00.000+05:30.लिखते रहो... लिखते ही रहो...अच्छा लगता है !क्या ख....<BR/><BR/><I>लिखते रहो... लिखते ही रहो...<BR/>अच्छा लगता है !<BR/>क्या खूब लिखते हो.. कितना सुंदर लिखते हो..<BR/><BR/>सच्ची में.. </I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-17931019700357486302008-09-08T12:53:00.000+05:302008-09-08T12:53:00.000+05:30घर में मंगल गान गूंजता,यदि जिव्हा पर मृदुता रहतीदो...घर में मंगल गान गूंजता,<BR/>यदि जिव्हा पर मृदुता रहती<BR/>दो मीठे बोलों से बेटी !,<BR/>घर भर में दीवाली होती<BR/><BR/>सतीश जी आपने एक अच्छी श्रृंखला चलाई हुई है. इस के लिए आप बधाई के पात्र हैं.<BR/>काश हर बेटी को ऐसा बाप मिले, हर परिवार को ऐसी बहू.ज़ाकिर हुसैनhttps://www.blogger.com/profile/14153966464681275532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-15654779408278050622008-09-07T19:38:00.000+05:302008-09-07T19:38:00.000+05:30सतीश जी ,आप पिता है,पितृसत्ता के प्रतिनिधि भी हैं।...सतीश जी ,<BR/>आप पिता है,पितृसत्ता के प्रतिनिधि भी हैं।लेकिन परिवार को एक टीम के बतौर देखने और सोचने की अब बहुत ज़रूरत है न कि एक सदस्य को घर की धुरी बना देने की ।इस तरह की व्यवस्था हमेशा कहीं न कहींअन्याय की पोषक होती है।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57136773440199170192008-09-07T00:40:00.000+05:302008-09-07T00:40:00.000+05:30मधुर-वचन से किसे इनकार हो सकता है भला.कविता में सं...मधुर-वचन से किसे इनकार हो सकता है भला.<BR/>कविता में संस्कार बोलता है .और समग्रता में अपनी बात रखता है, यहाँ खाली-पीली शब्दों की जुगाली नहीं है,संस्कृति की आंच में पके शब्द हैं, और यही शब्द अपने अर्थों में मधुर होते हैं.<BR/>धर्म से लेकर बाज़ार तक. घर से लेकर बाहर तक मीठे बोल सराहे जाते हैं.<BR/>सतीश जी तबियत प्रसन्न हो गयी.شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-55342190251491634712008-09-06T23:49:00.000+05:302008-09-06T23:49:00.000+05:30sateesh ji itni sundar rachna ke liye bahut bahut ...sateesh ji itni sundar rachna ke liye bahut bahut badhaai.Abhivyaktihttps://www.blogger.com/profile/10948218408560104884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-4623260162856831642008-09-06T23:14:00.000+05:302008-09-06T23:14:00.000+05:30घर में मंगल गान गूंजता,यदि जिव्हा पर मृदुता रहतीदो...घर में मंगल गान गूंजता,<BR/>यदि जिव्हा पर मृदुता रहती<BR/>दो मीठे बोलों से बेटी !,<BR/>घर भर में दीवाली होती<BR/>सुंदर कविता के लिए आपको बधाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-1094226940295467352008-09-06T21:40:00.000+05:302008-09-06T21:40:00.000+05:30पूर्णतः सहमत-आपसे भी और पांडे जी से भी.-----------...पूर्णतः सहमत-आपसे भी और पांडे जी से भी.<BR/><BR/>-------------------<BR/><BR/><BR/><B>निवेदन</B><BR/><BR/>आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है. <BR/><BR/><B>ऐसा ही सब चाहते हैं.</B><BR/><BR/>कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.<BR/><BR/>हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए <B>यह कदम अति महत्वपूर्ण है,</B> इसमें अपना भरसक योगदान करें.<BR/><BR/>-समीर लाल<BR/>-<A HREF="http://udantashtari.blogspot.com/" REL="nofollow">उड़न तश्तरी</A>Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53451634792133500482008-09-06T20:20:00.000+05:302008-09-06T20:20:00.000+05:30सतीश सक्सेना जी आज आप की कविता मेने कई बार पढी, जि...सतीश सक्सेना जी आज आप की कविता मेने कई बार पढी, जिस बेटी का बाप इअतनी अच्छी शिक्षा अपनी बेटी को देगा तो ऎसी बेटी कितने गुणो वाली हो गी , बहुत ही अच्छी ओर सच्ची बात कही हे, जो नारी मिठ्ठे बोल बोलती हे वह अपने घर मे क्या पुरे खान दान पर राज करती हे, कटू वचन नारी तो क्या नर भी बोले तो ....<BR/>फ़िर हमारे पंजाबी मे एक कहावत हे...<BR/> जिस का अन्वाद मे यहां हिन्दी मे कर रहा हू...<BR/>यही जुबान जुते पडवाये, ओर यही जुबान प्यार करवाये,इज्जत करवाये.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53531366455628007612008-09-06T20:10:00.000+05:302008-09-06T20:10:00.000+05:30पांडे जी की बात से सहमत हूँ सतीश जी....पांडे जी की बात से सहमत हूँ सतीश जी....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-564934738987678172008-09-06T12:29:00.000+05:302008-09-06T12:29:00.000+05:30घर में मंगल गान गूंजता,यदि जिव्हा पर मृदुता रहतीदो...घर में मंगल गान गूंजता,<BR/>यदि जिव्हा पर मृदुता रहती<BR/>दो मीठे बोलों से बेटी !,<BR/>घर भर में दीवाली होती<BR/><BR/>बहुत सुंदर रचना ! आपकी रचना पढ़कर <BR/>अति आनंद हुवा ! धन्यवाद !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-59628375788883235162008-09-06T12:14:00.000+05:302008-09-06T12:14:00.000+05:30प्रिय/मधुर बोलने का तो कोई काट है ही नहीं।प्रिय/मधुर बोलने का तो कोई काट है ही नहीं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-59483982129453623562008-09-06T12:08:00.000+05:302008-09-06T12:08:00.000+05:30अधिक बोलने वाली नारीकहीं नही सम्मानित होतीअन्यों क...अधिक बोलने वाली नारी<BR/>कहीं नही सम्मानित होती<BR/>अन्यों को अपमानित करके<BR/>वह गर्वीली खुश होती है,<BR/>" very touching and inspiring creations of yours, each word has a deep meaning.... and the above four line are real essence of the poetry which i liked most, very well described"<BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-66938877090604320942008-09-06T11:26:00.000+05:302008-09-06T11:26:00.000+05:30Pahal karogi agar nandini, ghar ki rani tumhi raho...Pahal karogi agar nandini, ghar ki rani tumhi rahogi. achhi panktiyan. ek achhi rachana.श्रीकांत पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/02488429636132949216noreply@blogger.com