tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post6327135455040499039..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: क्या इस टिप्पणी को हम कुछ समय याद रख पायेंगे ?? - सतीश सक्सेनाSatish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-20825802736547878032010-06-15T11:04:22.438+05:302010-06-15T11:04:22.438+05:30@ गिरिजेश राव ,
आपको पढना एक सुकून देता है ...काश ...@ गिरिजेश राव ,<br />आपको पढना एक सुकून देता है ...काश कुछ गिरिजेश राव ओर मिल जाएँ ! हार्दिक शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-16126150440758188002010-06-15T07:02:43.105+05:302010-06-15T07:02:43.105+05:30अभी पूरी तरह से निराश नहीं होना चाहिए। 1000 साल की...अभी पूरी तरह से निराश नहीं होना चाहिए। 1000 साल की गुलामी से आजाद हुआ है देश। उसे कुछ समय तो दीजिए। हर युवा तैयार है।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-65309959502375547702010-06-14T23:18:42.658+05:302010-06-14T23:18:42.658+05:30विचारणीय पोस्ट एक दूसरे को कुछ कहने और देश को गरिय...विचारणीय पोस्ट एक दूसरे को कुछ कहने और देश को गरियाने से बेहतर तो शायद ये होगा की हम अभी से प्राण करें की कम से कम हम ब्लोगर अपने स्तर पर अपने आस पास स्वच्छता और सफाई का ध्यान रखें और इमानदारी बरतेंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88091289441622551082010-06-14T22:52:48.254+05:302010-06-14T22:52:48.254+05:30इतनी बहस हो गई और हमें पता ही नहीं :)अच्छी चर्चा ह...इतनी बहस हो गई और हमें पता ही नहीं :)अच्छी चर्चा हुई। <br />सतीश जी , आभार स्वीकारें।<br /> इसलिए कि आक्रोश को कुछ और तंतुओं पर आघात करने के लिए फैला दिए <br />और इसलिए भी कि एक साथी ब्लॉगर की टिप्पणी को इतना मान दिए। अभिभूत हूँ।<br />गहन निराशा के क्षणों में विवेकानन्द वाणी मुझे सुकून देती है:<br />"सेतुबन्ध की गिलहरी बनो।" <br />लेकिन जब मैं चीन, कोरिया वगैरह से भारत की तुलना करता हूँ तो पाता हूँ कि वे मैराथन दौड़ में जुटे हैं और हम मार्निंग वाक में। मन कसैला हो जाता है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-39956788963403055002010-06-14T22:41:33.358+05:302010-06-14T22:41:33.358+05:30इस का एक कारण ज़िम्मेदारी से बचना भी है. अपने दुखो...इस का एक कारण ज़िम्मेदारी से बचना भी है. अपने दुखो के लिए हमेशा सरकार को दोष देते रहना, और हर बात के लिए सरकार का मुँह ताकना,<br />कभी हम भी तो खुद कुछ करके दिखाए,DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-38569572587113774802010-06-14T20:06:11.332+05:302010-06-14T20:06:11.332+05:30विचारणीय टिप्पणी पर सार्थक लेख
मेरा व्यक्तिगत मत ...विचारणीय टिप्पणी पर सार्थक लेख<br /><br />मेरा व्यक्तिगत मत रहा है कि प्रत्येक क्षेत्र में कानून का पालन सुनिश्चित हो जाए तो बहुतेरी समस्याओं से निज़ात मिलेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-80757112864466328612010-06-14T19:53:20.739+05:302010-06-14T19:53:20.739+05:30सर जी!
देश में भयावह असमानतायें हैं, अपने अपने इंड...सर जी!<br />देश में भयावह असमानतायें हैं, अपने अपने इंडिया से किसी भी दिशा में कुछ कोस दूर चलें जायें और हमको भारत मिल जायेगा...ये सफाई, कचरा, भ्रश्टाचार..आदि इंडिया की समस्यायें हैं... भारत तो चकाचौधं से भरी इंडिया की आर्थिक प्रगति को तक भर रहा है! <br />राष्ट एक बड़े परिवार का नाम है और परिवार में हर सदस्य का मान होता है हिस्सा होता है...देश का एक बड़ा हिस्सा जब बीस रुपये रोज़ पर ज़िन्दा हो (अर्जुन सेन गुप्ता कमेटी रिपोर्ट) तो यह सब बातें मूल्य नहीं रखतीं. सारी व्यव्स्था शोषण पर आधारित है.......हुक्मरान, अपने राजे महाराजे वाले के खोल से बाहर नहीं आ पा रहे हैं....प्रतिभा को हम सम्मान नहीं देते और जात-पात, धर्म और क्षेत्रों में बांटकर अपना ही सत्यनाश कर रहें हैं हम.सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53216344770815112992010-06-14T19:46:22.182+05:302010-06-14T19:46:22.182+05:30इस का एक कारण ज़िम्मेदारी से बचना भी है. अपने दुखो...इस का एक कारण ज़िम्मेदारी से बचना भी है. अपने दुखो के लिए हमेशा सरकार को दोष देते रहना, और हर बात के लिए सरकार का मुँह ताकना,<br />कभी हम भी तो खुद कुछ करके दिखाए, सड़को और पब्लिक प्लेस पर गंदगी ना हो या कम से कम मुझ से तो ना हो...<br />इतना तो कर ही सकते हैं.सहसपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/09067316996435869621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-81457636838940397602010-06-14T19:11:17.313+05:302010-06-14T19:11:17.313+05:30गिरिजेश जी तो हमेशा से ही देश, समाज की स्थिति से स...गिरिजेश जी तो हमेशा से ही देश, समाज की स्थिति से संबंधित प्रश्न उठाते रहे हैं। उनके जैसी दस प्रतिशत सोच भी अगर हम लोगों के पास हो जाये तो यहां का नक्शा ही बदल जाये।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-64210647633346400692010-06-14T18:41:13.674+05:302010-06-14T18:41:13.674+05:30Aabadee........sabse aham choot gaya tha .........Aabadee........sabse aham choot gaya tha ......ye sare A control me rahana aavshyk hai.....Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-91670619158161998482010-06-14T16:46:29.586+05:302010-06-14T16:46:29.586+05:30ashiksha.......
agyanta.......
.arajakata...
aacha...ashiksha.......<br />agyanta.......<br />.arajakata...<br />aacharan.....<br />atyachar.....<br />ahankar...... sabhee par kaboo pana hoga...... <br />Nakaratmak ravaiya kisee nishkarsh par nahee pahuchaega...............<br />Aisa mera sochana hai...........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-8171453279135451342010-06-14T16:37:41.351+05:302010-06-14T16:37:41.351+05:30अनुशासन देश को महान बनाता है... अगर ये सूत्र है तो...अनुशासन देश को महान बनाता है... अगर ये सूत्र है तो हमने अपने देश को स्वानुशासन के अभाव में नरक ही बनाया है.<br /><br />जिस तरह स्कूल में कड़े नियम क़ानून का अनुसरण करते हैं वैसे ही भाव आम सार्वजनिक जीवन में लाने के लिए कठोर नियम तो होने ही चाहिए.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-74193643950603800142010-06-14T15:45:54.293+05:302010-06-14T15:45:54.293+05:30बुरा न माने पिछले साठ सालों में अधिकतर कांग्रेस का...बुरा न माने पिछले साठ सालों में अधिकतर कांग्रेस का शासन रहा है....<br />क्या मिला है हमें इस शासन से<br />लगभग यही सब. नहीं.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-91458043086867959912010-06-14T15:01:49.136+05:302010-06-14T15:01:49.136+05:30आप बेवजह परेशान सी क्यों हैं मादाम!
लोग कहते हैं त...आप बेवजह परेशान सी क्यों हैं मादाम!<br />लोग कहते हैं तो फिर ठीक ही कहते होंगे<br />मेरे अहबाब ने तहज़ीब न सीखी होगी <br />मैं जहां हूं वहां इन्सान न रहते होंगे<br />……………………………………………………………<br />………………………………………………………………<br /> साहिरDr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-86404862797139309812010-06-14T12:16:00.056+05:302010-06-14T12:16:00.056+05:30विचारणीय बात है , जिस नजर से दुनिया को देखते हैं द...विचारणीय बात है , जिस नजर से दुनिया को देखते हैं दुनिया वैसी ही नजर आती है , यही तो संवेदना है और यही वेदना भी है , हमें अपने अपने तरीके से अपने दायरे में जो कुछ भी संभव हो , करते चलना चाहिए । मैं ये नहीं कह रही कि ऐसा नहीं है , ऐसा ही है पर इसके पीछे के कारण भी देख पायें फिर उपाय सोचें । कविता ने बरबस ध्यान अपनी तरफ खींचा ।शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-88477119648059331112010-06-14T11:36:40.255+05:302010-06-14T11:36:40.255+05:30"कर वमन गरल जीवन भर का"
गिरिजेश जी ने चर..."कर वमन गरल जीवन भर का"<br />गिरिजेश जी ने चरित्रार्थ कर दिया । वाह ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-39577833795324471772010-06-14T11:03:36.587+05:302010-06-14T11:03:36.587+05:30इतनी भी क्या बेबसी...अपना अपना कर्म इमानदारी से कर...इतनी भी क्या बेबसी...अपना अपना कर्म इमानदारी से करना ज़रूरी है बस..फल की चिंता के बिना..Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-69309289002530135262010-06-14T10:53:36.124+05:302010-06-14T10:53:36.124+05:30गिरिजेश जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारम...गिरिजेश जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारमग्न होने के लिए विविश कर दिया है. उन्हें साधुवाद.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-12493053828960972312010-06-14T10:01:23.075+05:302010-06-14T10:01:23.075+05:30sundar...sundar...sanu shuklahttps://www.blogger.com/profile/18043545346226529947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-81399390149582395452010-06-14T10:00:02.056+05:302010-06-14T10:00:02.056+05:30विचारणीय पोस्टविचारणीय पोस्टसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-81802484613028061252010-06-14T09:25:14.025+05:302010-06-14T09:25:14.025+05:30प्रासंगिक पोस्ट है...प्रासंगिक पोस्ट है...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-45166360698396015522010-06-14T09:21:19.566+05:302010-06-14T09:21:19.566+05:30हर पर्व त्यौहार पर घर आंगन , गलियों को साफ सुथरा ...हर पर्व त्यौहार पर घर आंगन , गलियों को साफ सुथरा करने और स्नान दान की परंपरा थी यहां .. हमारी संस्कृति याद रखने योग्य तो है ही .. विदेशी शासन काल में पराधीन बने रहने की जो घुटृटी पिला दी गयी है .. उसका असर स्वतंत्र होने के बाद भी नहीं समाप्त हो रहा है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-31243349434660033672010-06-14T09:19:52.637+05:302010-06-14T09:19:52.637+05:30जहां पांव में पायल,
हाथ में कंगन,
और माथे पर बिंदि...जहां पांव में पायल,<br />हाथ में कंगन,<br />और माथे पर बिंदिया,<br />इट्स हैप्पन ओनली इन इंडिया...<br /><br />पश्चिमी देशों में लिटरेसी रेट क्या है...और अपने भारत में...<br /><br />पहले भारत के एजुकेशन सिस्टम को ठीक कर लीजिए...सिविल सेंस लोगों में अपने आप आ जाएगा...उसके लिए अभी शुरुआत करेंगे तो असर दस-बीस साल बाद नज़र आएगा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-85725358402186506762010-06-14T09:12:55.673+05:302010-06-14T09:12:55.673+05:30अब जब आप निगेटिव सोचने पर ही आमादा हैं तो कोई क्या...अब जब आप निगेटिव सोचने पर ही आमादा हैं तो कोई क्या करेगा..... ? इंसान को निगेटिव में भी पोजिटिव ही देखना चाहिए... गिरिजेश जी ने सच्चाई तो लिखी है.... जिसको नकारा नहीं जा सकता.....लेकिन आज भी कहीं तो कुछ अच्छा है.... जो भारत को ठीक -ठाक चला रही है.....देखिये...चेंज हमेशा धीरे धीरे होता है.... ग्रैजुयली.... और ज़रा पिछले सालों की ओर देखिये ..... तो हमेशा से अच्छा ही हुआ है.... बात सिर्फ डिसिप्लीन की है.... हमें पहले खुद को डिसिप्लीन करना होगा.... उसके बाद ही व्यवस्थाओं पर चोट करनी होगी..... बात यह भी है की हम लोग यहाँ ब्लॉग पर लम्बी-चौड़ी आदर्शों की फेंकते रहते हैं.... जबकि हम खुद ही सही नहीं हैं.... यहाँ ब्लॉग पर तो लोग ऐसी ऐसी बातें करते हैं.... की ....भगवान् राम भी उनके आदर्श सुनकर .... उन्हें ही भगवान् मान बैठें.... जबकि प्रैक्टिकल कुछ और है......इमप्रैक्टिकल राव साहब ने लिखा है..... पर जिसे प्रैक्टिकल हम लोगों (समाज) ने किया है..... राव साहब ने जो भी लिखा है.... सही लिखा है.... गोमतीनगर जैसी पॉश कालोनी में रहकर इतने अच्छे से ओब्ज़र्व करना सिस्टम को ..... अपने आप में कमेंडीयेबल है.....मह्फ़ूज़ अलीhttp://www.lekhnee.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-85441557273500127332010-06-14T08:57:57.684+05:302010-06-14T08:57:57.684+05:30सतीश जी ,नमस्कार ,
ये सही है कि हमें हर वो चीज़ अ...सतीश जी ,नमस्कार ,<br /> ये सही है कि हमें हर वो चीज़ अपना लेनी चाहिये जो हमें तरक़्क़ी की और अच्छाई की तरफ़ ले जाए ,ये सोचे बिना कि ये गुण किस देश या किस व्यक्ति से संबंध रखता है लेकिन अपने देश की अच्छाइयां <br />हमारी नज़रों से ओझल क्यों हो जाती हैं ?सड़क पर कचरा फैलाना बहुत ग़लत है लेकिन क्या विचारों की शुद्धता ,संबंधों की प्रगाढ़ता ,मित्रता के सच्चे अर्थों का निर्वहन ,पति पत्नी का अटूट रिशता अधिक महत्वपूर्ण नहीं ?<br />हमारी भावनाएं सच्ची हैं ,विचार परिष्कृत हैं बस थोड़े civic sense की ज़रूरत है जिसके लिये नई पीढ़ी जागृत हो रही है .इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.com