tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post8802931798757353964..comments2024-03-27T14:44:27.129+05:30Comments on मेरे गीत !: बुरे हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का - सतीश सक्सेना Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger55125tag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-69102109380121120522015-06-16T06:34:19.789+05:302015-06-16T06:34:19.789+05:30आपका यह रप्रयास सराहनीय है। काश की सरकार का ध्यान ...आपका यह रप्रयास सराहनीय है। काश की सरकार का ध्यान इन अन्नदाताओं की और भी जाये।<br />शोणित का पानी कर किसान अन्नों को है पैदा करते,<br />वे पालन करते सब जग का , हा! कष्ट अनेकों वे सहते।<br />ये बचपन की पढी कविता सहसा याद आ गई।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-53859151526824780422015-05-04T15:37:40.684+05:302015-05-04T15:37:40.684+05:30 नमस्कार
हम आनंद ही आनंद और भारत पद यात्रा टीम ... नमस्कार <br /><br />हम आनंद ही आनंद और भारत पद यात्रा टीम की तरफ से आप सब का अभिवादन करते हैं, आप सबके सहयोग से यह यात्रा और किसानों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को समाज के बीच जन जाग्रति फैलाकर एक संघटित तौर पर कुछ करने के प्रयास में चलती रहेगी। <br /><br /><br />आनंद ही आनंद <br />भारत पद यात्रा Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14870230359584821911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-54255376110046151742015-05-02T09:56:16.058+05:302015-05-02T09:56:16.058+05:30आलेख के हर बिंदु से सहमत। वहां के किसानों के Life...आलेख के हर बिंदु से सहमत। वहां के किसानों के Life Style में क्या ऐसा परिवर्तन दिखा जो उन्हें देश के अन्य कृषकों से अलग पहचान देता हो. विवेक जी को नमन आपको तो हैइहै. P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-21937941857577828072015-05-01T15:00:40.319+05:302015-05-01T15:00:40.319+05:30बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य के लिए कदम बढ़ाया है आपने...बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य के लिए कदम बढ़ाया है आपने।<br />हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं ।Malhotra vimmihttps://www.blogger.com/profile/09396958735846040776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-2665767288822572015-04-25T23:04:03.365+05:302015-04-25T23:04:03.365+05:30सार्थक पहल- साधुवाद!! ऐसे अनेकों प्रयास हों बस यह...सार्थक पहल- साधुवाद!! ऐसे अनेकों प्रयास हों बस यही दरकार है....Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-89655802045437003892015-04-25T20:45:58.442+05:302015-04-25T20:45:58.442+05:30विवेक जी की मुहिम को हमारा समर्थन है साथ में भागीद...विवेक जी की मुहिम को हमारा समर्थन है साथ में भागीदारी भी ...PAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-72624280820777533982015-04-25T20:45:06.777+05:302015-04-25T20:45:06.777+05:30हर एक व्यक्ति के अन्दर एक गाँव होता है । गाँव कोई ...हर एक व्यक्ति के अन्दर एक गाँव होता है । गाँव कोई स्थान विशेष संज्ञा न होकर एक गुणवाचक शब्द है, जिसके अर्थ विस्तृतता में निहित हैं।.गाँव की मर्यादा क्षितिज के सरीखे होती है, जितने उसके पास आओ उतना ही उसका विस्तार होता जाता है और इस विस्तृतता में रस है, शहद के गंध में भीगी हवायें हैं,जल से भरे बादल हैं, ऊर्जा से भरी धूप है, उमंगयुक्त गीत है,नेह है,सम्बंध है,संरक्षण है और जीवन है।<br /><br />सारा गाँव, सारे खेत कियारी, सारे बाग़, सारे ताल, घर, दुआर, गोरू, बछरू, चकरोट, कोलिया, पुलिया, सड़क, सेंवार, बबुराही, बँसवारी, परती, नहरा, नाली, बरहा, नार, मोट, लिजुरी, बरारी, इनारा, खटिया, मचिया, लाठी, डंडा, उपरी, कंडा और बचपन जिसे छोड़कर हम शहर चले आए कि बड़ा आदमी बन जायेंगे, बड़ा आदमी बने कि नही बने ये तो नही पता लेकिन किरायेदार जरुर बन गये । शहर के किरायेदार । रहने खाने का किराया, पानी का किराया, टट्टी-पेशाब का किराया, सडक पर चलने का किराया, किराए के कपड़े, किराए के ओहदे, किराए के रिश्ते, किराये का हँसना, रोना, गाना, बजाना और किराये की जिन्दगी।<br /><br />किरायेदारी के अनुबंध की शर्ते हमेशा मालिक और गुलाम का निर्माण करती हैं। चाहे रूप और नाम कुछ भी हों पर प्रकृति घोर सामंती ही है। गाँव से निकली गंगा शहरी सीवर में कब बदल जाती है और सीवर पर किराया कब लग जाता है इस पर शोध करने लायक मेरे पास किराया नही है। फिर भी जिन चीजों से अब तक रूबरू हुआ, महसूस किया, जाना समझा उसके आधार पर एक ही निष्कर्ष पर पहुंचता हूँ कि विरासत को बाज़ार का अजगर निगले जा रहा है। बाज़ार हर किसी को किरायेदार बना देना चाहता है । बाज़ार हर आदमी में शहर बो रहा है । शहर आदमी के अन्दर के गाँव को अपनी कुंडली में लपेट कर उसका दम घोंटने पर उतारू है। यह प्रक्रिया छुतहे रोग की तरह फैलता जा रही, और सारे लोगों को शहरातू रोगी बनाने पर तुली है। बड़े शातिर अंदाज में बाजार और शहर मिलकर गाँव को समेटने के कुचक्र में लगे हैं। पहले बाजारू लासा लगाओ फिर किरायेदार बनाओ और अंत में शहरातू बना कर गाँव से जड़े काट दो। आदमी सूख जाएगा। फिर बाज़ार उसे जलने के लिए शहर की मंडी में सजा देगा।<br /><br /><br />समस्या का मूल कारण लासा ही है इसी लासा के चलते सारे कबूतर बहेलिये के जाल में फंस गये थे। इसी लासा के चलते धर्मराज अपनी पत्नी को जुए में हार गये थे यही लासा जाने कितने पतंगों को आग में जला डालती है। यही लासा बाजार है यही बाजार शहर है। लासा खींचती है, समेटती है, मारती है । अगर जीवन को तुरंत के तुरंत समाप्त करना है तो लासा लगा लो लेकिन अगर जीवन का विस्तार करना है तो अपने अन्दर के गाँव को टटोलो उसे झाड़ पोंछ कर साफ़ करो, खर पतवारों की निराई कर उसे गीतों से सींचो फिर देखो जो फसल लहलहाएगी कि आप बाजारू दरिद्र से दानवीर कर्ण बन जायेंगे गाँव का ज़िंदा रहना आपके ज़िंदा होने का सबूत है। क्या आप ज़िंदा हैं?<br />PAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-77982745171984216562015-04-25T09:53:36.851+05:302015-04-25T09:53:36.851+05:30सतीश भाई, आपको और विवेकजी को साधुवाद जो तपती दोपहर...सतीश भाई, आपको और विवेकजी को साधुवाद जो तपती दोपहरी में हाल में पैदल यात्रा कर महाराष्ट्र के यवतमाल में किसानों की दुर्दशा देख कर आए हैं। डिजिटल इंडिया के सब्ज़बाग दिल्ली के एयरकंडीशन्ड कमरों में बैैठ कर कितने भी दिखाएंं जाएं लेकिन जब तक किसान रूपी भारत का कल्याण नहीं होगा, हमारा देश कभी विकसित नहीं बन पाएगा। हां, कॉरपोरेट ज़रूर भारत का ख़ून चूस चूस कर अपनी तिजौरियां भरते जाएंगे। लेकिन उन्हें भी कर्मों का हिसाब तो देना ही पड़ेगा, यहां नहीं तो ऊपर वाले की अदालत में ही सही।<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-6424419258337513622015-04-25T08:43:57.554+05:302015-04-25T08:43:57.554+05:30स्वागत है आपका ....... स्वागत है आपका ....... Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-13237495017550078542015-04-25T08:43:12.395+05:302015-04-25T08:43:12.395+05:30बेहतरीन विश्लेषण किया है आपने , आभार आपका !बेहतरीन विश्लेषण किया है आपने , आभार आपका !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-56139617606363255612015-04-24T23:46:13.872+05:302015-04-24T23:46:13.872+05:30बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं आप। आपको बहुत बहुत श...बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं आप। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। किसानों के लिए यह समय वाकई बहुत कठिन है। मैं भी इसको लेकर बहुत दुखी हूं। जब भी कोई समाचार में यह देखने को या सुनने में मिलता है कि किसी किसी किसान को मुआवजे के तौर पर दो सौ रूपए की चेक थमाई गई। तो मन गुस्से से भर उठता है। कहकशां खानhttp://natkhatkahani.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-12400976924098374332015-04-24T21:27:38.946+05:302015-04-24T21:27:38.946+05:30सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
शुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग...सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..<br />शुभकामनाएँ।<br />मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।Sanjuhttps://www.blogger.com/profile/00171018255400064717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-58078302700917144792015-04-23T12:10:37.615+05:302015-04-23T12:10:37.615+05:30धन्यवाद पोस्ट लिंक करने के लिए ।
आप सबका सम्मिलि...धन्यवाद पोस्ट लिंक करने के लिए ।<br /><br />आप सबका सम्मिलित प्रयास न केवल सराहनीय है बल्कि अनुकरणीय भी है। <br /><br />पूरे दल को साधुवादहरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-15249476538818013712015-04-23T12:04:46.028+05:302015-04-23T12:04:46.028+05:30मेरे पिताजी किसान को "शेतीचा राजा" कहते ...मेरे पिताजी किसान को "शेतीचा राजा" कहते थे ! सच में वो खेती का राजा ही था, उसके छोटे से संसार का वैभव किसी राजा से कम न था ! उसके पास खुद की जमीन थी,बीज थे खाद थी उपरसे वरुण देव की कृपा वृष्टि थी ! धुप,सर्दी,गर्मी, बारिश हर मौसम में अपने परिवार के साथ सूरज निकलने से लेकर सूर्यास्त होने तक अपने कर्मभूमि में कड़ी मेहनत कर अन्न उगाने वाला किसान किसी कर्मयोगी से कम न था ! स्वयं कम में गुजारा कर समस्त संसार को अन्न, वस्त्र देनेवाला किसान और उसके त्याग पूर्ण जीवन की तुलना सच में संसार की किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है !<br />ग्रामीण किसान का यह जीवन चित्रण आज से तीस चालीस साल पुराना है !<br />तब के जीवन में और आज के ग्रामीण किसान के जीवन में बहुत बड़ा फरक आ गया है ! जमींदारों के शोषण से तो वह मुक्त हुआ है लेकिन आज सरकारी तंत्र की चपेट में बुरी तरह से फंस गया है ! महंगे बीज, महंगा खाद, फसलों का उचित दाम न मिल पाना,कभी अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि, कर्ज की गर्त में डूबा हुआ इन सभी कारणों की वजह से उसके सामने सिवाय आत्महत्या के कोई उपाय दिखाई नहीं दे रहा है ! उसका छोटा सा संसार हमारी शहरी दुनिया से अलग थलग पड़ गया है ! इन सब समस्याओं से अलग किसानों की घरेलु समस्याएं भी कुछ कम नहीं है ! पता नहीं उनको अभी कितना समय लगेगा अपने अभिशप्त जीवन से छुटकारा पाने में !<br />यवतमाळ पदयात्रा निश्चित एक प्रशंसनीय प्रयास है,विवेक जी सहित आप सभी को बहुत बहुत बधाई ! किसानों की आत्महत्या हमारे देश के उन्नति के लिए हम सब के लिए चिंता का विषय है आज की इस ज्वलंत समस्या पर बहुत बढ़िया आलेख है !<br /><br /><br /><br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-32185173611317056472015-04-23T09:54:14.758+05:302015-04-23T09:54:14.758+05:30बहुत ही मन से आपने लिखा है, बधाई. मै ही पीछे रह गय...बहुत ही मन से आपने लिखा है, बधाई. मै ही पीछे रह गया. आजकल में लिखूंगा girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-57393668257539258032015-04-23T07:19:38.541+05:302015-04-23T07:19:38.541+05:30सबसे पहले एक सार्थक पहल के लिये बहुत बधाई एवं शुभक...सबसे पहले एक सार्थक पहल के लिये बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं!<br />उम्मीद है कि यह चिन्तन सचमुच के गरीब किसानों के पक्ष में होगा ना कि बडे नेताओं और अभिनेताओं के लिये जो सस्ती सरकारी जमीन लेने अथवा कृषकों के लिये बनी योजनाओं का लाभ लेने के लिये किसान कहलाना चाहते हों!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-24888730185460015852015-04-22T23:19:23.177+05:302015-04-22T23:19:23.177+05:30किसानो का दर्द बयाँ करती एक बहुत ही संवेदनशील पोस्...किसानो का दर्द बयाँ करती एक बहुत ही संवेदनशील पोस्ट के आपका बहुत बहुत आभार.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-52412206355830767392015-04-22T23:13:12.587+05:302015-04-22T23:13:12.587+05:30मेरी टिप्पणी भी गायब है.
मेरी टिप्पणी भी गायब है.<br />रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-89481239790801205402015-04-22T23:03:37.620+05:302015-04-22T23:03:37.620+05:30सहमत हूँ प्रो. जोशी आपसे .....सहमत हूँ प्रो. जोशी आपसे .....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-67911045586113143692015-04-22T23:00:07.956+05:302015-04-22T23:00:07.956+05:30हाँ वर्ग चार की भूमी कोई अपने नाम नहीं करा सकता है...हाँ वर्ग चार की भूमी कोई अपने नाम नहीं करा सकता है । 229 धारा के अंतर्गत कबजे के कागजात में नाम आदी दुरुस्त किये जाते हैं । इस देश में सबसे ज्यादा सफल शब्द फर्जी है कहीं भी प्रयोग कीजिये सफलता ही सफलता है :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-72807529127506045672015-04-22T22:57:33.959+05:302015-04-22T22:57:33.959+05:30कुछ भी हो कोई फर्क नहीं होता है
परेशानी शुरु वहाँ...कुछ भी हो कोई फर्क नहीं होता है <br />परेशानी शुरु वहाँ होना शुरु होती है <br />जब आगे (स्यूडो) आभासी जुड़ा होता है । <br /><br />जैसे आभासी सेक्यूलेरिज्म, आभासी कम्यूनिज्म या और कुछ भी :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-34836568468966573152015-04-22T22:26:00.581+05:302015-04-22T22:26:00.581+05:30 शुक्रिया अवंती जी , आभार आपका ! शुक्रिया अवंती जी , आभार आपका !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-46828390085965484562015-04-22T22:24:58.596+05:302015-04-22T22:24:58.596+05:30हमारी नींद टूटनी ही चाहिए , आभार आपका !हमारी नींद टूटनी ही चाहिए , आभार आपका !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-50700595289426286232015-04-22T22:23:41.821+05:302015-04-22T22:23:41.821+05:30शुक्रिया ललित भाई !शुक्रिया ललित भाई !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6340570424549373370.post-34068768305460763592015-04-22T22:01:13.707+05:302015-04-22T22:01:13.707+05:30 आपने कमेंट यहाँ नहीं दिया होगा :) आपने कमेंट यहाँ नहीं दिया होगा :) Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com