यह बाल कविता मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है अपने परिवार में , 24 -25 वर्ष पहले, अपने बड़ों को यह सबूत देने को कि मुझे वाकई कविता लिखनी आती है ,सामने खेलती हुई, नन्ही शुभी (कृति )को देख , उसके बचपन का चित्र खींचा था !!
छोटी हैं, शैतान बड़ी पर,
सबक सिखाएं प्यार का !
हाल न जाने क्या होना है, शुभी की ससुराल का !
दिखने में तो छोटी हैं ,
लेकिन बड़ी सयानी हैं !
कद काठी में भारी भरकम
माँ , की राज दुलारी हैं !
नखरे राजकुमारी जैसे
इनकी मस्ती के क्या कहने
एक पैर पापा के घर में
एक पैर ननिहाल है !
दोनों परिवारों में यह,
अधिकार जमाये प्यार का !
हाल न जाने क्यों होना है, शुभी की ससुराल का !
चुगली करने में माहिर हैं
झगडा करना ठीक नहीं
जब चाहें शिल्पी अन्नू को
पापा से पिटवाती हैं !
सेहत अपनी माँ जैसी है
भारी भरकम बिल्ली जैसी
जहाँ पै देखें दूध मलाई
लार वहीँ टपकाती हैं
सुबह को हलवा,शाम को अंडा,
रात को पीना दूध का !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का !
सारे हलवाई पहचाने
मोटा गाहक इनको माने
एक राज की बात बताऊँ
इस सेहत का राज सुनाऊं
सुबह शाम रबड़ी रसगुल्ला
ढाई किलो दूध का पीना
रबड़ी और मलाई ऊपर
देसी घी पी जाती हैं !
नानी दुबली होती जातीं ,
देख के खर्चा दूध का !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का !
आस पास के मामा नाना
इनको गोद खिलाने आयें
बाते सुनने इनकी अक्सर
अपने घर बुलवायीं जाए
तभी भी शुभी प्यारी हैं
सबकी राज दुलारी हैं !
मीठी मीठी बाते कहकर
सबका मन बहलाती हैं !
खुशियों का अहसास दिलाये,
किस्सा राजकुमारी का !
हाल न जाने क्या होना है , शुभी की ससुराल का !
छोटी हैं, शैतान बड़ी पर,
सबक सिखाएं प्यार का !
हाल न जाने क्या होना है, शुभी की ससुराल का !
दिखने में तो छोटी हैं ,
लेकिन बड़ी सयानी हैं !
कद काठी में भारी भरकम
माँ , की राज दुलारी हैं !
नखरे राजकुमारी जैसे
इनकी मस्ती के क्या कहने
एक पैर पापा के घर में
एक पैर ननिहाल है !
दोनों परिवारों में यह,
अधिकार जमाये प्यार का !
हाल न जाने क्यों होना है, शुभी की ससुराल का !
चुगली करने में माहिर हैं
झगडा करना ठीक नहीं
जब चाहें शिल्पी अन्नू को
पापा से पिटवाती हैं !
सेहत अपनी माँ जैसी है
भारी भरकम बिल्ली जैसी
जहाँ पै देखें दूध मलाई
लार वहीँ टपकाती हैं
सुबह को हलवा,शाम को अंडा,
रात को पीना दूध का !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का !
सारे हलवाई पहचाने
मोटा गाहक इनको माने
एक राज की बात बताऊँ
इस सेहत का राज सुनाऊं
सुबह शाम रबड़ी रसगुल्ला
ढाई किलो दूध का पीना
रबड़ी और मलाई ऊपर
देसी घी पी जाती हैं !
नानी दुबली होती जातीं ,
देख के खर्चा दूध का !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का !
आस पास के मामा नाना
इनको गोद खिलाने आयें
बाते सुनने इनकी अक्सर
अपने घर बुलवायीं जाए
तभी भी शुभी प्यारी हैं
सबकी राज दुलारी हैं !
मीठी मीठी बाते कहकर
सबका मन बहलाती हैं !
खुशियों का अहसास दिलाये,
किस्सा राजकुमारी का !
हाल न जाने क्या होना है , शुभी की ससुराल का !
बच्चे को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बडी सुन्दर कविता रची आपने।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्यारी सी कविता है जो मन को छूती है ...
ReplyDeleteशुभी को ढेरों आशीष और शुभकामनायें ...
प्यारी बिटिया को शुभाशीष
ReplyDeleteवाह! जब इतनी प्यारी बिटिया सामने हो तो कविता तो बन ही जाती हैं ...
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
शुभी को शुभाशीष।
ReplyDeleteसबूत एक कवि का कविता के साथ किसने किया होगा आत्मसात अलग बात है पर जो बात आप में है उस बात में ही कुछ अलग बात है । शुभकामनाऐं ।
ReplyDeleteमजेदार कविता रची है ...
ReplyDeleteबचपन को जीते शब्द और पल
ReplyDeleteअसीम स्नेह और शुभकामनाओं सहित
बहुत-बहुत शुभकामनाएं और ढेर सारा स्नेह बिटिया को ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...शुभी को हार्दिक शुभकामनाएं और आशीष....
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता है भाई साहब! एकदम चित्र खींच दिया है आपने और इसमें सबको अपना बचपन और अपनी बच्ची दिखाई दे रही है. वैसे इसमें आज की शुभी की फ़ोटो होती तो हम भी देखते कित्ती बड़ी हो गयी है वो!! शुभाशीष शुभी को!!
ReplyDeleteजैसी नटखट बेटी ,वैसी ही चटपटी कविता -वाह सतीश जी !
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता...
ReplyDeleteढेर सा प्यार शुभी को..
सादर
अनु
याने की आप २४,२५ साल से लिख रहे है ??
ReplyDeleteअब तो आपके परिवार में बड़ों को पूरा यकीन आ गया होगा की आप कितना अच्छा लिखते है :)
प्यारी रचना !
शुभी की चंचलता का पोल खोलती सुंदर कविता. शुभी को स्नेह और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteVery beautiful. Now Shubhi must be full woman and I wish good wishes. But this became a source to become poet, this is hilarious. Regards.
ReplyDelete"चुगली करने में माहिर हैं
ReplyDeleteझगडा करना ठीक नहीं
जब चाहें शिल्पी अन्नू को
पापा से पिटवाती हैं !
सेहत अपनी माँ जैसी है
भारी भरकम बिल्ली जैसी
जहाँ पै देखें दूध मलाई
लार वहीँ टपकाती हैं
सुबह को हलवा,शाम को अंडा,रात को पीना दूध का !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का"
bahut he sunder bhav..sunder srijan...Satish ji
एक पैर पापा के घर में
ReplyDeleteएक पैर ननिहाल है !
दोनों परिवारों में यह,अधिकार जमाये प्यार का !
बहुत ही प्यारा गीत है, सक्सेना जी।
हम तो आपको 4-5 वर्षों से सिद्धहस्त गीतकार के रूप में जानते हैं।
अनुपम रचना...... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन
नन्हीं शुभी - सयानी को हम सब देते हैं आशीष ।
ReplyDeleteवैसे शुभी को माध्यम बना - कर प्रशंसा पाने की आपकी तरक़ीब कामयाब हो ही गई ।
बहुत - बहुत बधाई ।
प्यारी सी कविता है जो मन को छूती है ...
ReplyDeleteRecent Post शब्दों की मुस्कराहट पर मेरी नजर से चला बिहारी ब्लॉगर बनने: )